*"सेवा शरीर, वाणी से कई तरह से होती है और गुरु के वचनों को पकड़ कर उस तरह का काम करें, वह सेवा की श्रेणी में आता है..."*

*जयगुरुदेव*
*आध्यात्मिक  सन्देश / दिनांक 22.11.2021*

*सतसंग स्थलः प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश*
*सतसंग दिनांक: 07.मार्च.2021*

*"सेवा शरीर, वाणी से कई तरह से होती है और गुरु के वचनों को पकड़ कर उस तरह का काम करें, वह सेवा की श्रेणी में आता है..."*
*- बाबा उमाकान्त जी महाराज*

मनुष्य जीवन में गुरु भक्ति करने, गुरु को खुश करने के तरीके बताने और समझाने वाले, जिससे जीवात्मा का उद्धार हो सके और जीते जी मुक्ति और मोक्ष प्राप्त हो सके,
ऐसे समय के पूरे समरथ सतगुरु उज्जैन वाले *बाबा उमाकान्त जी महाराज* ने 07 मार्च 2021को प्रताप गढ़, उत्तर प्रदेश में दिए व यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम *(Jaigurudevukm)* पर प्रसारित संदेश में बताया कि,
प्रेमियों! गुरु महाराज पूरे संत थे और पूरी जिंदगी जीवों की भलाई, कल्याण में लगा दिया, पूरे गुरु भक्त थे।

*गुरु भक्त किसको कहते हैं?*
जो गुरु के आदेश का अच्छे से पूरा पालन करें, जो गुरु की सेवा करे।
कई तरह से सेवा होती है, शरीर से, वाणी से सेवा होती है। वचनों को पकड़ लिया जाए, गुरु जो चाहते हैं उनकी मन की इच्छा मालूम हो जाए और उस तरह का काम करे, वह सेवा की श्रेणी में आता है।
*गुरु वह चीज चाहते हैं।*

*लोगों को बता और समझा कर सतयुग देखने योग्य बनाओ, ताकि प्रेत योनि में न जाना पड़े।*
गुरु महाराज चाहते थे कि हर जीव अपने घर, अपने वतन पहुंच जाएं और इस शरीर को स्वस्थ रखने के लिए खाने-रहने का प्रबंध सबके लिए हो जाए।
सब निरोगी हो जाएं जिससे भजन में मन लगने लग जाए। उसके लिए गुरु महाराज ने ऐलान भी किया कि प्रेमियों! लोगों को शाकाहारी, सदाचारी, नशा मुक्त बनाओ और समझाओ और इनको सतयुग के योग्य बनाओ।
नहीं तो कलयुग में सतयुग आने वाला है। कलयुग और सतयुग दोनों एक ही गद्दी पर नहीं बैठ सकते हैं, तो कलयुग जब जाएगा तो कलयुगी लोगों को साथ में लेता जाएगा।
कलयुग रगड़ाई करेगा, मर जाएंगे लोग, प्रेत योनि में चले जाएंगे।

*गुरु महाराज की इच्छा थी कि सबकी जीवात्मा इसी जनम में अपने असली घर, अपने वतन पहुंच जाये।*
समय पूरा होने से पहले मर जाने पर प्रेत योनि में जाना पड़ता है। प्रेतों का मुंह बहुत छोटा, पेट बहुत बड़ा होता है। पेट जल्दी भरता नहीं। भूख बराबर लगी रहती है, परेशान रहते हैं और लोगों को परेशान करते रहते हैं।
तो प्रेत योनि में लोग न जाएं। लोगों को समझाओ-बताओ, सतयुग के लायक बनाओ। प्रेमियों! यह उनकी इच्छा, मिशन था कि सब सुखी हो जाए, सबकी आत्मा अपने निज घर पहुंच जाए।

*अब उस काम में जो लगेगा, गुरु की इच्छा, आदेश के अनुसार जो लगेगा वह गुरु भक्त कहलाएगा।*
और जो मन के हिसाब से काम करेगा, मन के हिसाब से चलेगा, जो मन कहेगा कि हमारे पास खूब धन, इज्जत हो जाए, किसी चीज की कमी न रह जाए तो मन के मुताबिक जो काम करेगा, वह मनमुखी होगा।

*गुरु आदेश के पालन में लग कर गुरु को खुश कर लो।*
बराबर गुरु महाराज अपने गुरु के आदेश के पालन में लगे रहे और आखरी वक्त तक उन्होंने जीवों के लिए ही काम किया। ऐसे महापुरुष अभी तक इस धरती पर नहीं आए।
हमको-आपको भी चाहिए कि जिस काम को वह छोड़ कर गए उसे पूरा कर दें।
*लोगों को शाकाहारी सदाचारी नशामुक्त बनाओ, सब सुखी, निरोगी हो जाए, सबकी आत्मा अपने घर-वतन पहुंच जाए, इस काम में जो लगेगा वह गुरु भक्त कहलाएगा।*

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