देश के मंत्री-सलाहकार जब त्यागी-बलिदानी होते हैं तब देश में राम राज्य और स्वर्णयुग कायम होता है।

जयगुरुदेव

प्रेस नोट/ दिनांक 28.08.2021
दुजोद आश्रम, सीकर, राजस्थान

देश के मंत्री-सलाहकार जब त्यागी-बलिदानी होते हैं तब देश में राम राज्य और स्वर्णयुग कायम होता है।

जीवन, घर, समाज, राष्ट्र, विश्व में सुख और संम्पन्ता लाने का सरल आध्यात्मिक उपाय बताने वाले,
उज्जैन के पूज्य संत बाबा उमाकान्त जी महाराज ने 16 अगस्त 2021 को दूजोद आश्रम, सीकर, राजस्थान में सतसंग सुनाते हुए चन्द्रगुप्त और चाणक्य के वृतांत के माध्यम से बताया कि,
जिस देश मे मंत्री त्यागी, बलिदानी और ईमानदार होते हैं, उस राज्य में रामराज्य जैसी व्यवस्था होती है और वो युग स्वर्ण युग बन जाता है।

राज्य व्यवस्था मंत्री की ईमानदारी, समझदारी पर बहुत निर्भर करती है।
पहले के राजा लोगों को बहुत सी चीज की जानकारी नहीं रहती थी। मंत्रियों को ज्यादा जानकारी होती थी। जो मंत्री चतुर, होशियार रहते थे तो राज्य की व्यवस्था बहुत अच्छी चलती थी।
त्यागी - तपस्वी जब मंत्री होते थे तो वही स्वर्ण युग कहलाता था, राम राज्य कहलाता था। जिस राज्य के मंत्री चाणक्य जैसे हुए तो चंद्रगुप्त का कार्यकाल स्वर्ण युग जैसे था।

चाणक्य की वजह से चंद्रगुप्त का युग स्वर्णिम युग बना।

ह्वेन सांग और फाह्यान ये दो विद्यार्थी विदेश से आये थे, पढ़ने के लिये तो चंद्रगुप्त का समय था। उसके राज्य को देखा कहा कि बहुत बढ़िया व्यवस्था है, बहुत बढ़िया इंतजाम है। आपने तो बहुत बढ़िया इंतजाम किया।
तो उन्होंने कहा ये श्रेय मेरे मंत्री को देना चाहिए आपको। उन्होंने इतना बढ़िया इंतजाम सब कर दिया है। वही राज्य को एक तरह से बढ़िया ढंग से चला रहे हैं।
जब बाहर निकले तो पूछा कि कौन सा ऐसा मंत्री है जिसने इतना बढ़िया इंतजाम कर दिया है? पूछा तो लोगों ने कहा कि चले जाओ नदी के किनारे वहां चाणक्य रहते हैं झोपड़ी बनाकर के।

उनसे अगर मिलना है तो वहां चले जाओ तो दोनों वहां पर गए। अंधेरा हो गया था। उनको प्रणाम किया तो बोले महाराज आपसे हम मिलने आए हैं। आपसे हमको कुछ बात करनी है। तो उन्होंने पूछा आप जो बात करोगे उससे आपका या आपके देश का फायदा होगा या उससे मेरे देश का या मेरे राजा का फायदा होगा?
जब विद्यार्थियों ने कहा कि मेरा और मेरे देश का फायदा होगा तब चाणक्य जिस दीपक जला करके जो लिखा पढ़ी कर रहे थे, उसको बुझा दिया और उसी के बगल में दूसरा दीपक रखा हुआ था उसको जलाया और काफी देर तक बातचीत किया।

दोनों लड़के बहुत खुश हो गए, प्रसन्न हो गए। फिर इन्होंने सोचा कहीं ऐसा तो नहीं है कि इन्होंने कुछ जादू किया हो एक दीपक बुझा के और दूसरा दीपक जला के और उससे हम प्रभावित हो गये?
तो एक ने पूछ ही लिया कि अब आप बताइए पहले वाला दीपक आपने क्यों बुझाया और इस को क्यों जलाया? तब उन्होंने कहा देखो! जब तुमने कहा कि मेरा और मेरे देश का फायदा होगा तब उस समय पर हमने सोचा हमारे देश का, हमारा कोई फायदा होने वाला नहीं है, हमारे राज्य का कोई फायदा होना नहीं तो राजकोष का मैं तेल जला रहा था, शासकीय काम कर रहा था। उसको मैंने बुझा देना उचित समझा।

और मैंने अपनी मेहनत की कमाई का तेल जला कर के, दीपक जला कर के, आपको मेरा मेहमान मानते हुए आपसे बात करना मुनासिब समझा। वे बहुत प्रभावित हुए।
तो आप यह समझो भारत में इस तरह के त्यागी मंत्री राजा हुये जिनका इतिहास में नाम स्वर्ण अक्षरों में लिखा हुआ है। जिन्होंने धर्म के लिए काम किया, अबला की जिन्होंने लाज बचाई, जैसे जटायु का नाम स्वर्ण अक्षरों में लिखा है।
इनका आज भी इतिहास में नाम है। इस बात को आप सभी लोगों को सोचने, समझने और विचार करने के लिए याद दिला रहा हूँ।

Baba-umakantji-maharaj


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