महाराज जी ने गंगा सागर में क्या क्या कहा-

जयगुरुदेव

*महाराज जी के गंगासागर सतसंग की बातें-*


गंगा सागर में सतसंग सुनाते हुए परम पूज्य महाराज जी ने कहा कि-
 जब उस प्रभु की कृपा होती है तब इस कलयुग में सतसंग सुनने को मिलता है।

पहले लोग सतसंग सुनते रहते थे तो आज की तरह दुखी नही रहते थे।

जब तक लोक नही बनता है तब तक परलोक भी नही बन सकता है। सबसे पहले तो मैं आपके लोक बनाने का तरीका बताउंगा कि ये कैसे बनेगा।

आप ने कहा कि जब से ये मांसाहार बढ़ा,  लड़ाई,  झगड़ा,  क्रोध बहुत बढ़ गया। क्योंकि  ये तामसी भोजन है। मांसाहर से क्रोध जल्दी आता है,  गर्मी बढ़ती है।

जो लोग बकरा काटकर,  मुर्गे को काटकर या अन्य पशु पक्षियों को काटकर देवताओं की मूतियों के सामने चढ़ाते हैं, सोचते है कि देवता खुश हो जायेंगे,  तो देवता कभी खुश  नहीं हो सकते हैं। वह लोग अज्ञान है।  क्योंकि देवता का काम देना होता है,  देवता का काम जान लेना नही होता है।

पूज्य महाराज जी ने कहा कि जो लक्ष्मी को दांव पर लगाता है,  जुआ पैसा में लगाता है उसके पास रुपया पैसा नही रुकता है।

जो मेहनत और ईमानदारी की कमाई करके लाता है उसे बरकत मिलती है और लक्ष्मी उसके यहां रुक जाती हैं।
इसलिए मेहनत और ईमानदारी की कमाई करो जिससे आपको बरकत मिले।

जैसे कीचड़ में कमल खिला रहता है, कांटों में गुलाब खिला रहता है ऐसे ही आप अपना जीवन बना लो, यही लोक बनाले तरीका है।

आगे महाराज जी  ने कहा कि जो जीव सन्तों से छू जाते हैं उनको भी मनुष्य शरीर  मिल जाता है, जिस पेड़ का फल खा लें दया हो जाती है उसे भी मनुष्य शरीर मिल जाता है। ।गाय का,  बकरी का दूध पी लेते हैं तो उसको भी मनुष्य शरीर मिल जाता है।

फिर महाराज जी ने कहा कि उपर के लोकों का लेना देना कुछ दूरी तक का होता है। पुण्य क्षीणे मृत्यु लोके।

अगर स्वर्ग बैकुण्ठ लोक से देवी मृत्युलोक में आयेगी तो वो औरत ही बनेगी। और देवता आयेंगे तो पुरुष ही बनेंगे। और पिछले जन्म का स्वभाव बना रहता है।

माया के चक्कर में सब फंसे हुए हैं, काल और माया का यह देश है। अच्छे अच्छे साधक इसमें फंस गये।
*श्रृंगी को भंगी कर डाला, नारद के पीछे पड़ गयी पछाड़।*
*योग करत गोरख जी को लूटा, नेमी को लूटा हलवाय खिलाय।*



*परलोक बनाने का बात*

-------------------------------


पूज्य महाराज जी ने कहा कि गुरु की जरूरत सभी को होती है। इसलिए गुरु महाराज ने जयगुरुदेव नाम को जगाया है।

भगवान के अलग अलग नाम पर लोक विश्वास करते हैं और उन्हें मानते हैं,
इसी प्रकार यह जयगुरुदेव नाम भगवान, परमात्मा का नाम नाम है,

जब कोई नई चीज आती है तो लोगों को जल्दी विश्वास नही होता है। इसलिए इस नाम की आजमाइस कर के देख लीजिए। जब फायदा दिखायी देने लगता है तो विश्वास हो जाता है।

इस समय पर जयगुरुदेव नाम की धुन आप बोलोगे तो आपको भी फायदा दिखने लगेगा।

सच्चा गुरु हमेशा  देता ही है। और लेता ऐसी चीज है जिसे कोई भी न ले सकें। लोगों के पापों को, कर्मों की गठरी को लेकर योग अग्नि में जला देते हैं, या सेवा कराकर, कर्म कटवाकर उनके जीवों के कर्मों को कटवा देते हैं।

लोगों को लाकर सतसंग सुनवा देना, उनको भी परमार्थ की जानकारी करा देना यही भी पुण्य का काम होता है।

आपने बताया-
मौसम के बदलाव से, या खाने पीने की बदपरहेजी से जो रोग हो जाता है, वो तो दवा से ठीक हो जाता है। लेकिन जो कर्म रोग होते हैं, जान अनजान में जो बुरे कर्म बन जाते हैं वो दवा से ठीक नही होते हैं वो कर्म जब कटते हैं तब उसकी तकलीफ जाती है.

*नाम लेने से कर्म कटते है। नाम लेत भवसिन्धु सुखाही...*

जब नाम लेने से भवसागर सूख सकता है तो नाम लेने से कर्म भी कटेंगे।  लेकिन जब विश्वास ही नही करोगे तो कैसे फायदा होगा , इसलिए अपना काम करते हुए जयगुरुदेव नाम को रटते रहो।

जीवात्मा बहुत दिन से भूखी है और इसका भोजन है शब्द, नाम।
कोई कैसा भी हो शराबी, मांसाहारी, सबको बता दो कि रात को जब सोने जाओ तो थोड़ी देर जयगुरुदेव नाम की धुन बोलकर फिर सो जाओ। इससे कर्मो की सफाई होगी।

बराबर लोगो को नामधुन के बारे में बताते रहो,  समझाते रहो।  सुमिरन, ध्यान, भजन, करते रहो और लोगों को कराते रहो।
जब कोई सहारा न हो तब जयगुरुदेव नाम बोलो, आपकी मदद जरूर होगी।

मन की एक आदत है इससे अच्छा काम कराओगे तो अच्छा करेगा, नहीं  तो आपको बुराई में लगा के रखेगा। और बार बार गलत काम करायेगा।

फिर महाराज जी ने सभी को भजन करने का रास्ता यानी नामदान दिया। और कहा कि
आप गुरुदक्षिणा में अपनी बुराई हमें दे जाओ, आपने अभी तक जो भी बुरे काम किये, मांस खाया, मछली खाया, अण्डा खाया, शराब पिया, ताड़ी अफीम का सेवन किया। अब तक जो भी कुकर्म किया अब मत करना।

क्योंकि जान कर के अब गलती करोगे तो सख्त सजा मिलेगी। फिर आपका छुटकारा नही होगा।

इसलिए शाकाहारी का प्रचार करते रहो, शाकाहारी, सदाचारी नशामुक्त लोगों को बनाना जरूरी है।
क्योंकि वक्त बदलने वाला है कलयुग में ही सतयुग आने वाला है। जब दो  युग आमने सामने होते हैं तो विनाश  होता है,  जो प्रकृति के खिलाफ काम करेंगे उनको सजा मिलती है।

यह बीच का समय खराब है इसे पार करने की जरूरत है।  अच्छा समय जब आ जायेगा हिंसा हत्या बंद हो जायेगी।  गौ हत्या बंद हो जायेगी। जानवरों की हत्या बंद हो जायेगी।

अंत में महाराज जी ने मैहर की नजर करो मेरी और प्रार्थना और जयगुरुदेव नाम धुन बोलने के बाद इस सतसंग का समापन किया।


आध्यात्मिक सन्देश पढ़ने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद, जयगुरुदेव


sant-umakantji-maharaj
जयगुरुदेव सत्संग वचन 


एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ