प्रेस नोट12.02.2021, राजनन्दगांव, छत्तीसगढ़ *धरती पर प्रथम सन्त कबीर साहब जी से संतो की वंशावली शुरू हुई*

प्रेस नोट
12.02.2021, राजनन्दगांव, छत्तीसगढ़
 *धरती पर प्रथम सन्त कबीर साहब जी से संतो की वंशावली शुरू हुई*

विश्व विख्यात परम् सन्त बाबा जय गुरु देव जी महाराज के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी, वक्त के सन्त सतगुरु बाबा उमाकान्त जी महाराज ने 12 फरवरी 2021 को राजनन्दगांव, छत्तीसगढ़ में सत्संग में संतो की महिमा का वर्णन करते हुए बताया कि यह देखा गया है कि नाम दान देने वाले इस धरती पर एक ही सन्त रहते हैं, मौजूदा जिनको चार्ज, जिनको आदेश होता है, वही नामदान देते हैं। यह सन्तों की वंशावली बता रही है। महाराज जी ने बताया कि कबीर साहब से संतो की वंशावली शुरू हुई। सबसे प्रथम सन्त कबीर साहब थे और सन्तमत का विस्तार उन्होंने किया। सन्तमत के बारे में उन्होंने ही बताया - यह जीवात्मा कहां से आई है, कैसे जाएगी परमात्मा के पास।

*जीवात्मा को नर्कों में कैसे सजा मिलती है, इसका भेद संतों ने खोला*

महाराज जी ने बताया कि कैसे इस जीवात्मा को नर्कों में सजा मिलती है। इसका भेद उन्होंने ही खोला। उनके बहुत से शिष्य थे लेकिन सबको उन्होंने अधिकार नहीं दिया। उन्होंने *नानक जी* को अधिकार दिया, हुकुम दिया। नानक साहब जी ने बहुत से लोगों को नाम दान दिया।

*संतो की वंशावली जो दसों गुरु की है, उन्होंने अपने जानसीन अधिकार दिया*

महाराज जी ने बताया कि यह जो सन्तों की वंशावली जो दसों गुरु की है, वे एक दूसरे को देते चले गए। फिर उनके बाद में जो सबसे छोटे जो हुए हैं, आखरी में दसों गुरु में जो हुए हैं *गुरु गोविंद सिंह* जी किधर गए थे? आपके पुणे, महाराष्ट्र में जहां *रतन राव * जी को दिया। और रतन महाराज जी ने अधिकार किसको दिया? *श्याम राव महाराज* जी को दिया। इनके सबके शिष्य बहुत है। उन्होंने अधिकार किसको दिया? जिन्होंने राधास्वामी मत चलाया - *शिव दयाल जी महाराज* को अधिकार दिया। शिव दयाल जी महाराज के बहुत से थे लेकिन उन्होंने अधिकार किसको दिया? *विष्णु दयाल जी महाराज* को दिया। उन्होंने *घूरेलाल जी महाराज* को दिया और घूरे लाल जी महाराज जी ने हमारे गुरु महाराज को अधिकार दिया। तो अधिकार एक को ही को मिलता है।


*जिन को नाम दान देने का अधिकार देते हैं, साथ में उनको अपनी पावर भी अपनी देते हैं*

महाराज जी ने बताया कि जिनको अधिकार मिलता है नामदान देने का, पावर गुरु देते हैं। जो पावर उनके पास होती है वह उनको दे देते हैं। जैसे किसी अधिकारी को जब छुट्टी लेनी होती है या उसका ट्रांसफर होता है तब उसके पास जो भी चार्ज होता है वह दूसरे को दे देता है और फिर वह कुर्सी पर बैठता है और उस काम को करता है।

*गुरु शरीर का नाम नहीं, गुरु एक पावर है, एक शक्ति है*

महाराज जी ने कहा कि प्रेमियों! गुरु शरीर का नाम नहीं होता है। गुरु एक पावर होती है। अगर गुरु शरीर का नाम हो तो फिर एक ही आदमी को गुरु बना दें। जैसे राजा का बेटा पहले क्या था? राजा ही होता था। उसी को अधिकार मिलता था। ऐसे ही हो जाए सन्तमत में, लेकिन ऐसा नहीं होता है। यह शक्ति, पावर उनको देते हैं जिन पर उनकी मौज होती है। उसको दिया करते हैं। सतगुरु जब मिल जाते हैं तब लोक और परलोक दोनों बनाते हैं और वह सफाई करके जीवात्मा को निज धाम पहुंचाते हैं।

जब जब सन्त जगत में आवे।
ढूंढ-ढाल उनके ढिग जाओ।।
जाया करो दर्शन और सेवा।
पड़े रहो सदा चरणन में।।

महाराज जी ने कहा कि सच्चे सन्त सतगुरु आपको अगर मिल जाये तो उनके पास जाओ और उनसे नाम दान लेकर के अपनी आत्मा का कल्याण करा लो।

*मनुष्य शरीर को पाने का मतलब समझो। बहुत से युगों में इसका मतलब नही समझ पाये*

महाराज जी ने कहा कि मनुष्य शरीर का मतलब आप समझो। मनुष्य शरीर का मतलब अन्य युगों में समझ ही नहीं पाए। बस किसी ने कह दिया उसी में लग गए। पेड़ पूजने में, पत्थर पूजने में, बस उसी में लग गए, गंगा, जमुना, कृष्णा, कावेरी नदियों में मुक्ति-मोक्ष खोजने में लग गए। 

*मानव जन्म बड़ा अनमोल।
सतगुरु मिले भेद दे खोल।।*

महाराज जी ने बताया कि जब संतों का प्रादुर्भाव इस धरती पर हुआ तब इन्होंने समझाया। सतगुरु मिले तब उन्होंने अनमोल मानव जन्म का भेद खोला। 700 वर्षों से सरल करते आए। जीवात्मा के कल्याण का, उद्धार का यह रास्ता आसान करते चले आए और हमारे गुरु महाराज जी ने तो बिल्कुल आसान कर दिया। कोई भी कर सकता है, स्त्री हो या पुरुष हो, किसी भी जाति-मजहब का मानने वाला हो, कोई भी हो, 7-8 साल का बच्चा हो - हर कोई कर सकता है और हर कोई प्रभु का दर्शन कर सकता है, प्रभु की प्राप्ति कर सकता है, सुख शांति प्राप्त कर सकता है।


*बाबा जयगुरुदेव जी महाराज अपने उत्तराधिकारी बाबा उमाकान्त जी महाराज को नामदान देने का आदेश दे गये*


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