*जयगुरुदेव*
*प्रेस नोट / दिनांक 03.11.2021*
*सतसंग स्थलः बाबा जयगुरुदेव आश्रम, उज्जैन, मध्यप्रदेश / दिनांक: 02.नवम्बर.2021*
*मान-प्रतिष्ठा, धन-दौलत शरीर के साथ सब खत्म हो जाएगा।*
*इसलिए आत्मा के कल्याण के लिए पूरे गुरु को खोजो, गुरु मुख बन गुरु भक्ति करो।*
*- बाबा उमाकान्त जी महाराज*
चौरासी लाख योनियों में भटकने के बाद मिले देव दुर्लभ मनुष्य शरीर का महत्व और उसका उद्देश्य बताने समझाने वाले और गुरु भक्ति को करने कराने वाले इस समय मनुष्य शरीर में मौजूद एकमात्र पूरे संत सतगुरु जो अनमोल धन *नामदान* देने के अधिकारी हैं,
ऐसे उज्जैन वाले परम पूज्य संत *बाबा उमाकान्त जी महाराज* ने 02 नवंबर 2021 को दीपावली पर्व के कार्यक्रम में आश्रम उज्जैन, मध्यप्रदेश में दिए व यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम *(jaigurudevukm)* पर प्रसारित सतसंग में बताया कि,
लोग धनतेरस, दीपावली को अपने हिसाब से पूजा-पाठ करते हैं लेकिन समझो बाहर की जड़ पूजा अपने काम का नहीं है। यह दूसरों के लिए है।
*यश, कीर्ति, मान-प्रतिष्ठा, धन-दौलत शरीर के साथ सब खत्म हो जाएगा, आत्मा को कुछ नहीं मिलेगा।*
*जीवात्मा अमर कब होती है, इसका खुराक क्या है?*
जीवात्मा अमर तब होती है जब यह शब्द में समाती है। तब काल अपने गाल में इसको नहीं ले पाता है। नहीं तो काल जन्म-मरण के चक्कर में डाल देता है। जीना-मरना पड़ता है, जन्मने और मरने की बहुत तकलीफ झेलनी पड़ती है।
आप इस भूल-भ्रम के देश में रहते हो, इसी में गुजर-बसर करते हो, समय पूरा होने पर आत्मा जहां से आई है वहां पहुंच नहीं पाई तो जिसके लिए यह मनुष्य शरीर मिला, वह काम पूरा नहीं हो पाता है।
*आप भाग्यशाली हो कि आपको मनुष्य शरीर मिला है। देवता जिसके लिए तरसें वो अनमोल मनुष्य शरीर मिला है, इसकी कद्र करो।*
ये मनुष्य शरीर तो चौरासी लाख योनियों में भटकने के बाद मिलता है। कहा गया है कि,
*कोटि जन्म जब भटका खाया। तब यह नर तन दुर्लभ पाया।।*
देवता जिसके लिए तरसें वो मनुष्य शरीर आपको मिल गया, अब इसकी कीमत लगाओ।
देवता क्यों तरसते हैं?
क्योंकि देवताओं के सत्रह तत्वों के लिंग शरीर में रास्ता नहीं है जिससे वो अपनी आत्मा का उद्धार कर सके और आपके पास पांच तत्वों के शरीर में रास्ता खुला हुआ है।
मां के पेट में जबसे पिंड बनना शुरू हुआ, रास्ता खुला और आखिरी वक्त तक रास्ता खुला रहेगा, उसको कोई बंद नहीं कर सकता।
*काल यहीं पर हार जाता है। ऐसा कोई उसके पास तरीका नहीं है कि उसको वो बंद कर दे। आपके पास रास्ता है और आप लोगों को गुरु मिल गए तो गुरु की भक्ति करो और गुरुमुख बनो।*
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