Manohar prarthna | मनोहर प्रार्थना (post no.11)
Mere satguru mope daya karke
भवसागर से कर पार मुझे।
तन मन धन तुम पर अर्पित है,
निज रूप दिखा दो करतार मुझे।।
कैसे धीर धरु अब मैं मन में।
मेरी नाँव डुबाये रही मग में,
शरणागत जान के तार मुझे।।
जल घेर पड़े बहु मारग में ।
बाज रही विपरीत हवा,
तू ही एक बचावन हार मुझे।।
कुछ हाथ में जोर रहा भी नहीं।
हे नाथ न देर लगाओ जरा,
निज बांह पसार उबार मुझे।।
सब वेद पुराण कहावत हैं।
जयगुरुदेव जपूँ दिन रात सदा,
गुरु कीजिए पार किनारे मुझे।।
Me tera sevak
चरणों मे रख अन्तर्यामी-
मै सेवक तुम स्वामी।।
रहूँ मै तेरा दास- मै तेरा सेवक...
अपनी मुझको भक्ति देना।
हम तो आये शरण तुम्हारी,
तुम पर जाऊँ मै बलिहारी।।
छोड़ूँगा न अब साथ तुम्हारा,
दया करो हे अनामी- मै तेरा सेवक...
अब तुमसे ही ध्यान लगाया।
जोड़ा अब तुमसे है नाता,
तुमसे बड़ा न कोई दाता।।
जग मे सतगुरु कोई न हमारा,
मैहर करो मेरे स्वामी-
चरणों मे रख अन्तरयामी।।
Mere satguru mope daya karke
मेरे सतगुरु मोपे दया करके,
रख चरणों मे करतार मुझे।
तेरे प्यार मे ऐसे खो जाऊँ,
पागल समझे सँसार मुझे।।
बस दे दो अपना प्यार मुझे।
मन बुद्धि चित्त रहे संग मे,
मिल जाये शुद्घ विचार मुझे--
मेरे सतगुरु मोपे दया करके....
रख चरणों मे करतार मुझे।।
है और नही आधार मुझे।
तुम्हे सौप दिया है अपने को,
चाहे उझार करो या पार मुझे--
मेरे सतगुरु मोपे दया करके....
रख चरणों मे करतार मुझे।।
भक्ति का दो भंडार मुझे।
जब जब अपने मे झाकूँ मै,
मिल जाये तेरा दीदार मुझे--
मेरे सतगुरु मोपे दया करके....
निज रूप दिखा दो सरकार मुझे।।
तुम ही दीखो साकार मुझे--
रख चरणों मे करतार मुझे....
जयगुरुदेव प्रार्थना
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मेरे सतगुरु मुझको देना सहारा,
कहीं छूट जाए न दामन तुम्हारा।।
तेरे रास्ते से हटाती है दुनिया।
देखूं न दुनिया का झूठा पसारा-
कहीं छूट जाए न दामन तुम्हारा||
मेरे मन में रहती है छाई उदासी।
जलवा दिखा दो गुरु कब से पुकारा-
कहीं छूट जाए न दामन तुम्हारा||
रात दिवस तेरी याद सताती।
जल्दी सम्हालो स्वामी कब से पुकारा-
कहीं छूट जाए न दामन तुम्हारा||
तेरे सिवा स्वामी किसको पड़ी है।
देके सहारा स्वामी लगा दो किनारा-
कहीं छूट जाए न दामन तुम्हारा||
*जय गुरु देव प्रार्थना 68*
तू भक्तों का रखवाला।
नईया मेरी फँसी भंवर, तू पार लगाने वाला-
मेरे सतगुरु तेरा सहारा।।
तूफान उठा है भारी।
रात अँधेरी राह न सूझे,
छूट गयी पतवारी।।
तुम बिन मेरी इस विपदा से
कौन करे निरवारा-
मेरे सतगुरु तेरा सहारा।।
होत न कोई सहाई।
जिसके सिर पर हाथ तुम्हारा,
बाल न बांका होई।।
कृपा दृष्टि जिस पर हो जाये,
वो हो जाये भव से पारा-
मेरे सतगुरु तेरा सहारा।।
शरण तेरी मैं आया।
मै अज्ञान अबोध निर्बल हूँ,
माया जाल बंधाया।।
क्षमा करो अपराध अभय दो,
काटो भव दुःख सारा-
मेरे सतगुरु तेरा सहारा।।।
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*जय गुरु देव प्रार्थना 69*
मेरे सतगुरु मुझे तूने सब कुछ दिया,
तेरी रहमत का है शुक्रिया शुक्रिया....
अपनी रहमत का पूरा भरोसा दिया।
तूने खुशियों से दामन मेरा भर दिया--
तेरी रहमत का है शुक्रिया शुक्रिया....
चाँद सूरज व तारे हैं बिखरे जहाँ।
दिल भी जलवों से अपने ही रोशन किया--
तेरी रहमत का है शुक्रिया शुक्रिया....
तितली भोरों की महफ़िल का क्या है जबाब।
तूने रहमत के जलवों से नहला दिया--
तेरी रहमत का है शुक्रिया शुक्रिया....
तेरी रहमत से सागर भी गहरा हुआ।
तूने धरती को कैसे हरा कर दिया---
तेरी रहमत का है शुक्रिया शुक्रिया....
तेरी रहमत से नदियां भी बह गयीं।
झील झरने समुन्दर ये पर्वत शिला---
तेरी रहमत का है शुक्रिया शुक्रिया....
जिंदगी मे हजारों रंग भर दिये।
प्रेम उल्फत से अपना मुझे कर लिया--
तेरी रहमत का है शुक्रिया शुक्रिया....
हुक्म से तेरी बनती सुबह शाम है।
वही होता जो होती है तेरी रजा--
तेरी रहमत का है शुक्रिया शुक्रिया....
आसमां से बरसती है रहमत तेरी।
दिल है तेरी मोहब्बत का जलता दिया--
तेरी रहमत का है शुक्रिया शुक्रिया....
जिंन्दगी मे हजारों कमल खिल गये।
ज्ञान भक्ति की मस्ती का प्याला दिया--
तेरी रहमत का है शुक्रिया शुक्रिया....
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