Jaigurudev vishesh sanesh

जयगुरुदेव
समय का संदेश
03.11.24 E
उज्जैन आश्रम 

1. *बहुत से लोग इन बच्चियों को, बच्चों को सतसंगों में लाते ही नहीं हैं।*
20.19 - 21.08

बहुत से लोग बच्चों को देवियों को सत्संग में लाते ही नहीं बच्चों को सत्संग में ले ही नहीं जाते हैं साप्ताहिक सत्संग में। वही बच्चे कुसंगत में पड़कर के बुरे संगत में पड़कर के और बिगड़ जाते हैं और जब बिगड़ जाते हैं तो जल्दी सुधरते नहीं है उनको सुधारने में बड़ी दिक्कत होती है। जैसे आप पेड़ लगाओ और पेड़ अगर टेढ़ा हो गया शुरू में और आपने कोई लकड़ी गाड़ करके उसको बांधा नहीं सीधा नहीं किया तो जब टेढ़ा हो जाता है तो सीधा नहीं होता है जल्दी बहुत मुश्किल से सीधा हो पाता है समय लगता है उसमें तो अब बच्चे बिगड़ जाते हैं लाते नहीं है, लेकिन पहले ले जाते थे उससे संस्कार बनते थे लोगों के।

2. *संग दोष, अन्न दोष, स्थान दोष इससे सतसंगीयों को, भजनानंदीयों होशियार रहना चाहिए।* 
46.26 - 47.8

प्रेमियों संग दोष, अन्न दोष, स्थान दोष से जो प्रमुख दोष होते हैं, जो भजन भाव भक्ति में बाधा डालते हैं, इससे सत्संगियों को, भजनानंदियो को होशियार रहना चाहिए। परमार्थ की कमाई जहाँ रुक जाए और भक्ति जहाँ खत्म हो जाए, गुरु भक्ति जहाँ खत्म होने लग जाए, कम होने लग जाए ऐसी जगह नहीं बैठना उठाना चाहिए। ऐसे लोगों को "तजिये ताहि कोटि बैरी सम, जद्यपि परम सनेही॥" चाहे कितना भी नजदीकी हो रिश्तेदार हो भाई बीरादरी वाला हो अपना ही खून रक्त का हो लेकिन उससे दूरी बना करके रखना चाहिए।

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