जयगुरुदेव
प्रेस नोट/दिनांक 27 जुलाई 2021
बाबा उमाकान्त जी महाराज आश्रम,
देराठू, अजमेर, राजस्थान
इस कलयुग में सुमिरन-ध्यान-भजन यह संजीवनी बूटी की तरह से करेगा काम।
जीवों को मुक्ति मोक्ष का रास्ता नामदान देकर, आत्मा को परमात्मा से मिलाने का सीधा और सरल मार्ग बताने वाले वर्तमान के पूरे सन्त सतगुरु बाबा उमाकान्त जी महाराज ने 23 जुलाई 2021 को 9 दिवसीय गुरु पूर्णिमा कार्यक्रम की पूर्व संध्या पर अपने देराठू आश्रम, अजमेर से प्रेमी भक्तों को बताया कि,
ध्यान भजन जो आपको कराया-बताया गया वो इस समय पर कलयुग में संजीवनी बूटी की तरह से है।
जब शक्ति बाण लगने से लक्ष्मण जी मूर्छित हुए तो हनुमान जी पूरा पहाड़ ले आये। वैद्य ने उसमें से संजीवनी बूटी निकाल कर सुंघाया तो लक्ष्मण जी की मूर्छा खत्म हुई।
इसी प्रकार आप यह समझो कि गुरु महाराज के और उनके बाद के सभी नामदानियों के लिए यह ध्यान-भजन-सुमिरन संजीवनी बूटी की तरह से है।
रोज ध्यान-भजन-सुमिरन कर जन्म-जन्मान्तरों के कर्मों को काटो।
अब यह है कि एक दिन करने से काम नहीं चलेगा। एक दिन आपने ध्यान लगा लिया, भजन कर लिया। इससे जन्म जन्मांतर के कर्म नहीं कटेंगे और शरीर से फिर बुरे कर्म होने लग गए तो फिर?
जब बार-बार साधना करेंगे, जैसे कोई जड़ी होती है, घोटी जाती है, पिया जाता है तब उसका फायदा दिखाई पड़ता है। ऐसे ही बार-बार करना पड़ेगा, रोज करना पड़ेगा, सुबह और शाम करना पड़ेगा।
अभी मन इस शरीर का राजा बन बैठा है, इंद्रियों से गलत काम करवाता है।
जो मन है वो शरीर का राजा बना हुआ है। शरीर से गलत करवाता है। आंख से गलत देख कर, कान से निंदा-बुराई, बुरी बातों को सुन कर, फिर मुंह से गलत बुलवाता है।
शरीर के अन्य अंगों से, हाथ से, पैर से, इंद्रियों से यह मन गलत काम करवाता है। जब सुमिरन ध्यान भजन करोगे तो तब यह मन ढीला पड़ेगा, अच्छा चिंतन करेगा। किसी के अंदर बुराई आ गई होगी तो बुराई हट जाएगी। फिर बुरे की तरफ मन नहीं ले जाएगा, सही हो जाएगा। इसलिए रोज करना।
त्योहारों में संतो के पास जाकर लोग सत्संग सुनते थे तो हर तरह जानकारी रहती थी।
त्यौहारो में सन्तों के पास लोग जाते थे। उपदेश उनके सुनते थे और बातों को पकड़ कर, समझ कर घर आते और अमल करते थे। दवा बहुत अच्छी हो, वैद्य बहुत अच्छा हो लेकिन दवा न खाए जाय तो लाभ नहीं मिलेगा।
अभी जो तकलीफें हैं, और ज्यादा आने वाली हैं, यह ऐसे जाने वाली नहीं है।
इस समय पर जो ये तकलीफें, मर्ज पैदा हो रहे हैं, ये ऐसे जाने वाले नहीं है। यह तो भजन सेवा से ही जाएगा। बराबर सत्संग सुनते रहोगे। मन के ऊपर जब चोट पडती रहेगी तब ढीला पड़ेगा। अभी तो शरीर को फंसा दिया है। जब मन निर्मल हो जाएगा तब अपना वतन, अपना मालिक मिलेगा। मनुष्य के अंदर देवी-देवताओं का दर्शन हो पाएगा।
जब शब्द मिलेगा तब अनहद वेद वाणी,आकाश वाणी जिसको कहा गया, वह भी सुनाई पड़ेगी। इस समय पर जीवात्मा मूर्छित अवस्था में पड़ी हुई है। इस का संग मन के साथ हो गया। इस समय पर मन इंद्रियों के घाट पर बैठ कर के रस लेने लग गया। इसलिए जीवात्मा इस समय पर बिल्कुल मूर्छित अवस्था में पड़ी हुई है।
सांसों की पूंजी गिन करके मिली है। एक-एक मिनट जीवन का समय निकला जा रहा है।
एक-एक मिनट जीवन का यह समय निकला जा रहा है। दिन और रात आपकी उम्र को खत्म कर दे रहे हैं। उम्र को चाट रहे हैं। सांसों की पूंजी गिन कर खर्च करने के लिए मिली है। जैसे ही खर्च हो जाएगी वैसे ही शरीर धड़ाम से गिर जाएगा।
इसकी कीमत नहीं रहेगी। कितना भी इसको अच्छा खिलाओ-पहनाओ, कितना भी सुंदर मकान में रखो, इसके सुख के लिए धन इकट्ठा कर लो, कितनी ऊंची कुर्सी पर शरीर को बैठा दो, कितने लोगों को धोखा दे दो, बेईमानी कर लो लेकिन एक दिन यह शरीर बिल्कुल मिट्टी हो जाएगा। लोग यहीं कहने लगेंगे कि जल्दी ले जाओ नहीं तो मिट्टी खराब हो जाएगी।
तो भाई! शरीर के रहते-रहते अपना काम कर लो, इसलिए ये मनुष्य आपको मिला है।
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