*देश का राष्ट्रपति कत्ल माफ कर देगा लेकिन पाप की सजा तो भोगनी ही पड़ेगी*
जय गुरु देव
16.11.2021
प्रेस नोट
कल्लर, हिमाचल प्रदेश
*आदमी की बनाई मूर्ति को देवी-देवता मान लेते हो लेकिन उनके सामने जानवरों की बलि तो मत चढ़ाओ*
*जीते जी मुक्ति-मोक्ष पाने, देवी-देवताओं के दर्शन करने का रास्ता नामदान ले लो और गुरु दक्षिणा में अपनी सारी बुराइयां दे दो*
सच्चे सन्तों का सतसंग न मिलने के कारण लोग अपना धर्म-कर्म भूल गए। गलत खान-पान की वजह से लोगों की बुद्धि खराब हो रही है। ऐसे समय में सन्त-महात्माओं की बातों को मानने से ही तकलीफ दूर होगी। उज्जैन के प्रकट सन्त बाबा उमाकांत जी महाराज ने 14 नवम्बर 2021 को हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर जिला के कल्लर में दिये व यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेम पर प्रसारित सन्देश में बताया कि बरकत लेने के लिए मेहनत और ईमानदारी की कमाई करो, बरकत मिल जाएगी। जब किसी को मारकर, दिल दुखा कर, सता कर, लूट कर लाओगे तो हाय-हत्या लगी रहेगी, बरकत नहीं होगी।
*जीते जी मुक्ति-मोक्ष पाने, देवी-देवताओं के दर्शन करने का रास्ता नामदान ले लो और गुरु दक्षिणा में अपनी सारी बुराइयां दे दो*
देखो बहुत से लोग लोटा, धोती, लंगोटी सब रखवा लेते हैं तब कंठी बांधते हैं, मूड मुंडवाते हैं, बहुत से घर छुड़वा देते हैं, कपड़ा बदलवा देते हैं। यह सब काम यहां पर कुछ नहीं होता है। लेकिन गुरु दक्षिणा देने की मर्यादा बनाए रखना चाहता हूं। दक्षिणा में देना क्या है? अपनी बुराइयों को यही छोड़ जाओ। बुरे कर्म जो जान-अनजान में हुए अब मत करना। यही आपकी होगी सबसे बड़ी दक्षिणा। अभी तक के बुरे कर्मों की माफी उस मालिक से मांग लो कि इस शरीर से, धन से जो भी गलती बन गयी है, उसके लिए आज हमको माफ कर दो।
*देश का राष्ट्रपति कत्ल माफ कर देगा लेकिन पाप की सजा तो भोगनी ही पड़ेगी*
माफ करने वाला केवल एक वही मालिक होता है। बाकी लोग केवल फॉर्मेलिटी, औपचारिकता पूरी करते हैं। कर तो दिया माफ लेकिन गलती की सजा कहीं न कहीं मिल ही जाती है। जैसे राष्ट्रपति कत्ल की सजा माफ तो कर सकता है लेकिन कत्ल करने के पाप की सजा भोगनी पड़ेगी। लेकिन जब वह मालिक माफ कर देता है तो सजा भोगनी नहीं पड़ती।
*देवता को खुश करने के लिए बलि चढ़ाना भ्रम-भूल है*
जीव हत्या बहुत बड़ा पाप है। देवता का काम क्या होता है? देना। जान वह नहीं लेते किसी का। आप जिस मूर्ति के सामने चढ़ाते हो, सच पूछो तो वह देवता है ही नहीं। आदमी की बनाई, स्थापित की हुई मूर्ति को भावनाओं से, मान्यता दिए हुए मंदिर को आप मान लेते हो कि भगवान है। जो देखते-बोलते नहीं, तकलीफ दूर करने का तरीका भी नहीं बता सकते उनको आप मान लेते हो और उनके सामने बलि चढ़ाते हो।
*बेजुबान जानवर जो अपने कर्मों की सजा भोग रहे, उनकी बलि चढ़ाना बंद करो*
यह जीवात्मा सजा भोगने के लिए मुर्गा, बकरा आदि शरीरों में बंद की जाती है। भगवान की इस जीवात्मा को कष्ट दे देते हो, मार-काट देते हो। यह नहीं होना चाहिए। बली मत चढाना कोई। आज से संकल्प बना लो।
*ऐसा काम करो, ऐसा भोजन खाओ जिससे जीव हत्या न हो*
जीव हत्या जिससे न हो ऐसा काम करो। ऐसा भोजन खाओ जो मनुष्य का भोजन है जैसे धान, ज्वार, मक्का, गेहूं, बाजरा आदि यह जड़ वस्तुएं। जब से लोग मांसाहार करने लग गए बीमारियां देखो बहुत बढ़ गई। खून भी बेमेल हो जाता है और तरह-तरह की बीमारियां हो जाती है।
sant umakantji maharaj |
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