Sangat ki प्रार्थनाएं (post no.20)

परम् पूज्य स्वामी जी महाराज व महाराज जी का आदेश...
*प्रार्थना रोज होनी चाहिए एवं २-३ प्रार्थना -*
*सभी प्रेमियो को याद होनी चाहिए।*

प्रार्थना 118. 
★ Nirali he satguru ye lila 


निराली है सतगुरु यह लीला तुम्हारी। 
समझ कौन सकता है यह महिमा तुम्हारी ।।

जिसे जैसे चाहो बना कर निकालो ।
यह सर्व सृष्टि है नाट्यशाला तुम्हारी ।।

नटों में कभी जब तुम आते हो नायक ।
तो ले आती है तुमको इच्छा तुम्हारी ।।

जो हैं तेरे प्रेमी वो यह चाहते हैं ।
हृदय में रहे प्रेम प्रतिमा तुम्हारी ।।



प्रार्थना 119. 
★ Satguru Jaigurudev hamare 


सतगुरु जयगुरुदेव हमारे।
करुणानिधि एक बार दया की दृष्टि क्यों नहीं डारे।।
मुझ भूले का हाथ पकड़ कर बेठाओ निज द्वारे।।
दूर कहीं से बोल रहे हो मधुर मधुर स्वर प्यारे।।
फिर क्यों दरस नहीं देते हो चाहत हो मोहे मारे।।
मरना भला विरह में तेरे ऐसी मती हमारे।।
जो तुम निज स्वरूप दर्शन से आज नहीं मोहे तारे।।
तुम समान हित और ना मेरे, जाको करूं सहारे।।
यही ते द्वार पड़ा निर्बल यह जयगुरुदेव तुम्हारे।।
सतगुरु जयगुरुदेव हमारे।।



प्रार्थना 120. 
★ Suratiya guru se karat pukar 
 
सुरतिया गुरु से करत पुकार।
करें गुरु क्यों नहीं दया विचार।।
विनय करत मोहि बहु दिन बीते।
सहत रहे दुःख मन बीमार।।
बिन गुरु दरस दवा नहीं कोई।
मांग रहा दर्शन हर बार।।
जस होय मौज तुम्हारी प्यारे।
अंतर बाहर देव दीदार।।
जो अभी मेल ना हो सत्संग में।
घर में दर्शन करूं निहार।।
चाहे अपना रूप दिखाओ।
चाहे सुनाओ शब्द अपार।।
जस तस मन कछु शांति पावे।
सोई जुगत करो दातार।।
तुम्हारे घर कहू कमी न होई।
खोलो दया मैहर भंडार।।
सुरतिया गुरु से करत पुकार।।

जयगुरुदेव |
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प्रार्थना १२१.  
★ Tum samrarh mere satguru pyare  

तुम समरथ मेरे सतगुरु प्यारे।
                         हम बालक तुम पिता हमारे।।
मन चंचल मोहिं अति भरमावे।
                      काल करम मोहिं नित्त सतावे।।
 काम, क्रोध संग भरमत डोले।
                         जड़- चेतन की गाँठ न खोले।।
 मैं अति नीच, निकाम, नकारा।
                            गहे आय तुम सरन दयारा।।
 भूल -चूक अब बख़्शो मेरी।
                           दया मेहर अब करहु घनेरी।।
 निर्मल कर मन सुरत चढ़ाओ।
                               प्रेम दान दे चरन लगाओ।।
 घट में मोहिं निज दर्शन दीजै।
                           तन- मन सुरत प्रेम रंग भीजै।।
 मैं अजान कुछ माँग न जाना।
                       अपनी दया से देओ मोहिं दाना।।
 यह पुकार मेरी सुन लीजै।
                           मेहर दया अब सतगुरु कीजै।।



प्रार्थना १२२.  
★ Satguru tere charno ki 

सतगुरु तेरे चरणों की,
गर धूल जो मिल जाए।
सच कहता हूँ मेरी 
तकदीर बदल जाए॥

कहते हैं तेरी रहमत दिन रात बरसती है,
इक बून्द जो मिल जाय, मन की कली खिल जाय।।

ये मन बड़ा चंचल है,
कैसे इसे समझाऊं।
जितना इसे समझाऊं, 
उतना ही मचल जाए॥

मैहर की नजर रखना नजरों से गिराना ना,
नजरो से जो गिर जाए, 
मुश्किल ही संभल पाए॥

सतगुरु तेरे चरणों की 
गर धूल जो मिल जाए।
सच कहता हूँ मेरी 
तकदीर बदल जाए॥




जयगुरूदेव प्रार्थना १२३.  
Satguru shanti Vale
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सतगुरु शान्ति वाले तुमको लाखों प्रणाम,
भक्तों के रखवाले तुमको लाखों प्रमाण ।।१।।

सुत प्यारा परिवार है जितने, 
सबका प्रेम बतौर है सपने।
अन्त समय कोऊ नहीं अपने। 
भव पार लगाने वाले, तुमको लाखों प्रणाम-
भक्तों के रखवाले, तुमको लाखों प्रणाम ।।२।।

वेद, वेदान्त, पुराण बतायें,
सदाचार सतसंग गहायें।
ध्यान योग का भेद सिखायें।
ज्योति जगाने वाले, तुमको लाखों प्रणाम-
भक्तो के रखवाले तुमको लाखो प्रणाम ।।३।।

भक्तों पर हैं तुम्हरे लोचन, 
संकट टारन शोक विमोचन।
गुरू तुमही पापों के मोचन।
शब्द भेद बताने वाले, तुमको लाखों प्रणाम-
भक्तों के रखवाले, तुमको लाखों प्रणाम ।।४।।

दीनों की बिनती सुन लीजै,
किंकर जान के किरपा कीजै।
दर्शन अपना हरदम दीजै, 
यम त्रास मिटाने वाले, तुमको लाखों प्रणाम-
भक्तों के रखवाले, तुमको लाखों प्रणाम ।।५।।


जयगुरुदेव 
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Baba Jaigurudev ji
Swamiji 

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