जयगुरुदेव
● 1. ये मेरी कहानी है ●
4 जनवरी की बात है। हमारा बेटा कार लेकर सुबह 7 बजे काम से कहीं चला गया। शाम के 7 बजने वाले थे और हम लोग बड़ी बेसब्री से उसका इंतजार कर रहे थे। अन्धेरा हो चुका था, चिन्ता बढ़ती जा रही थी और उसका कुछ पता न था। अचानक फोन की घण्टी बजी और मैने फोन उठाया। दूसरी तरफ से लड़का बोल रहा था। उसने थोड़ी सी बात की और फोन काट दिया।
उसने बताया कि रास्ते में अचानक एक महिला आ गई और कार से टकराकर गिर गई और वो उसे लेकर अस्पताल जा रहा है। हमारी चिन्ता और बढ गई कि यह घटना कहां हुई, कितनी चोट लगी ?
अब क्या करें। हम दोनों पति पत्नि एक दूसरे का मुंह देखते रह गए। कुछ समझ नहीं आया कि क्या करें।
हम दोनों गुरुमहाराज को जयगुरुदेव जयगुरुदेव कहकर पुकारने लगे। इसके सिवाय और कुछ सहारा नजर नहीं आया। हम अपने को बेसहारा और लाचार महसूस करने लगे। बस एक ही रट लगाये रहे- जयगुरुदेव जयगुरुदेव।
साढ़े आठ बजे फिर बच्चे का फोन आया कि उसने महिला को उठाकर अस्पताल पहुंचा दिया है और एक्सरे रिपोर्ट की प्रतीक्षा है। साथ ही डाक्टर ने थाने को सूचित कर दिया है, पुलिस वाले आते ही होंगे। रिपोर्ट के बाद ही पता लगेगा और आप लोग चिन्ता न करें।
हम ज्यादा कुछ पूछ नहीं पाये और टेली फोन कट गया। हम तो पहले से ही चिन्तित और लाचार थे और अब जोर जोर से जयगुरुदेव जयगुरुदेव पुकारकर गुरु महाराज को याद करने लगे। और दूसरा रास्ता भी क्या था।
10 बज गये, नीन्द हमारी आंखों से गायब, भूख प्यास खत्म। चुपचाप बैठने और गुरुमहाराज से प्रार्थना करने के अलावा कोई रास्ता नहीं था। साढ़े ग्यारह बजे फिर फोन आया कि सब ठीक हो गया और घर आकर ही वह विस्तार से बताएगा। फिर फोन कट गया। देर रात लड़का आया और जो उसने दुर्घटना का बयान किया वह इस प्रकार हैः
मैं गाड़ी चला रहा था और वर्मा जी साथ में बैठे थे। अचानक किनारे से महिलाओं के बीच से एक औरत बीच सड़क पर भागी। इससे पहले कि मैं कुछ कर पाता वो गाडी से टकराकर सड़क पर गिर पड़ी। हमने आगे देखा ने पीछे फटाफट नीचे उतरकर उस महिला को उठाया और एक दूसरी महिला को साथ लेकर अस्पताल की तरफ चल पड़ा। पीछे से काफी लोग इकट्ठे हो गये और हल्ला भी करने लगे।
कोई कहता इनको पकड़ो मारो, बड़े गाड़ी वाले बनते हैं वगैरह वगैरह।
महिला भी चिल्ला चिल्ला कर शोर मचा रही थीं । अस्पताल के डाक्टर ने देखा और एक्सरा करने को कहा। हम रिपोर्ट का इंतजार कर रहे थे कि उसका पति भी वहां पंहुच गया।
एक्सरे की रिपोर्ट ठीक निकली और टूट फूट नही थी। डाक्टर ने दवाईयां लिख दीं। पुलिस वालों ने महिला का बयान दर्ज किया और कहा कि ‘इन भाई साहब का कोई दोष नही है। मैं तो ठीक किनारे से चल रही थी पर न जाने कि क्या सूझा कि मैं दूसरी तरफ की ओर दौड़ पड़ी और कार से टकरा गई।
उसके पति ने कहा कि हम तो भाई साहब के शुक्रगुजार हैं जिन्होने समय को न खोते हुए इन्हें अस्पताल पहुंचा दिया। बयान लेकर पुलिस ने मेरे कागज मुझे दे दिए। महिला उठकर ,खड़ी हो गई और चलने लगी तो मैंने कहा आइए आपको घर छोड़ दूं। उसके बाद उन्हें घर छोड़कर मैं घर आ गया।
यह सब सुनकर हम गुरुमहाराज की फोटो के आगे नतमस्तक हो गए। विश्वास और श्रद्धा हो तो गुरुमहाराज संकट की घड़ी में ही नही हर समय हमारा ध्यान रखते हैं। कोई ऐसा कार्य नहीं होने देते जिससे हमारा अहित होता हो।
-शोघी, शिमला, हि.प्र., रवीन्द्र नाथ ठाकुर।
गुरु की दया- [२]
मैं सियाराम फौजी आगरा का रहने वाला हूं अभी गया (बिहार) में सर्विस में हूं । मैं मेरे क्वार्टर में लेटे-लेटे साधना कर रहा था तो मालिक ने मुझे आवाज देकर साधना से हटाया और एकदम छत का पंखा गिरा, मगर मैं बच गया। मेरी पत्नी को थोड़ी चोट लगी। वह भी साधना कर रही थी। मालिक की दया से दोनों बच गये।
यह घटना 13.06.2000 दिन के 3 बजकर 5 मिनट की है। 30-35 किलो वजन का पंखा ऊपर से गिरा,मगर मुझे आवाज देकर मालिक ने उस स्थान से साधना करते हुए भी हटाकर बचा लिया।
(सियाराम फौजी, गाँव डांडा पो. सरहदी
तह. खैरागढ़ जि. आगरा यू.पी.)
[३] ● जयगुरुदेव नाम की महिमा ●
दिसम्बर 2001 की बात है। मेरे समीप के कुछ मित्रों ने तांत्रिक विद्या का प्रयोग कराकर हमारे पारिवारिक जीवन को अस्त व्यस्त कर दिया। इतना डर इतना भय व्याप्त हो गया कि मेरी और मेरी पत्नि की नींद उड़ गई, दिनचर्या अस्त व्यस्त हो गयी थी।
सिर में सदा भारीपन रहता था, नित्य कर्म में मन नहीं लगता था, सन्ध्या वन्दन पूजन सब निरर्थक हो गये। चारों और घोर निराशा थी।
आत्महत्या का विचार बनता फिर बिगड़ जाता। हम दोनों की दयनीय दशा हो गयी थी। जीवन में घोर निराशा बैठ गई। हताशा और निराशा चारों ओर मंडराने लगी थी।
तभी मेरे एक रिश्तेदार ने बाबा जयगुरुदेव का नाम जपने का परामर्श दिया।
मैं जयगुरुदेव नाम का जाप करने लगा। ऐसा करने से आंशिक लाभ हुआ। रात को जयगुरुदेव का जाप करते करते नींद आना प्रारम्भ हो गया।
हम दोनों को राहत मिलने लगी। आशा की किरण फूटी कि जीवन में फिर सुख शान्ति आ जायेगी।
मार्च 2002 में बाबा जयगुरुदेव जी महाराज का सत्संग सुना, बड़ी शान्ति मिली, बल मिला।
मेरे मन में निर्भयता आई।
होली का पर्व था। मथुरा में 27 मार्च को नामदान लिया। नित्य सुमिरन ध्यान भजन करने से मेरे समस्त कष्ट दूर हो गये हैं और जीवन में आशा का पुनः संचार होने लगा है तथा फिर से जीवन जीने का अवसर मिला है।
जयगुरुदेव नाम प्रभु का नाम है। चतुर्दिश से निराश प्राणी अगर बाबा जी की शरण में आ जायेगा तो उसका कल्याण हो जायेगा, जीवन सुफल हो जायेगा|
शेष क्रमशः अगली पोस्ट 2 में पढ़ें ...👇
जयगुरुदेव |
एक टिप्पणी भेजें
2 टिप्पणियाँ
JAIGURUDEV
जवाब देंहटाएंआपकी पोस्ट very good लोगों के लिए हेल्प करेगी। लेखक को बहुत-बहुत धन्यवाद Good informationJai Guru Dev
जवाब देंहटाएंJaigurudev