*अपनी मंजिल को दूर मानते हुए सफर शुरू कर दो, मंजिल मिल जाएगी।*

*जयगुरुदेव*
*सन्देश / दिनांक 25.11.2021*

*सतसंग स्थलः बाबा उमाकान्त जी महाराज आश्रम, उज्जैन, मध्यप्रदेश*
*सतसंग दिनांक: 22.नवम्बर.2020*

*अपनी मंजिल को दूर मानते हुए सफर शुरू कर दो, मंजिल मिल जाएगी।*
*- बाबा उमाकान्त जी महाराज*

मनुष्य के गुनाहों को बख्शने वाले बख्शनहार और मनुष्य की आत्मा को नर्क-चौरासी की आग से बचाने का सीधा-सरल मार्ग बताने वाले,
वर्तमान के पूरे संत सतगुरु *बाबा उमाकान्त जी महाराज* ने 22 नवंबर 2020 को अपने बाबा उमाकान्त जी महाराज आश्रम, उज्जैन, मध्यप्रदेश से यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम *(Jaigurudevukm)* के ऑनलाइन माध्यम से सतसंग में बताया कि,

गुरु महाराज को याद करो। गुरु के बताए रास्ते पर आप चलो की जिससे आप मंजिल तक पहुंच जाओ। आपका मंजिल ये नहीं है कि आप अमेरिका से चले, दिल्ली आ गए या दिल्ली से अमेरिका चले गए, लंदन ब्रिटेन चले गए। यह आपकी मंजिल नहीं है।
आपकी मंजिल बहुत दूर है। लेकिन सबके लिए दूर नहीं हैं। साधक के लिए वही नजदीक है। जिनको तरीका मालूम हो गया, *गुरु की दया जिन पर हो रही है या हो जाए उनके लिए बहुत नजदीक है* और नहीं तो दूर है।

*प्रेमियों! आप तो दूर की मंजिल मानकर सफर करना शुरू कर दो, मंजिल मिल जाएगी।*
आप तो दूर का सफर मान कर के चलते रहो। जैसे कोई पथिक यात्रा करने वाला, रास्ता चलने वाला है और उसको यह मालूम हो जाए यह हमारी यात्रा बहुत दूर है तो वो सुबह जल्दी तैयार हो जाएगा और फिर अपना चलना शुरू कर देगा।
आप यह समझो! जब यह मालूम हो जाता है समय लगेगा, जाना पड़ेगा, वहां तक पहुंचना है, लक्ष्य बनाता है, जाना ही जरूरी है तो तैयारी कर देता हूं और धीरे-धीरे अपना चलता जाता है, *मंजिल तक पहुंच जाता है।*

*प्रेमियों! चाहे कम उम्र के हो, चाहे ज्यादा उम्र के हो, सब लोग ध्यान भजन करना शुरू कर दो।*
देखो! जो समझदार, बुद्धिमान लोग होते हैं वह चल पड़ते हैं। होशियारी इसी बात की है। जितने भी चाहे कम उम्र के हो, चाहे ज्यादा उम्र के हो, जिन को नाम दान मिल गया आप लोग भजन ध्यान सुमिरन करना शुरू कर दो।
समझ लो मंजिल हमारी दूर है, घर हमारा दूर है। जिस काम के लिए मनुष्य शरीर मिला, इस जीवात्मा को अपने मालिक तक पहुंचा दो। मंजिल दूर है आप लग जाओगे, अगर आप यह सोच लोगे कि अभी हम उड़ेंगे और फट से दो घंटे में पहुंच जाएंगे, कल की जो दिन भर की दूरी है वो दो घंटे में हम हवाई जहाज से पहुंच जाएंगे और यदि हवाई जहाज बिगड़ गया तब तो आप वहीं के वहीं पड़े रह गए।

आंधी-आफत आ गई, कोई बात हो गई, तबीयत ही बिगड़ गई, घर वाले ही मना कर दिए, आप यात्रा पूरी नहीं कर पाओगे, चल पड़ोगे कोई विघ्न बाधा भी आएगी, आपकी गाड़ी पंचर हो गई या कोई जाम लग गया तो उम्मीद बनी रहेगी कि हम पहुंच जाएंगे।
लगे रहोगे तो आपको शाम को छः बजे पहुंचना है तो दस ग्यारह बजे पहुंच जाओगे *लेकिन जब चलोगे ही नहीं तो कैसे पहुंच जाओगे?*

*प्रेमियों! जैसे आप ड्यूटी और पैसा कमाने में टाइम की कीमत लगाते हो, ऐसे ही जीवन का जो अनमोल समय मिला है, उसकी क़ीमत लगाओ।*
प्रेमियों! आप लोग जितने लोग सुन रहे हो, सब लोग ध्यान भजन नहीं करते हो। करना शुरू कर दो। नाम ध्वनि तो करते हो उसमें सब लोग नहीं, इसमें भी गैप कर देते हो, पूरा टाइम तक नहीं करते हो।
हर चीज का आपका समय निश्चित है। और अमेरिका जैसे देश में एक-एक मिनट की कीमत है। आप अन्य चीजों की कीमत तो लगाते हो, अपने ड्यूटी की, पैसा कमाने की लगाते हो, लेकिन जो कीमती समय यह जीवन का है, आपका इस काम में लगाने का, उसमें आप नहीं लगा पाते हो।
*तो इसमें भी टाइम लगाओ। ध्यान भजन में समय लगाएंगे तो इससे आदत बनेगी।*

*प्रेमियों! आप ध्यान भजन करो जिससे आपका काम बने और आपका जीवन का लक्ष्य पूरा हो जाए।*
आप समझो सुबह जब भजन का समय होता है, एक दूसरे को फोन कर लो, एक दूसरे को बता दीजिए कि उठ जाइए, ध्यान भजन का समय हो गया। उसमें एक आदमी कोई प्रार्थना बोलने लग जाओ।
पांच मिनट नाम ध्वनि बोल दो। फिर तुम भजन पर बैठ जाओ। उसके बाद ध्यान कर लो। *इससे आदत बन जाएगी।*

सप्ताहिक सत्संग की भी आदत डालो। जो गुरु महाराज के संदेश हैं, पढ़ करके सुना दो। अब कुछ समय आप ज्यादा देना शुरू कर दो। अब आपकी ज्यादा आदत बनी बैठने की।
*अब आप भजन करने की आदत डालो जिससे आपका काम बने, जिससे आपका जो लक्ष्य जीवन का है, वो पूरा हो जाए।*

जयगुरुदेव
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