*जयगुरुदेव नाम आदमी-इंसान का नाम नहीं, उस भगवान, परमात्मा का नाम है-बाबा उमाकान्त जी महाराज*

जय गुरु देव

प्रेस नोट-1
22 जून 2021
बाबा उमाकान्त जी महाराज आश्रम, उज्जैन, म.प्र.

*जयगुरुदेव नाम आदमी-इंसान का नाम नहीं, उस भगवान, परमात्मा का नाम है-बाबा उमाकान्त जी महाराज*

जीते जी इसी मानव मंदिर में मुक्ति-मोक्ष का रास्ता बताने वाले वर्तमान के पूरे सन्त बाबा उमाकान्त महाराज ने 28 जनवरी 2019 को नंदुरबार, महाराष्ट्र में हुए, यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम (jaigurudevukm) पर प्रसारित सतसंग में बताया कि देखो प्रेमियों द्वापर में राम नाम जगाया हुआ नाम था। उस समय पर उसमें शक्ति थी। विभीषण के घर पर राम नाम लिखा था इसलिए पूरी लंका जली लेकिन घर बच गया। जब कृष्ण आए तो कृष्ण नाम की शक्ति बढ़ी। कृष्ण को जिसने जहां पर पुकारा, कृष्ण खड़े मिले जैसे द्रोपति को उबारा।

*सतयुग में गुरु की होती थी पूजा और होता था गुरु नाम से उद्धार।*

त्रेता और द्वापर के पहले सतयुग था। सतयुग में गुरु की पूजा होती थी। गुरु नाम से उद्धार होता था। देखो गुरु कोई हाड मांस के शरीर का नाम नहीं होता। गुरु एक पॉवर, शक्ति होती है। वह शक्ति जिस शरीर के अंदर रहती है वही गुरु का काम करते है। वही असली गुरु कहलाते हैं जो शक्ति को अर्जित कर लेते हैं। तो गुरु महाराज (बाबा जयगुरुदेव) ने इस नाम को जगाया। गुरु के पहले जय लगाया जय मतलब जयमान। जयमान मतलब जो हमेशा रहे। हमेशा कौन रहता है? गुरु रहते हैं और देव माने देने वाला।

*जब कोई नया नाम आता है तो जल्दी लोगों को विश्वास नहीं होता।*

गुरु महाराज ने जयगुरुदेव नाम का प्रचार करना शुरू किया कि ये भगवान का नाम है, परमात्मा का नाम है। लेकिन जल्दी लोगों को विश्वास न हो। आप इतने लोग बैठे हो सब धार्मिक हो, भगवान को मानते हो लेकिन एक नाम से सब लोग नहीं मानते हो। जब भगवान का नया नाम कोई आता है तो जल्दी लोगों को विश्वास नहीं होता है।

*जयगुरुदेव नाम की खूब परीक्षा लोगों ने लिया, आप भी एक बार परीक्षा लेकर देख सकते हो।*

गुरु महाराज ने कहा कि परीक्षा लेकर देख लो। इम्तिहान लेना लोगों ने शुरू किया। जा रहे हैं, मधुमक्खीयों ने छेदना शुरू किया। मधुमक्खियां जब छेदने लगती हैं तो बगल का आदमी भी छोड़ करके भाग जाता है क्योंकि छुड़ाने वाले को ही लग जाती हैं, कोई मदद के लिए तैयार नहीं होते। 

जयगुरुदेव जयगुरुदेव जब बोला तो तेज हवा चली, मधुमक्खियां हवा से साथ उड़ गईं, जान बच गई। नहाने के लिए गया, डूबने लगा, तिनके का भी सहारा नहीं है। जयगुरुदेव जयगुरुदेव बोला, पानी की तेज हिलोर आयी, किनारे लगा दिया, जान बच गई। मौत के समय बड़ी पीड़ा बड़ा दर्द, छटपटाया। 

मरने वाले के प्रेमी ने कान में 10 बार जयगुरुदेव बोल दिया। बोलते ही मरने वाला आंख खोलकर बताने लग गया, यमराज के दूत हट गए। बड़ी मार मार रहे थे, आग से झुलसा रहे थे अब आराम से जा रहा हूं। खूब परीक्षा लिया लोगों ने। आप भी परीक्षा ले कर देख लेना। अगर विश्वास न हो तो आप कोई भी एक बार परीक्षा ले करके देख सकते हो।

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