Deewali Satsang Sandesh Baba umakantji Maharaj, Ujjain

जयगुरुदेव। आध्यात्मिक सन्देश


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दिनांक 26.10. 2019 को दीपावली के सत्संग में परम पूज्य महाराज जी ने सतसंग वचन फरमाते हुए कहा कि-

भारत त्यौहारों का देश है। लोगों की बुराई छुड़ाने के लिये और और अच्छाइयों को ग्रहण कराने के लिए त्यौहार समय समय पर आते रहते हैं।


फिर महाराज जी ने कहा कि जब से लोगों ने सतसंग सुनना बन्द किया, सन्तों के पास आना जाना बन्द किया तब से त्यौंहारों की रूपरेखा बदल गयी।



आप ने कहा कि जब काम क्रोध लोभ मोह अहंकार पर अंकुश लगता है। तब अन्दर में दीवाली होती है।

परम प्रकाश रूप दिन राती। नहीं कछु चहिए दिया घृत बाती।।


सतसंग में इसी चीज की जानकारी करायी जाती है।




उदाहरण के तौर पर महाराज जी ने बताया कि-

जैसे एक मक्खी आती है और शहद को खाकर उड़ जाती है। और दूसरी मक्खी शहद में कूंद पड़ती है।


वह उसी में फंस जाती है और उसकी जिन्दगी खतम हो जाती है।


तो आप भी फसो मत, बाल बच्चों के बीच में रहो, जो लेना देना कर्म कर्जा है उसे आप अदा कर लो।


लेकिन निशाना इस बात का बनाओ कि इस दुख के संसार में दुख झेलने के लिए अब ना आना पड़े।




आगे आपने कहा कि जब एक युग जाता है और दूसरा युग जब आता है तो लोग बहुत मरते हैं।  त्रेता गया तब बहुत मरे, द्वापर गया तब बहुत मरे।

तो कलयुग भी कुछ समय के लिए जा रहा है और बीच में ही सतयुग कुछ समय के लिए आ रहा है। तो उस चक्की में जो फंसेंगे वो पिसेंगे।


लेकिन जो नाम रूपी कील के सहारे रहेंगे वो बच जायेंगे।




फिर आपने कहा कि गुरु महाराज पूरे सन्त थे। इतने बड़े सन्त अभी तक इस धरती पर कोई आये ही नहीं।

अभी तक जितने भी सन्त इस धरती पर आये सब लोगों ने मिलकर भी जितने लोगों को नामदान नहीं बख्शा, नाम की कमाई नही करवाई, उससे कई गुना ज्यादा को गुरु महाराज ने नामदान दिया और कितने लोगों को नामी तक पहुंचा भी दिया।



आपने कहा कि पहले के समय में चार जनम लगते थे लेकिन अब एक ही जनम में पार हो सकते हो।
जिसको सन्त सतगुरु पकड़ते हैं तो छोड़ते नही हैं, पार करते ही हैं।

जीवहत्या बहुत बड़ा पाप होता है। आप जिसको बना नहीं सकते हो तो आप उसे बिगाड़ने के अधिकारी नही हो।

शाकाहारी रहना, मेहनत और ईमानदारी की कमाई करना, उसमे बरकत मिलती है।

मारकर के लाओगे, दिल दुखाकर के लाओगे, लूटकर लाओगे। तो उसी तरह से कोई आपका भी ले जाएगा।

और लालच से बचना, नही तो घर का भी चला जाएगा।



अपने प्रारब्ध पर विश्वास करो।
साई इतना दीजिए या में कुटम्ब समाये, 
मैं भी भूखा न रहूं साधू ना भूखा जाये।।





पूज्य महाराज जी ने कहा कि ये संसार आग है।

अगिया लागि बड़ी भारी गगन में।
ब्रह्मा भी जल गये, विष्णु भी जल गये, और जल गये शिव जटाधारी गगन में।।
ऋषि भी जल गये, मुनि भी जल गये, जल गये जोगी जति भारी गगन में।। 

इसलिए तृष्णा से परमार्थियों को बचना चाहिए।

आखिरी में महाराज जी ने कहा कि ध्यान भजन बराबर सबको करना है।



- बाबा उमाकान्त जी महाराज के सतसंग के अंश
बाबा जयगुरुदेव आश्रम उज्जैन
दिनांक 26/10/2019


जयगुरुदेव।







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