*"जब कुदरत का खेल शुरू होगा तो एक दिन लोगों को मजबूर होकर शाकाहारी, नशामुक्त बनना ही पड़ेगा।"*

*जयगुरुदेव*
*प्रेस नोट/ दिनांक 22.10.2021*

*सतसंग स्थलः शरद् पूर्णिमा पर्व, लखनऊ, उत्तर प्रदेश / दिनांक: 20.अक्टूबर.2021*

*"जब कुदरत का खेल शुरू होगा तो एक दिन लोगों को मजबूर होकर शाकाहारी, नशामुक्त बनना ही पड़ेगा।"*
*- बाबा उमाकान्त जी महाराज*

मानव के बुरे कर्मों से नाराज कुदरत की ओर से मिलने वाली कठोर सजा से बचने का उपाय बताने वाले, इस समय के पूरे पहुंचे हुए संत महात्मा,
पूज्य *बाबा उमाकान्त जी महाराज* ने 20 अक्टूबर 2021 को अवध शिल्प ग्राम, लखनऊ, उत्तर प्रदेश में शरद पूर्णिमा कार्यक्रम में दिए व यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम *(jaigurudevukm)* पर प्रसारित सन्देश में देश-दुनिया को आगाह करते हुए कहा कि,

कलयुग में कलयुग जायेगा और सतयुग आएगा। यदि आप सोचो कि युग परिवर्तन का काम कठिन है, कैसे होगा?
होने को तो चुटकी बजाने में काम हो जाएगा लेकिन मरेंगे बहुत। धरती पर जितने भी संत-महात्मा आए, मारना किसी को नहीं चाहते। वो बताते समझाते हैं, मेहनत करते हैं।
*समझाने-बताने पर जब लोग नहीं मानते तब चुप हो जाते हैं। जैसे ही चुप हो जाते हैं तो काल तत्काल अपना काम करना शुरू कर देता है।*

नहीं तो संतो के काम में काल बाधा नहीं डालता, डाल भी नहीं सकता। डालता भी है तो उनके शरीर को ही कष्ट देता है। संत बर्दाश्त भी कर लेते हैं अपने शरीर में, लेकिन काम में उनके रुकावट नहीं आती।
काम उनका बढ़ता चला जाता है लेकिन जब लोग नहीं मानते हैं तब ...
*लक्ष्मण बाण सराहो बिन भय होय न प्रीत।*
*जलध गए मानै नहीं भये तीन दिन बीत।।*
राम ने कहा था यह समुंदर ऐसे मानने वाला नहीं, रास्ता नहीं देगा। लक्ष्मण बाण उठाओ जब बाण उठाया तो, *भय बिन होय न प्रीत*, तो भय पैदा हुआ तो रास्ता दे दिया।

*भय बिन होय न प्रीत...., कोरोना के भय से लोग ईश्वरवादी बन गए थे।*
अभी कोरोना आया था। कितना डरे हुए थे लोग। जो *जयगुरुदेव* नाम नहीं बोलते थे, राम, कृष्ण, अल्लाह, खुदा का नाम नहीं बोलते थे, वह लोग भी बोलने लग गए, भगवान को याद करने लग गए। तो *आप समझो ऐसी परिस्थितियां आएंगी।*

*यदि कुदरती प्रेरणा से भी प्रशासन शराब, मांस, नशा जैसी बुराईयों को न रोक पाया तो....*
यदि समझाने-मनाने से लोग नहीं मानेंगे तो कुदरत प्रेरणा देगी। किसको?
जिस के अधिकार में लोग होंगे, शासन - प्रशासन जिसको कहते हैं। वो इस भाव से नहीं चाहे, किसी भी भाव से, बीमारी न फैल जाए, कि इधर-उधर जानवरों का खून बहेगा जिससे बीमारी फैलेगी, हवा पानी दूषित हो जाएगी, चाहे किसी भी दृष्टिकोण से रोकेंगे।
और जब वह भी फेल हो जाएंगे तब समझो -
*बज रहा काल का डंका, कोई बचने न पाएगा।*
*बचेगा साधू साधु जन कोई, जो सत से लौ लगाएगा।*

*कुदरत का खेल जब शुरू होगा तो लोगों को एक दिन शाकाहार अपनाना ही पड़ेगा।*
आप यह समझो लो। फिर कुदरत का खेल शुरू होगा।
मजबूर होकर एक दिन लोगों को शाकाहार अपनाना पड़ेगा ही, नशामुक्त होना पड़ेगा ही, इसलिए आपको प्रेरणा देना है जो आपके जिस स्तर से मदद कर सके इस मामले में मदद ले लेना है।

*निजी स्वार्थ के लिए किसी से भी मदद मत लेना।*
प्रेमियों! रुपया-पैसा की मदद किसी से एक पैसे की मत लेना। अपने निजी स्वार्थ के लिए किसी से भी मदद मत लेना।
*आपको अगर किसी चीज की जरूरत है तो यह हमारे गुरु महाराज, यह सक्षम हैं, यह आपको देंगे। जो सबको देता है उससे क्यों नहीं मांगते हो ?*
मंगता से क्यों मांगते हो? यह सब मांगते हैं। कोई मान-सम्मान, कोई कुर्सी, कोई रुपया-पैसा, कोई कुछ और चीजों को मांगता है और इनके सामने आप हाथ जोड़ते हो? इनसे मांगते हो? उनके आगे क्यों झुकते हो?
*आप तो बादशाह के बेटे हो, आप प्रजा के सामने क्यों झुकते हो?*
आपको अगर मांगना है तो अपने बाप से मांगो, वो आपको मालामाल कर देगा। इसलिए निजी स्वार्थ के लिए कभी भी किसी से कुछ मत मांगना।

*धर्म की स्थापना में अगर आप मदद करोगे तो आपको किसी चीज की कमी नहीं होने पाएगी।*
आप अगर देने लगोगे, खर्च करने लगोगे, मेहनत की कमाई का भी खर्च करने लग जाओगे, अच्छे काम में अगर आप खर्च करोगे, लोगों को शाकाहारी, सदाचारी, नशा मुक्त बनाने में, धर्म की स्थापना में आप अगर मदद करोगे तो *आपको प्रेमियों! किसी चीज की कमी नहीं होने पाएगी।* आपका कोई काम रुकने नहीं पाएगा।
*लक्ष्मी जी ने जब मुझको आश्वासन दे रखा है कि काम करिए, हम आपका पीछा नहीं छोड़ेंगे, हम आपके साथ रहेंगे तो...*
*आपको भी लक्ष्मी जी की कमी नहीं होने पाएगी।*



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