∎ आप कहते हो कि भारत में गरीबी है। कहां गरीब नहीं हैं ? अमेरिका में भी गरीब हैं पर भारत देश ऐसा है कि जहां कोई किसी के द्वार पर चला जाय तो भूखा नहीं लौट सकता, उसे रोटी मिलेगी। ब्रह्मा, विष्णु, महादेव अपना काम इस सृष्टि मे करते रहते हैं पर यह है कि तुमको विश्वाश नहीं। विश्वाश रक्खो।
∎ विश्वाश करने से काम बनेगा। शंका में अंधेरा है। हमारे पास एक आदमी आया बोला हमारी जमीन चली गयी। मैंने पूछा कि रोटी तो खाते हो, बोला कि हां, मैंने कहा कि छोटा मोटा कोई भी काम करोगे पेट भरेगा। प्रारब्ध पर विश्वाश रक्खो।
∎ हमसे एक आदमी मिला। कहने लगा आपका सत्संग मैंने सुना तो दिल हमारा कांप गया। मैंने सोचा कि यह जीव हत्या करता होगा। मैंने पूछा कि जीव हत्या करते थे तो बोला कि जी हां। अब मैं कैसे आऊंगा आपके सत्संग में। मैंने कहा कि अब से छोड़ दो। हर चीज का इलाज है। सब्जी बेचो गुजारा होगा।
∎ बुरा वक्त निकालना चाहिए। बुरे वक्त को जो काट लेता है धैर्य से वह समझदार होता है। यह सब बात इसलिए सुनाई जाती है कि वक्त कब पड़े कोई नहीं जानता। बड़े बड़े सेठ साहूकारों पर, राजा महाराजाओं पर भी वक्त की मार पड़ती है। धैर्य और विश्वाश रक्खोगे, समय कट जाएगा। घबड़ाना नहीं चाहिए।
∎ महात्माओं की बोली भाषा जल्दी किसी के समझ में नहीं आ सकती। महात्माओं से वही बात पूछनी चाहिए जो तुम्हारे काम की हो। बेकार की बात नहीं पूछनी चाहिए। तुम अपनी तकलीफों को सुनाते हो ठीक है । अपना रोना तो रोते ही हो औरों का भी लेकर बैठ जाते हो। तुम अपने को देखो, अपने दुखों का निवारण करो, दूसरों का छोड़ो। सब अपनी अपनी समझेंगे वो चाहे तुम्हारा बेटा हो चाहे बाप, भाई हो या और कोई हो।
∎ देश दुनिया के जो हालात देखने सुनने में आ रहे हैं वो अच्छे नहीं हैं। चारों तरफ लड़ाई झगड़े हो रहे हैं। तुम लोग भजन में लगे रहो। रे मन काहे का सोच करे।
∎ महात्मा चाहें तो श्वांसों की पूंजी को डाईवर्स कर सकते हैं लेकिन वो ऐसा नहीं करते क्योंकि यहां के विधान को वो नहीं छेड़ते। इसीलिए संसारी लोगों का नहीं करते हैं। साधकों का कर सकते हैं क्योंकि साधक तो हर दम तैयार रहता है कि कब पूंजी पूरी हो और इस पाप की दुनिया से चला जाय। किसी भी प्रेमी की श्वांसो की पूंजी को बढ़ा सकते हैं।
∎ मुझे गुरु महाराज ने रास्ता बताया तो 18 -18 घण्टे मैं बैठता था पर महीनों गुजर गए पर कुछ नहीं हुआ लेकिन मैं हताश नहीं हुआ। हमेशा यही सोचता था कि अपने में ही कुछ कमी होगी। रास्ता सच्चा है बताने वाला सच्चा है। कभी मन में ख्याल नहीं आया कि गुरु महाराज ने दया किया।
∎ जब मैं स्वामी जी महाराज के पास पहुंचा था तो मोटा ताजा था। मेरे सामने ही लोगों ने कहा था कि ये मोटा है भजन क्या करेगा। स्वामी जी महाराज ने ये कहा कि ऐसा क्यों कहते हो। तुमको क्या पता मालिक की किस पर दया कृपा हो जाय। ये बात मुझे लगी थी एक महीने में ही मैं बहुत दुबला हो गया।
∎ तुम भजन करने में सावधानी नहीं बरतते हो । तुम्हें सोचना चाहिए कि चोरी भी आसानी से नहीं की जा सकती। बड़ी सावधानी बरतनी पड़ती है कि कोई पकड़ न ले। किसी ने देखा लिया तो डण्डे पड़ेंगे। अन्धेरे में कहीं कांटे झाड़ में फंस गए तो चीख चिल्ला भी नहीं सकते। फिर ये तो भजन है। इसमें तुम्हें बहुत सावधान और होशियार रहना चाहिए।
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