*जयगुरुदेव*
*प्रेस नोट/ दिनांक 24.10.2021*
*सतसंग स्थलः अहमदाबाद, गुजरात / दिनांक 10.अक्तूबर.2021*
*आत्मा का मुक्ति - मोक्ष का रास्ता इसी मनुष्य शरीर में है - बाबा उमाकान्त जी महाराज*
बाबा जयगुरुदेव जी महाराज के मिशन को अपने गुरु की पूरी दया लेकर मूल रूप में देश-विदेश में जोर-शोर से आगे बढ़ाने वाले उनके आध्यात्मिक उत्तराधिकारी, उनके जानशीन,
उज्जैन के पूज्य संत *बाबा उमाकान्त जी महाराज* ने 10 अक्टूबर 2021 को अहमदाबाद, गुजरात में दिए व यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम *(jaigurudevukm)* पर प्रसारित संदेश में बताया कि,
आत्मा के मुक्ति-मोक्ष का रास्ता इसी मनुष्य शरीर के अंदर है। इसीलिए गोस्वामी जी ने कहा *'साधन धाम मोक्ष कर द्वारा'* क्योंकि यह शरीर साधना का धाम है, घर है।
*अपने मालिक, पिता, परमात्मा तक पहुँचने का रास्ता इसी मनुष्य शरीर में है।*
धाम किसको कहते हैं?
जैसे तीर्थ स्थानों को धाम कहते हैं, ऐसे ही यह मनुष्य शरीर भी धाम है क्योंकि इसी में देवी-देवताओं का दर्शन होता है। जिसको हुआ इसी में हुआ। उनकी आवाज इसी में सुनाई पड़ी।
संत-महात्मा लिख कर चले गए की इसी शरीर में उनकी आवाज सुनाई पड़ती है, उनका दर्शन होता है तो यह है धाम। इसी में मुक्ति का दरवाजा है कि फिर दुख के संसार में जन्म-मरण की पीड़ा झेलने के लिए आत्मा न आवे।
*अपने मालिक, पिता, परमात्मा तक पहुंच जाए, वह रास्ता आपके इसी शरीर में है।*
*यदि शरीर के लिए ही सब कुछ करते रहे और अपनी जीवात्मा के लिए कुछ नहीं किया तो ...अंत दुखदाई*
अगर शरीर के लिए ही सब कुछ करते रहे, खाने-कपड़े का इंतजाम, घर-मकान बनाते रहे तो यह जीवात्मा फंस जाएगी।
लेकिन इन कामों जैसे खाने, मकान, कपड़े के इंतजाम के साथ एक-दूसरे का जो गृहस्थ आश्रम का लेना-देना कर्जा है, उसको अदा करते हुए और अगर आत्मा के लिए कुछ काम कर लिया,
एक घंटा सुबह और एक घंटा शाम को समय निकाल लिया तो जन्मने-मरने की पीड़ा नहीं झेलनी पड़ेगी और न ही चौरासी में सजा भोगने के लिए जाना पड़ेगा और *आप अपने घर-वतन, अपने मालिक के पास प्रेमियों पहुंच जाओगे।*
*पूरे संत सतगुरु से रास्ता 'नामदान' ले कर अपने असली घर, देश पहुँचो जहां कोई दुःख, तकलीफ नहीं है, केवल सुख और आनंद है।*
आप सुख के सागर में पहुंच जाओगे। वहां कोई दुख, रोना-धोना, अंधेरा, गंदगी नाम की कोई चीज नहीं है, कोई झाड़ू लगाता नजर नहीं आता है।
वहां तो खुशबू ही खुशबू, आनंद ही आनंद, रोशनी ही रोशनी है, आनंद का सागर है। वहां आप पहुंच सकते हो।
*तो रास्ता में आज आपको बताऊंगा अनमोल चीज, 'नामदान' जिसको कहा गया, वह मैं आपको दूंगा जिसकी कोई कीमत नहीं लगा सकता, वह बताऊंगा।*
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