*इतिहास साक्षी है, अनमोल दौलत 'नामदान' बांटने का एक समय पर एक ही को अधिकार होता है।*

*जयगुरुदेव*
*प्रेस नोट/दिनांक 27.09.2021*
सूरत, गुजरात

*इतिहास साक्षी है, अनमोल दौलत 'नामदान' बांटने का एक समय पर एक ही को अधिकार होता है।*

विश्व विख्यात परम संत *बाबा जयगुरुदेव जी महाराज* के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी पूज्य संत *बाबा उमाकान्त जी महाराज* ने 23 सितंबर 2021 को सूरत, गुजरात दिए व यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम *(jaigurudevukm)* पर प्रसारित संदेश में बताया कि,
त्रेता में राम और द्वापर में कृष्ण नाम में शक्ति थी। कलयुग में संतों का प्रादुर्भाव हुआ तो प्रथम संत कबीर साहब ने नाम जगाया। महात्माओं - संतों के शिष्य बहुत हुए लेकिन अधिकार केवल एक को दिया *नामदान* देने का, इतिहास उठाकर देख लो।

*कबीर साहब के बहुत शिष्य थे, लेकिन उन्होंने नानक साहब को 'नामदान' देने का अधिकार दिया।*
कबीर साहब के बहुत शिष्य थे लेकिन अधिकार दिया नानक जी को। उन्होंने उस प्रभु को, सतपुरुष को अकाल पुरुष कहा। अकाल पुरुष का मतलब जो मरता नहीं, काल के घेरे में नहीं आता है।
जब आपके अंदर कि जीवात्मा शब्द को पकड़ लेगी तब काल का जोर नहीं चलेगा। *राधास्वामी* नाम सबसे ज्यादा चला। महात्मा - संतों के जाने के बाद, मौज के अनुसार नाम की ताकत, महत्व खत्म हो जाता है क्योंकि लोग उसका पंथ बना लेते हैं।

*पंथ किसको कहते है?*
जैसे मंदिर-मूर्ति-समाधि बना दो, पूजा-पाठ, धूप-आरती करने लग जाओ वहां पर। संतों की असली सुरत शब्द योग साधना से लोग हट जाते हैं।
काल के बनाए हुए देवी-देवताओं की मूर्ति लगा देते हैं। इसे देख अन्य लोग आने लगते हैं, चढ़ावा, धन आने लगता है, नाटक, नौटंकी, मनोरंजन होने लगता है, वह मंदिर - मठ मशहूर हो जाता है लेकिन असली चीज दूसरे के पास चली जाती है।
वह चीज फिर वहां मिलती है। जैसे अच्छे चलते स्कूल से मास्टर या मशहूर अस्पताल से वैद्य हट कर दूसरी जगह चला जाये तो वो नहीं चलते।
*जहां ये जाएंगे, वहीं पर जो इच्छुक-जानकार हैं, वो पढ़ने-इलाज कराने चले जाएंगे।*

*आगे चलकर 'जयगुरुदेव' नाम का भी पंथ बन जायेगा क्योंकि जब स्वार्थी लोग घुस जाते हैं तो बदनाम कर देते हैं।*
लोग स्वार्थ में पंथ बनाते चले आ रहे हैं। देखो यह *जयगुरुदेव* नाम है। आगे चलकर के इसका भी पंथ बन जाएगा। 
क्योंकि अभी से ही कई शाखाएं हो गईं। जब ज्यादा शाखाएं हो जाती हैं तो तरह-तरह के स्वार्थी लोग उसमें घुस कर नाम बदनाम कर देते हैं।
*आप देखो संतो के साथ ज्यादातर यही हुआ। संतो के स्थान, नाम बदनाम हो गया।*

*नानकजी ने 'वाहेगुरु', शिवदयालजी ने 'राधास्वामी' और गुरु महाराज ने 'जयगुरुदेव' नाम जगाया है।*
कबीर साहब ने भी नाम जगाया था। 'राधास्वामी' नाम को शिव दयाल जी महाराज ने जगाया। 'वाहेगुरु' को नानक जी ने जगाया। कई पुश्तों तक चला।
यह तो उनकी मौज पर होता है जो जगाता है। दसों गुरु चलाए। फिर बदलाव हुआ। चार पुश्तों तक 'राधास्वामी' नाम चला और और फिर उसके बाद गुरु महाराज ने *जयगुरुदेव* नाम जगा दिया।

*कोई भी वैज्ञानिक-पंडित, मुल्ला-पुजारी नहीं बता सकता है कि मनुष्य कौन सी शक्ति से चल रहा है?*
यह *जयगुरुदेव* नाम प्रभु, भगवान का जीता जागता, जगाया हुआ नाम है। जैसे आप यहां बैठे हो लेकिन आप कहीं से जुड़े हुए हो।
कहां से जुड़े हुए हो? यह किसी को पता नहीं है। कोई भी वैज्ञानिक-पंडित-मुल्ला-पुजारी इस चीज को बता नहीं सकता है कि कहां से जुड़े हुए हैं, कौन सी शक्ति से लोग चल रहे हैं?
*बहुत पतले तार के द्वारा आप उस परमात्मा से जुड़े हुए हैं, जिनको इन बाहरी आंखों से देखा नहीं जा सकता है।*


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