जयगुरुदेव
प्रेस नोट-नई दिल्ली
देश व जन हित के लिए सभी पार्टियां मिलकर संविधान में संशोधन करें -बाबा उमाकान्त जी महाराज
ऐसी व्यवस्था बन जाये कि सरकारी तौर पर सिर्फ दो जातियां बन जाये, एक अमीर और एक गरीब
आध्यात्मवाद के द्वारा घर-घर में सुख समृद्धि कैसे आये, समाज में प्रेम और भाईचारा कैसे बने और देश ख़ुश हाल कैसे बने- इसका सीधा सरल रास्ता बताने वाले उज्जैन के पूज्य संत बाबा उमाकान्त जी महाराज ने 20 अक्टूबर 2019 को दिल्ली के रामलीला मैदान से संदेश देते हुए कहा कि देखो प्रेमियों आप इस बात को समझो कि सरकार के हाथ में क्या है? न्याय और सुरक्षा है। रोजी रोटी किसके हाथ में है? उस मालिक के हाथ में जिसके लिए कहा गया है-
*अजगर करे न चाकरी पंछी करे न काम।
दास मलूका कह गए सबके दाता राम।।*
वह देता है। अब अगर यह लोग न्याय सुरक्षा दे ले जाएं तो रोटी रोजी की व्यवस्था हम करा देंगे, मैं करा दूंगा।
जातिवाद, भाईवाद, भतीजावाद भाषावाद, आतंकवाद, माओवाद यह इस समय जहर फैला रहे हैं
लेकिन यह भी बेचारे क्या करें? संविधान ही ऐसा बना हुआ है कि संविधान के खिलाफ यह जा नहीं पाते हैं। जब भारत का संविधान बना था, बहुत ही अच्छा बना था। बहुत प्रेम से लोगों ने बनाया। कुछ दिन तक अच्छा चला लेकिन माहौल बदलता गया, सीजन बदलता गया, साल बदलता गया। अब वह परिस्थितियां नहीं रही।
इसलिए इस वक्त पर जितने भी पार्टी के लोग हैं, भारत देश और भारत के जनता के हित के लिए, उसने मिलकर के संशोधन करा देना चाहिए।
कुछ चीजें ऐसी हैं जो इस वक्त पर जहर फैला रही हैं जैसे आपका यह जातिवाद, भाईवाद, भतीजावाद, भाषावाद, माओवाद, आतंकवाद यह जो वाद है, यह सब जहर फैला रहे हैं। यह क्या है यह स्लो पॉइजन है कि जैसे हल्का जहर होता है। धीरे-धीरे आंतों को खत्म कर देता है, लीवर को डैमेज जिसको कहते हैं कर देता है। ऐसे ही है।
कुछ इस तरह का नियम बन जाए कि सरकारी तौर पर 2 जातियां रहे। एक गरीब और एक अमीर। जिसके पास खाने को है खाए। अपना रोटी-रोजी नहीं है, रोटी-रोजी की कमाये और खाए। जिसके पास नहीं है। उसकी व्यवस्था कर दी जाए। कुछ इस तरह की व्यवस्था कर दी जाए जैसे बिजली और टेलीफोन का बिल लोग भर देते हैं अपनी तरफ से। ऐसे व्यापारी टैक्स देता जाए और समय-समय पर ईमानदारी से देता जाए तो समस्या सब सुलझती जाएगी।
जैसे एक सेठ जी थे न दूध मंगाते थे। तो देखा दूध में पानी मिलने से रोकने के लिए एक इंस्पेक्टर रख दिया। पानी क्यों आता था? वह आते थे, पी लेते थे और उसे मिला देते थे पानी दूध में। तो हल्का रहता था। इंस्पेक्टर ने कहा देख इसमें थोड़ा हमारा भी हिस्सा रखना। अब वह उसमें से निकाल दें और पानी मिला दे। फिर देखा कि पानी और बढ़ रहा तो एक और रख दिया। तो वह भी उसी में दूध पीने लग गया। 1 दिन ऐसा हुआ कि खाली रंग उसमें रहा। बाकी सब पानी-पानी है। ऐसे ही ऐसी व्यवस्था जब हो जाती हैं तो काम खराब हो जाता है।
देश में जितनी ही पार्टियां बढ़ती चली जा रही हैं उतनी ही व्यवस्था खराब होती जा रही है
देखो जब देश खतरे में होता है, देश की जनता जब खतरे में होती है, जान का खतरा होता है, सबको इकट्ठा कर लिया जाता है और सब एक हो जाते हैं। देखो जितनी भी पार्टियां बढ़ती चली जा रही हैं, उतनी ही व्यवस्था खराब होती चली जा रही है। सारे देश में जो पार्टियां हैं, इनको खत्म कर दिया जाए और इनकी ट्रेनिंग दी जाए। एक अधिकारी को आईपीएस कंपटीशन में बैठना पड़ता है और उनकी ट्रेनिंग होती है तब कुर्सी देते हैं। इनकी ट्रेनिंग अगर दी जाए और उसमें जो पास हो जाएं उनको कुछ को पक्ष में और कुछ को विपक्ष में बैठा दिया जाए तो व्यवस्था सही हो जाए।
प्रकृति जैसे मौका देती है समय-समय पर, ऐसे ही इनको मौका देना चाहिए जिससे व्यवस्था हो जाये सही
आप इस बात को समझो बहुत सी संविधान की धाराएं इस तरह की हैं कि यह जज लोग जजमेंट नहीं कर पाते हैं। यह सोचते हैं कहीं रिटायर होते-होते हम ही किसी केस में न फंस जाएं और हमें ही उस कोर्ट में खड़ा होना पड़े जहां पर हम न्याय देते थे, न्याय लेने के लिए खड़ा होना पड़े। सुरक्षा वाले भी घबराते हैं कहीं किसी धारा में कानून के अंदर हम भी ना आ जाएं।
समय-समय पर जैसे प्रकृति लोगों को मौका देती है कि अब गरम कपड़ा पहनो, अब गर्मी आ गई। बरसात आ गई, छाता लेकर चलो। ठंडी आ गई अब गरम कपड़ा निकालो, मौका देती है। ऐसे ही इस समय पर जनता को जनता के जो सेवा करने वाले लोग हैं इनको ऐसा मौका देना चाहिए, नियम बनाना चाहिए जिससे व्यवस्था सही हो जाए।
।।जयगुरुदेव।।
- परम् सन्त बाबा उमाकान्त जी महाराज आश्रम उज्जैन (म.प्र) भारत
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