Manohar prarthna | मनोहर प्रार्थना (post no.11)

【 *जयगुरुदेव प्रार्थना 64* 】
Mere satguru mope daya karke
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मेरे सतगुरु मोपे दया करके,
भवसागर से कर पार मुझे।
तन मन धन तुम पर अर्पित है,
निज रूप दिखा दो करतार मुझे।।

नीर अपार न तीर दिखे,
कैसे धीर धरु अब मैं मन में।
मेरी नाँव डुबाये रही मग में,
शरणागत जान के तार मुझे।।

त्राह बसे बलवान बड़े,
जल घेर पड़े बहु मारग में ।
बाज रही विपरीत हवा,
तू ही एक बचावन हार मुझे।।

छूट गया सब साथ मेरा,
कुछ हाथ में जोर रहा भी नहीं।
हे नाथ न देर लगाओ जरा,
निज बांह पसार उबार मुझे।।

तेरा नाम जहाज बड़ा जग में,
सब वेद पुराण कहावत हैं।
जयगुरुदेव जपूँ दिन रात सदा,
गुरु कीजिए पार किनारे मुझे।।


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*जय गुरु देव प्रार्थना 65*
Me tera sevak
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मै तेरा सेवक, तू मेरा स्वामी,
चरणों मे रख अन्तर्यामी-
मै सेवक तुम स्वामी।।
तेरा मेरा जनम जनम का साथ,
रहूँ मै तेरा दास- मै तेरा सेवक...

स्वामी मुझे तुम छोड़ न देना,
अपनी मुझको भक्ति देना।
हम तो आये शरण तुम्हारी,
तुम पर जाऊँ मै बलिहारी।।
छोड़ूँगा न अब साथ तुम्हारा,
दया करो हे अनामी- मै तेरा सेवक...

दर दर भटका चैन न पाया,
अब तुमसे ही ध्यान लगाया।
जोड़ा अब तुमसे है नाता,
तुमसे बड़ा न कोई दाता।।
जग मे सतगुरु कोई न हमारा,
मैहर करो मेरे स्वामी-

मै तेरा सेवक...तू मेरा स्वामी,
चरणों मे रख अन्तरयामी।।


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*जयगुरुदेव प्रार्थना 66*
Mere satguru mope daya karke
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मेरे सतगुरु मोपे दया करके,
रख चरणों मे करतार मुझे।
तेरे प्यार मे ऐसे खो जाऊँ,
पागल समझे सँसार मुझे।।

धन दौलत की कोई चाह नही,
बस दे दो अपना प्यार मुझे।
मन बुद्धि चित्त रहे संग मे,
मिल जाये शुद्घ विचार मुझे--
मेरे सतगुरु मोपे दया करके....
रख चरणों मे करतार मुझे।।

तू ही मात पिता तू ही बन्धु है,
है और नही आधार मुझे।
तुम्हे सौप दिया है अपने को,
चाहे उझार करो या पार मुझे--
मेरे सतगुरु मोपे दया करके....
रख चरणों मे करतार मुझे।।

सम्पूर्ण दया के सिन्धु हो,
भक्ति का दो भंडार मुझे।
जब जब अपने मे झाकूँ मै,
मिल जाये तेरा दीदार मुझे--
मेरे सतगुरु मोपे दया करके....

मै शरण तुम्हारी आन पड़ा,
निज रूप दिखा दो सरकार मुझे।।
जब अंत समय मेरा आवे,
तुम ही दीखो साकार मुझे--
मेरे सतगुरु मोपे दया करके....
रख चरणों मे करतार मुझे....

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*जय गुरु देव प्रार्थना 67*
Mere satguru mujhko dena
जयगुरुदेव प्रार्थना
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मेरे सतगुरु मुझको देना सहारा,
कहीं छूट जाए न दामन तुम्हारा।।

इशारों से मुझको  बुलाती है दुनिया,
तेरे रास्ते से हटाती है दुनिया।
देखूं न दुनिया का झूठा पसारा-
कहीं छूट जाए न दामन तुम्हारा||

तुम्हारी दरश की स्वामी अखियाँ है प्यासी,
मेरे मन में रहती है छाई उदासी।
जलवा दिखा दो गुरु कब से पुकारा-
कहीं छूट जाए न दामन तुम्हारा||

तुम्हारे विरह में स्वामी नीन्द नहीं आती,
रात दिवस तेरी याद सताती।
जल्दी सम्हालो स्वामी कब से पुकारा-
कहीं छूट जाए न दामन तुम्हारा||

नैया मेरी मालिक भंवर में फंसी है,
तेरे सिवा स्वामी किसको पड़ी है।
देके सहारा स्वामी लगा दो किनारा-
कहीं छूट जाए न दामन तुम्हारा||


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*जय गुरु देव प्रार्थना 68*
Mere satguru tera sahara
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मेरे सतगुरु तेरा सहारा,
तू भक्तों का रखवाला।
नईया मेरी फँसी भंवर, तू पार लगाने वाला-
मेरे सतगुरु तेरा सहारा।।

सर पे है घनघोर घटा,
तूफान उठा है भारी।
रात अँधेरी राह न सूझे,
छूट गयी पतवारी।।
तुम बिन मेरी इस विपदा से
कौन करे निरवारा-
मेरे सतगुरु तेरा सहारा।।

जब तक तेरी दया न होती,
होत न कोई सहाई।
जिसके सिर पर हाथ तुम्हारा,
बाल न बांका होई।।
कृपा दृष्टि जिस पर हो जाये,
वो हो जाये भव से पारा-
मेरे सतगुरु तेरा सहारा।।

आशा त्याग जगत की सारी,
शरण तेरी मैं आया।
मै अज्ञान अबोध निर्बल हूँ,
माया जाल बंधाया।।
क्षमा करो अपराध अभय दो,
काटो भव दुःख सारा-
मेरे सतगुरु तेरा सहारा।।।

*जय गुरु देव...*


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*जय गुरु देव प्रार्थना 69*
Mere satguru mujhe tune
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मेरे सतगुरु मुझे तूने सब कुछ दिया,
तेरी रहमत का है शुक्रिया शुक्रिया....

तूने नर तन का मुझको ये चोला दिया,
अपनी रहमत का पूरा भरोसा दिया।
तूने खुशियों से दामन मेरा भर दिया--
तेरी रहमत का है शुक्रिया शुक्रिया....

अग्नि पानी हवा ये जमीं आसमां,
चाँद सूरज व तारे हैं बिखरे जहाँ।
दिल भी जलवों से अपने ही रोशन किया--
तेरी रहमत का है शुक्रिया शुक्रिया....

क्या खिलाये चमन मे चमेली, गुलाब,
तितली भोरों की महफ़िल का क्या है जबाब।
तूने रहमत के जलवों से नहला दिया--
तेरी रहमत का है शुक्रिया शुक्रिया....

तेरी रहमत से आकाश ऊँचा हुआ,
तेरी रहमत से सागर भी गहरा हुआ।
तूने धरती को कैसे हरा कर दिया---
तेरी रहमत का है शुक्रिया शुक्रिया....

तेरी रहमत से कलियां भी खिल गयीं,
तेरी रहमत से नदियां भी बह गयीं।
झील झरने समुन्दर ये पर्वत शिला---
तेरी रहमत का है शुक्रिया शुक्रिया....

अन्न और दूध फल तूने पैदा किये,
जिंदगी मे हजारों रंग भर दिये।
प्रेम उल्फत से अपना मुझे कर लिया--
तेरी रहमत का है शुक्रिया शुक्रिया....

तेरी कानून कुदरत की क्या शान है,
हुक्म से तेरी बनती सुबह शाम है।
वही होता जो होती है तेरी रजा--
तेरी रहमत का है शुक्रिया शुक्रिया....

जिंदगी है बखुद एक नेहमत तेरी,
आसमां से बरसती है रहमत तेरी।
दिल है तेरी मोहब्बत का जलता दिया--
तेरी रहमत का है शुक्रिया शुक्रिया....

सतगुरु सन्त के रूप मे तुम मिले,
जिंन्दगी मे हजारों कमल खिल गये।
ज्ञान भक्ति की मस्ती का प्याला दिया--
तेरी रहमत का है शुक्रिया शुक्रिया....


*जय गुरु देव...*
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