ये है विश्वास की ताकत कहानी संख्या 29.

जयगुरुदेव आध्यात्मिक सन्देश

कहानी संख्या 29. 
राम दी चिड़िया, राम दा खेत​ ​चुग लो चिड़ियों, भर-भर पेट।।​

​जब  "गुरु नानक देव जी"  किशोर अवस्था के थे, उन्हें उनके पिता ने फसलों की देखरेख के लिए खेत भेजा। 
वे खेत में जाकर प्रकृति के सौन्दर्य और गुरु ध्यान में लीन हो गए।

आने जाने वाले हैरत और हंसी से उन्हें निहारते निकल जाते​ थे।
​हैरत इसलिए कि चिड़िया खेत चुग रही है और वे  (गुरु नानक जी) आनंदित हो रहे थे।

हंसी इसलिये कि बालक नानक की मूर्खता समझ वे रोमांचित हो रहे थे की कैसा बुद्धू है पिता ने खेत रखवाली करने को भेजा और ये चिड़ियों को भगा नहीं रहा है बल्कि प्रसन्न हो रहा है!​

​कुछ लोगो ने घर जाकर शिकायत की।  
पिता दौड़े-दौड़े खेत पहुंचे तो देखा कि सैकड़ो की तादाद में चिड़िया खेत चुग रही थी।

पिता ने चिड़ियों को खेत से भगाया यह देख बालक नानक ने उन्हें रोकते हुए कहा पिताजी इन्हें मत भगाइये। चिड़ियों को दाना चुगने दीजिये!​

​पिता ने कहा, कैसी मूर्खता भरी बातें करते हो, चिड़िया जब दाना चुग जाएगी तो हमारे लिए बचेगा क्या....?​
बालक नानक ने आसमान की ओर उंगली उठाते हुए कहा 👆🏻 इसे इस निरंकार पर छोड़ दीजिये, उसको सबकी चिंता है हमारी भी और इन चिड़ियों की भी. 

बालक नानक के मुंह से निकला....​
​राम दी चिड़िया, राम दा खेत | चुग लो चिड़ियों, भर-भर पेट।।​

​जब फसल कटी तो सब हैरत में थे क्योंकि पूरे गांव में सबसे अधिक दाना गुरु नानक जी के खेत से ही निकला था.!​🙏🏻🙏🏻

ये है विश्वास की ताकत

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जयगुरुदेव 

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