*"धर्म और ईमान को बेच दिया लोगों ने, मिलावटी चीजों को बाजार में उतार दिया है"- बाबा उमाकान्त जी महाराज*

*जयगुरुदेव*

*प्रेस नोट/ दिनांक 13.09.2021*
इन्दौर, मध्य प्रदेश

*"धर्म और ईमान को बेच दिया लोगों ने, मिलावटी चीजों को बाजार में उतार दिया है"- बाबा उमाकान्त जी महाराज*

कुदरत के प्रकोप से समय-समय पर लोगों को बचने के और स्वास्थ्य सुरक्षा के उपाय बताने वाले,

वर्तमान के पूरे संत सतगुरु *बाबा उमाकान्त जी महाराज* ने दिनांक 30 मार्च 2021 को मुक्ति दिवस कार्यक्रम के समापन अवसर पर बाबा उमाकान्त जी महाराज आश्रम, नावदा पंथ, धार रोड, इन्दौर, मप्र. में सतसंग सुनाते हुये भक्तों को बताया कि,

*प्रेमियों! मन चंचल क्यों हो जाता है? मन खुराफात ज्यादा क्यों करता है?*

क्योंकि परमार्थ की तरफ से यह हट गया। मन कहां है? इस शरीर में है और यह शरीर दोषी हो जाता है। शरीर से पाप बन जाता है, शरीर यह गंदा हो जाता है, खान-पान गलत हो जाता है।

*बाजार की तली गली चीजों को खाने में पहरेज नहीं करते, आपको पता नहीं कि चर्बी के तेल में या मछली के तेल में बनी है।*

आप तो कहोगे कि जब से हमने नामदान लिया तबसे पूर्ण रूप से शाकाहारी हैं। हमने तो मांस-मछली छुआ तक नहीं। यह जो मांस, मछली और गंदी चीज डाली हुई चीजें है, जो बाजार में आती हैं, मिलावट कर देते हैं लोग।

मछली के तेल में, चर्बी के तेल में, जो बना कर के बढ़िया स्वादिष्ट मिर्च-मसाला डाल कर के मार्केट में उतार देते हैं, उसको खाने में परहेज नहीं करते हो।

वो चीज अंदर जाती है कि नहीं जाती है?
अब आप तो कहोगे शाकाहारी लिखा हुआ है, हरा निशान बना हुआ है, यह शाकाहारी है।

*लेकिन आज दीन और ईमान कितने लोगों में हैं?*

धर्म और ईमान बेच दिया। लोगों ने पैसे के लिए मिलावटी चीजों को उतार दिया बाजार में। जब उन चीजों को खाओगे, जबान पर स्वाद आएगा, जबान चटपटा हो जाएगा तो मन भी उसी तरह चटपटा हो जाएगा।
*मन उसी तरह की चीजों को खाने के लिए बराबर प्रेरणा देता रहेगा।*

*बाजार की बनी हुई मिलावटी चीजों को जब आप खाओगे तो आपकी बुद्धि भी पशुओं की तरह हो जाएगी।*

बाजार की बनी हुई मिलावटी चीजों को आप खाओगे तो मन उसी तरह का हो जाएगा जब वह चीजें अंदर जायेंगी।

पशुओं को कोई ज्ञान रहता है कि ये मेरी मां है? यह मेरी बहन है? इसी में से हम लोग पैदा हुए हैं? पशुओं को कोई ध्यान नहीं रहता। ऐसे ही आदमी का ज्ञान खत्म हो जाता है। बुद्धि खत्म हो जाती है, बुद्धि भ्रष्ट हो जाती है। इसलिए इन बातों का ध्यान देना जरूरी है।

*खाने-पीने के चीजों के लिए जानना समझना जरूरी है कि कैसा है?*

देखो! पहले बीमारियां इतनी नहीं थी, क्योंकि सब चीजें मिलती थी। ज्यादातर लोग पका कर ही खाते थे। अपने हाथ से पका करके ही खाते थे। घर में पका कर के सफर में ले जाते थे।

*आप समझो! बिमारियों के आने का यही कारण है।*

क्योंकि कौन कैसा है? आपको पता नहीं है। वही लोग अपने हाथ से देते हैं। आप लोग खाते हो, सामान जब देते हैं तो कीड़े आ जाते हैं। दूसरे के अंदर फैल जाते हैं, जिसको कोरोना वाला कीड़ा कहते हैं। 
*अब आप समझो प्रेमियों! ध्यान देने की जरूरत है और खानपान पर विशेष कंट्रोल रखना जरूरी है।*


jaigurudev


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