*अनमोल-वचन*

जयगुरुदेव

*‘‘मोह सकल व्याधिन कर मूला’’*
अर्थात मोह सभी परेशानियों की जड़ है।


पहला बंधन पड़ा देह का, दूसरा त्रिया जान।
तीसरा बंधन पुत्र विचारो, चौथा नाती जान।
नाती के कहूं नाती होवे, वा को कौन ठिकान।
धन-संपत्ति और हाट-हवेली, यह बंधन क्या करूं बखान।
चौलड़-पचलड़-सतलड़ रसरी,
बांध दिया तोहे बहू विधि तान।
मरे बिना तुम छूटो नाहीं, जीते जी धर सुनो न कान।’’

*देवता कभी कुर्बानी नहीं लेते -*

देवता का मतलब होता है देने वाला। वे तो हमेशा देते ही हैं, लेते नहीं हैं। जीव-जन्तुओं की हत्या करना या बलि चढ़ाने से देवता कभी खुश नहीं होते बल्कि नाराज होकर कुदरती आपदा, सूखा, बाढ़, ओला, अतिवृष्टि, तूफान, बिजली, भूस्खलन आदि से तबाही कर के, तमाम तरह की लाइलाज बीमारीयां पैदा करके पापों की सजा दे देते हैं।

*पेट में ही पड़ जाते हैं संस्कार -*

जो माताएं गर्भावस्था में पूजा-पाठ, साधना करती है, धार्मिक विचार-भावनाएं रखती है उनके बच्चे संस्कारी, बुद्धिजीवी, होशियार निकलते हैं। जो माताएं संयमित नहीं रहती है, खान-पान, आचार-व्यवहार पर ध्यान नहीं देती, उनके बच्चे नालायक निकल जाते हैं।
शराब – अपराध और भ्रष्टाचार की जननी है। जब से शराब का प्रचलन बढ़ा, अपराध व भ्रष्टाचार की घटनाएं दिनों-दिन तेजी से बढ़ती जा रही है। यदि देश में शराब बंद कर दी जाए तो 50 प्रतिशत अपराध तुरन्त बंद हो जाएंगे।

*अंडा, मांस, मछली के सेवन से खून बेमेल हो जाता है -*

जिस तरह मनुष्य शरीर में रोग-बीमारी होती है उसी तरह से पशु-पक्षी में भी बीमारी होती है। इनके अंडा-मांस खाने से मनुष्य का खून बेमेल हो जाता है और ऐसी नई बीमारियां लग जाती है जिनका इलाज संभव ही नहीं होता है। यदि मनुष्य की दवा दें तो बीमारी ठीक नहीं होती और पशुओं की दवा दें तो आदमी की मौत हो जाए। ऐसी स्थिति में दवा जीवन भर चलती रहती है।

*आगे भयंकर तबाही एवं बीमारीयां आ रही है -*

धरती पर इतना अपराध बढ़ गया है कि पांचों देवता नाराज है। समुद्र देवता तो धरती मां के आंचल को धोने के लिए तैयार खड़े हैं। यदि लोग नहीं समझे तो बहुत जन और धन की हानि होगी।

*जयगुरुदेव नाम ध्वनि से होगी जान-माल की रक्षा -*

खराब समय में यह जयगुरुदेव नाम लोगों की रक्षा करेगा। लोग खाते-पीते, चलते-फिरते, उठते-बैठते, हर वक्त मन में बोलकर, यथासंभव बोल कर स्वयं की एवं दूसरों के जान-माल की रक्षा के लिए जयगुरुदेव नाम की ध्वनि घर-घर में करो और कराओ।
लोग शाकाहारी, सदाचारी, नशा मुक्त होकर जयगुरुदेव नाम की परीक्षा ले सकते हैं। इस कलयुग में परमात्मा, प्रभु का पावन-पवित्र नाम है जयगुरुदेव।

*जयगुरुदेव जयगुरुदेव जयगुरुदेव जय जयगुरूदेव*

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ