भाव-भक्ति और श्रद्धा के अनुसार ही सन्तों से दया मिलती है।

जय गुरु देव
प्रेस नोट/ 25 जुलाई 2021
बाबा उमाकान्त जी महाराज आश्रम,
डेराठू, अजमेर, राजस्थान

भाव-भक्ति और श्रद्धा के अनुसार ही सन्तों से दया मिलती है।

जीवों को नर्क और चौरासी की आग से बचने का सीधा और सरल रास्ता नामदान देने वाले वर्तमान के पूरे सन्त सतगुरु बाबा उमाकान्त जी महाराज ने अपने देराठू, अजमेर स्थित आश्रम से 24 जुलाई 2021 को गुरु पूर्णिमा के महापर्व पर यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम (Jaigurudevukm) प्रसारित सतसंग में बताया कि,
सन्त सतगुरु के दरबार में मिले प्रसाद का विशेष महत्त्व होता है। इस गुरु पूर्णिमा पर गुरु महाराज की दया से बना प्रसाद फलदायी होगा।
देखो! सन्तमत में मंदिर नहीं होता। वो तो इसलिए बनाया जाता था कि वहां जाकर घंटा-दो घंटा मालिक को याद करेंगे। नहीं तो घर में नाना जंजाल में फसें रहते हैं, समय निकल जाता है। तो सुबह-शाम लोग मंदिर जाकर ध्यान लगाते, साधना करते थे।

ध्यान मूलं गुरु मूर्ति

यानी गुरु का ध्यान होना चाहिए।
गुरु का ध्यान कर प्यारे, बिना इसके नहीं छुटना।
तो गुरु का ध्यान सन्तमत में होता है। लेकिन गुरु का चेहरा भूल जाता है तो फोटो या मूर्ति रहती है तो चेहरा याद आ जाता है, इसलिए मंदिर लोग बनाते थे। इसीलिए हम भी फोटो लगवा देते हैं क्यूंकि आपका अन्तर में ध्यान नहीं रुकता। गुरु को भूल जाते हो। अभी गुरु महाराज के मंदिर जगह जगह बना लो, फोटो लगा लो।

जन हित के कई काम प्रेमियों द्वारा निरंतर चलाये जा रहे हैं।

इसलिए अपने लोगों ने जगह-जगह आश्रम बना लिया। फोटो लगा लिया और अब वहां दोनों समय ध्यान-भजन होता है, प्रसाद का वितरण होता है। कोई भी आवे, कोई रोक टोक नहीं। गौशालायें, अस्पताल खुलवा दिए गए। जनहित का काम निरंतर हो रहा है। गुरु महाराज की पुण्य तिथि का मासिक भंडारा कृष्ण पक्ष त्रियोदशी को शुरू हो गया।
ध्यान-भजन करो, नाम ध्वनि करो, प्रसाद खिलाओ तो आश्रमों पर ये चालू हो गया। तो आप प्रसाद ले लेना, जल्दबाजी मत करना। इस प्रसाद में कोई मीठी चीज मिला कर उसे भी प्रसाद बना लेना उसमें गुरु महाराज की दया जारी रहेगी।
सब जगह बाँट देना। जो 9 दिन गुरु पूर्णिमा का कार्यक्रम होगा, उसमें भी बांटना।

जो लोग किसी कारण से नहीं आ पाए, लेकिन अच्छे भाव हैं, उन्हें भी फायदा मिलेगा।

जो लोग यहाँ किसी तकलीफ, परेशानी में पड़ गए, किसी कारण से नहीं पहुँच पाए, लेकिन भाव अच्छे थे, मन लगा हुआ है की गुरु पूर्णिमा में चलते, प्रसाद ले आते, उनको भी लाभ-फायदा मिलेगा।
ये प्रसाद ऐसा है की भाव-भक्ति के अनुसार फल मिलता है। इसलिए जैसा भाव-भक्ति-श्रद्धा होती, उस हिसाब से सब को कुछ न कुछ लाभ प्रसाद खाने से मिलेगा।
इसलिए प्रसाद वितरण दूर तक हो जाना चाहिए. जो इसकी कदर करे उसे दे दो। जो प्रसाद की कदर नहीं करते, वो बाद में पछताते हैं।

shraddha-saburi



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