*जयगुरुदेव*
*प्रेस नोट/ दिनांक 26.10.2021*
*सतसंग स्थलः धनबाद, झारखण्ड / दिनांक 26.फरवरी.2021*
*सदा संसार में सतपुरुष नर रूप धर कर आए हैं, मगर संसार वाले क्या कभी उन्हें पहचान पाये हैं?*
विश्व विख्यात *परम पूज्य संत बाबा जयगुरुदेव जी महाराज* के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी *पूज्य संत बाबा उमाकान्त जी महाराज* ने 26 फरवरी 2021 को झारखंड के धनबाद शहर में सत्संग सुनाते हुए प्रेमियों को बताया कि,
गुरु की पहचान तो तब होती है, जब अंतर में गुरु का दर्शन होता है। अब बहुत से लोग इसमें गुरु महाराज के नामदानी के बैठे हो। लेकिन आप खुद भ्रम और भूल में पड़ जाते हो। आप छोटी चीज में फंस जाते हो। बड़ी चीज को आप छोड़ देते हो और उसी में आपका समय निकल जाता है।
कोई जाति वाद में फंस जाता है, कोई भाई वाद, कोई भतीजा वाद में फंस जाता है। कोई एरिया वाद, कोई भाषा वाद में - इन छोटी चीजों को पाने में आप फंस जाते हो।
*प्रेमियों ! सुमिरन, ध्यान, भजन नियम से करोगे तो गुरु की पहचान हो जायेगी।*
ध्यान, भजन, सुमिरन आप छोड़ देते हो तो गुरु की पहचान कैसे हो पाएगी? अगर पहचान हो जाए तो गुरु के रास्ते पर चलने के लिए, चलाने के लिए आदमी चौबीसों घंटा तत्पर हो।
गुरु के एक वाक्य पर मर मिटने के लिए तैयार हो जाए। आदमी को डर रहता है कि निर्धनता ना आ जाए, गरीबी ना आ जाए, अपमान ना हो जाए, बच्चे भूखे ना रह जाए।
जब उसको यह मालूम हो जाए कि सबके सिरजन हार, जो मां के स्तन में पैदा होने से पहले दूध भर देता है, परवरिश वह करते हैं, देते वह हैं, खिलाते वह हैं, जो इस समय गुरु रूप में हैं, जिनको ईश्वर कहा गया, परमात्मा कहा गया ....
*इसकी जानकारी जब हो जाती है तो आदमी की सब चिंता - फिकर खत्म हो जाती है।*
*चाह गई चिंता गई, मनवा बेपरवाह, जिसको कछु ना चाहिए, सोई शहंशाह।*
*गुरु की पहचान जब आपको अंतर में हो जाएगी फिर आपको चिंता - फिकर करने की जरूरत नहीं रहेगी।*
जब गुरु की पहचान हो जाती है अंतर में, तब वह बादशाह हो जाता है। आप यह समझो, वह गुरु पर निर्भर हो जाता है कि यह जैसा कहेंगे अब वैसा हम करेंगे।
*अब हमारी जिम्मेदारी पूरी इनके हाथ में है, लोक - परलोक बनाने की जिम्मेदारी इनके हाथ में हो गई है।*
*प्रेमियों! आपको गुरु भक्त बनने की जरूरत है।*
प्रेमियों! जो आप सत्संगी हो गुरु महाराज जी के, जो नाम दानी हो, आपको गुरु भक्त बनने की जरूरत है। मनमुखता को खत्म करो।
*मन के कहे करो मत कोई, जो गुरु कहें करो तुम सोई।*
*गुरु के वचनों को सदैव याद रखो।*
गुरु के वचनों को याद करो। गुरु के सत्संग को याद करो और उन वचनों के आधार पर आप चलो।
*कुछ दिन तक चल कर कर देख लो। अगर आपको फायदा लाभ होता है तो आप मानो नहीं तो जबरदस्ती तो है नहीं।*
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