*कार्तिक का मतलब...काया में ताकौ।*

*जयगुरुदेव*
*सन्देश / दिनांक 19.11.2021*

*सतसंग स्थलः सुरति शब्द योग साधना धाम, ठीकरिया, जयपुर, राजस्थान*
*सतसंग दिनांक: 19.नवम्बर.2021*

*कार्तिक का मतलब...काया में ताकौ।*
*सन्त ही बताते हैं कैसे?*
*- बाबा उमाकान्त जी महाराज*

गुरु नानक जयंती पर्व, कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर राजस्थान की गुलाबी नगरी में 19 नवंबर 2021 को निर्माणाधीन आश्रम, सुरति शब्द योग साधना धाम, ठीकरिया, अजमेर रोड, जयपुर में पूज्य संत *बाबा उमाकान्त जी महाराज* ने सतसंग व अनमोल दौलत *नामदान* की वर्षा करते हुए भक्तों को त्यौहारों का महत्व समझाते हुए बताया कि,

जितनी भी चीजें हैं, पेड़ पौधे सूरज चंद्रमा, ये सब मनुष्य के लिए बनाए गए। लेकिन जब इस चीज को समझ नहीं पाते हैं तो पूरा लाभ नहीं ले पाते हैं और इधर-उधर भटकते रहते हैं।
है तो पास में ही लेकिन खोजते रहते हैं जैसे कि *"कस्तूरी कुंडल बसे, मृग ढूंढे वन माहि। ऐसे घट-घट राम है, दुनिया देखन नाहि।।"*

जैसे आज लोग नदियों में स्नान, दान पुण्य, राम-कृष्ण कथा, गीता सुन कर चले तो आएंगे लेकिन असर उसका नहीं पड़ेगा। जैसे बताने वाले, वैसे सुनने वाले होते हैं।
इसलिए इनका पूरा फायदा लाभ पाने के लिए पूरे संतों की, उनके सतसंग की जरूरत पड़ती है। 
कार्तिक का मतलब क्या होता है?
काया में ताकौ। शरीर का जब समय पूरा हो जाएगा तो इसकी कोई कीमत नहीं रह जाएगी। इसलिए मौजूदा संत महापुरुष की खोज कर, साधना कर, अंतर में उजाला कर त्यौहार को मनाओ। सन्तों की महिमा जितनी कही जाय, कम है।

*आप सभी लोग भी वक़्त के सन्त सतगुरु को खोजो जो इस मनुष्य शरीर में मौजूद हैं और अपना असला काम बना लो।*







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