जयगुरुदेव संदेश

[ स्वामी जी ने कहा ]

● जब भारत में बुराईयां बढ़ जाएंगी तो सबकुछ खतम कर देंगी। बहुत भारी तबाही आएगी। सन 50 में घोषणा की थी जैसे अंग्रेज गए वैसे ही रजवाड़े चले जाएंगे, जमींदार चले जाएंगे। ऊपर से नीचे तक सारी व्यवस्थाओं में उथल पुथल होगी। 
ऐसे समय में आपको बचाने वाला होगा तो वो कोई महात्मा होगा और उनकी शिक्षा दीक्षा ही उस उथल पुथल को रोक सकेगी और कोई नहीं रोक सकता।

●  लोग समझते हैं कि बाबाजी पगला गये हैं। महात्मा नंगे घूमते थे, मुंह पर पट्टी बांधते थे, अपना सन्देश घूम घूमकर सबको सुनाते थे, उनको भी लोगों ने पागल समझा लेकिन वही पागल आपको भी पागल बना देगा। आप चिन्ता मत कीजिए।

●  महात्मा जानते हैं कि सड़न और गन्दगी कैसे निकाली जाएगी। अभी बुद्धि में अच्छे बुरे का कोई  ज्ञान नहीं है, जानवरों की स्थिति बन गई है तो विनाश होगा। मेरी बातें अभी आपको अच्छी नहीं लगेंगी क्योंकि आप में रोग है। कुछ दिन बाद यहीं बातें आपको अच्छी और मीठी लगेंगी।

● आपसे अपील है कि बुराईयों का, बुरी घटनाओं का प्रचार बन्द कर दीजिए, चरित्र उठाने का अच्छी बातें करने का प्रचार होना चाहिए। गन्दे प्रचारों से गन्दगी फैल रही है और दिन पर दिन गन्दगी का समुद्र बनता जा रहा है।

●  जो विकार फैल गया है उसका सफाया होगा। शराब के नशे मे इस बिगड़ी व्यवस्था को ठीक नहीं कर सकते हो। आप अधिकारीगण हमारी एक एक बात को नोट कर लें। यह मेरा लिटरेचर (साहित्य) है। आगे कितनी भाषाओं में इसका अनुवाद होगा और वह सबके सामने आएगा यह आपको पता नहीं है।  - १९७४

●  आपकी एक एक बात बाबा जी जानते हैं पर आप बाबा जी की एक भी बात नहीं जानते हो। आगे एक दिन ऐसा समय आएगा कि जनता के सामने एक एक बात रक्खी जाएगी कि कब कहां और क्या बाबा जी ने कहा था।


*[ क्या आपको पता है कि - ]*

●  जब किसी दुर्घटना के कारण मौत होती है या कोई  जलकर या पानी में डूबकर या फांसी लगाकर अपनी जान दे देता है तो उसकी आत्मा प्रेत योनि में चली जाती है। प्रेत योनि बहुत दुखदायी है।
प्रकृति के नियम अनुसार मनुष्य योनि की बची हुई श्वांसो को प्रेत योनि में निपटाया जाता है, उसके बाद जीवात्मा का फैसला कर्मानुसार धर्मराय की कचहरी में होता है।

●  जो जानवरों को, पक्षियों को, मछलियों को व अन्य प्राणियों को मारते हैं या उनका मांस खाते हैं उनको गर्म तेल के कुण्ड में जलाया जाता है। जीव को बेहोशी भी नहीं आती और उसका शरीर भुनता रहता है।
कितने लाख वर्षों तक जीव उसमें जलाया जाएगा इसकी सजा यमराज सुनाते हैं।


*[ एक संस्मरण- बाबा जयगुरुदेव ]*

ये हठयोग का मार्ग नहीं। एक बार जब मैं साधना करता था तो चित्रकूट गया। भूख लगी लेकिन मैं चित्रकूट की घास पर डट कर बैठ गया और मन में सोचा कि किसी से मांगूगा नही तुम्हें देना पड़ेगा।
इतने में एक श्रद्धालु आया और उसने मेरे सामने खाने का सामान रख दिया। उसके बाद जब मैं गुरुमहाराज के पास गया तो उन्होनें कहा कि इस तरह का हठ क्यों किया ?
मुझे अपनी गल्ती का एहसास हो गया। मैंने मन ही मन यह तय कर लिया कि अब इस तरह की गल्ती नहीं करुंगा, कभी इस तरह हठ करके नहीं बेठूंगा।
चाहे काम हो या न हो पर वह मालिक भूखा नहीं सोने देगा। 


*[कुदरत का डंडा पड़ेगा ]*

जब पृथ्वी पर पाप बढ़ जाता है तब ईश्वर की पार्लियामेन्ट में अधर्मियों के विनाश की और अच्छे लोगों की रक्षा की एक रील तैयार की जाती है।
इसी रील के अनुसार कुदरत अपना काम करती है। इसके पहले इस भूमण्डल पर जो सन्त रहते हैं उनसे उस रील को पास कराना आवश्यक होता है।

संत सतपुरुष के रुप में होते हैं और सर्व समर्थ होते हैं। बिना उनकी मर्जी के यह काम नहीं हो सकता है अतः वे जीवों पर दया करके उनको एक लक्ष्मण रेखा के अन्तर्गत लेना चाहते हैं जिससे उनकी रक्षा हो सके।
जो जीव उनकी बातों को मान लेते हैं वो बच जाते हैं और बाकि लोग समाप्त हो जाते हैं।
वर्तमान में भी ठीक ऐसा ही कार्य हो रहा है।

जब तक बाबा जयगुरुदेव जी महाराज अपना प्रचार जीवों के कल्याण के लिए कर रहे हैं तब तक काल की शक्तियां रुकी हुई हैं और जब वो अपनी आवाज लगा लेंगे फिर कुदरत का डंडा पड़ेगा।
कुदरत के एक डंडे में करोड़ों का सफाया हो जाएगा। कुदरत बौखला गई है और बाबा जी से प्रार्थना करती है कि ये समझाने से नहीं मानेंगे। आप हमको मौका दीजिए। एक डंडे में इनकी अक्ल ठिकाने कर दूंगी।
(१९७४)

(शाकाहारी पत्रिका २१ नव. २०१०)
shakahari patrika 21 nov 2021
जयगुरुदेव|

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1 टिप्पणियाँ

  1. आपकी पोस्ट very good लोगों के लिए हेल्प करेगी। लेखक को बहुत-बहुत धन्यवाद Good informationJai Guru Dev

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Jaigurudev