पूज्य सन्त बाबा उमाकान्त जी महाराज के महत्वपूर्ण सतसंग वचन 66.

जयगुरुदेव 

परम् पूज्य परम् सन्त बाबा उमाकान्त जी महाराज के जनहितकारी परमार्थी वचन :-

1878.. एक माहौल ऐसा बन जाय कि दुख नाम की चीज ही न रह जाय इस धरती पर।

1879. धीरे-धीरे ये रास्ता कट जाएगा।

1880. पिया का देश अति सुंदर।


1881. सहनशीलता और क्षमा की भावना हो तो झगड़ा नहीं होगा।

1882. प्रेमियों, तुमको चिंता फिक्र करने की जरूरत नहीं है।

1883. जीव हत्या वाला काम मत करना, दूसरा कर लेना, बरकत मिल जाएगी।


1884. साधना में मन रुकता है तो नींद आती है या ध्यान भजन बनता है।

1885. सुमिरन करते समय नाम के रूप में मन को लगाओ।

1886. शब्द में ज्यादा रोशनी है। तरह-तरह के तेज प्रकाश में आप ऊपर बढ़ जाओगे।

1887. कलयुग में आटा-दाल का मिलना कठिन लेकिन भगवान का मिलना आसान है।

1888. जीव हत्या वाला कोई काम आप मत करना।

1889. जीव हत्या के काम में बरकत, सुकून नहीं मिलता है।


1889.  गरीबों पर टैक्स लगाने से कुदरत ने बरकत बंद कर दिया।

1890. जपना और सुमिरन करना अलग-अलग होता है।


1891. आपकी बातों में दम कब रहेगा ?

1892.  ये धोके, परेशानियों का ही संसार (देश) है।

1893. आजकल बच्चे ज्यादा बिगड़ रहे हैं।

1894. टेंशन अभी और बढ़ेगा, परेशानियां बढ़ेंगी।


1895. पावर प्रभु की पूरी वक्त गुरु में होती है लेकिन आपको विश्वास नहीं होगा।

1896. प्रभु मनुष्य शरीर में ही आते हैं।

1898. सुरत कब खुश होगी ?

1899. जयगुरुदेव नाम बोलने से कब मदद मिलेगी और कब मदद नहीं मिलेगी ?

1900. मौजूदा सन्त को गुरु कहते हैं।

1991. जब गुरु की दया होगी तब आपकी सुरत को गुरु खींच देंगे।

1992. विश्वास के साथ लगातार करोगे तो सुनाई पड़ेगा।

साभार: 



जयगुरुदेव 



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