पूज्य सन्त बाबा उमाकान्त जी महाराज के महत्वपूर्ण सतसंग वचन 64.

परम् पूज्य परम् सन्त बाबा उमाकान्त जी महाराज के जनहितकारी परमार्थी वचन :-
 

1809. जब तक ये दुनिया संसार रहेगा तब तक ये आदिकाल का पांच नाम रहेगा। 

1810. वर्णात्मक जयगुरुदेव नाम को किसी को भी बताया जा सकता है।

1811. पहले जयगुरुदेव नाम को खुद आजमा लो कि कितना फायदा होता है फिर लोगों को बताना शुरू कर दो।


1812. शब्द में ही ये रचना दिखाई पड़ने लग जाती है।

1813. जो भगवान को निराकार करते हैं वे आपकी बात पर विश्वास ही नहीं करेंगे।

1814. दो घंटा समय सुमिरन ध्यान भजन के लिए निकाल दो फिर देखो उसका जलवा।


1815. महात्मा भाव के भूखे होते हैं।
https://www.youtube.com/clip/UgkxV5L9VS_CEOcM0f0ws7QZUlC-MTyCdq1O

1816. आप पाप के भागीदार कैसे हो जाते हो ?
https://www.youtube.com/clip/Ugkx7fvkIHyUDq26BzOOtd-Rf3BCqkiFWv9r

1488. पहुंचे हुए महात्माओं के सतसंग में जाना चाहिए।

1817. भजन में किसको कैसा सुनाई पड़ता है ?

1818. बच्चों को जयगुरुदेव नाम रटा दो।

1819. . कर्मों के चक्कर से कोई बच नहीं पाया।



1820. आश्रम किसलिए बनाए गए हैं ?

1821. मनुष्य शरीर मिलने का उद्देश्य कब पूरा होगा ?

1822.  नामदान मिलने के बाद सुमिरन नहीं करोगे तो क्या होगा ?

1823.  सुमिरन करने से क्या होता है ?



1824. आप चाहो तो जयगुरुदेव नाम की ध्वनि को बुलवाने के लिए जगह-जगह कार्यक्रम बना सकते हो।


1825. बाजार की चीजों को खाने-पीने से ज्यादा से ज्यादा बचना चाहिए।

1826. जैसी कमाई होती है उस अन्न का उतना असर होता है।

1827. पाप, धोखा वाली जगह से हट जाना चाहिए।

1828. शब्द की कमाई से अंदर में सब देवी-देवता दिखाई पड़ेंगे।

1829. आंतरिक साधना में दिखाई-सुनाई देने में बाधा क्यों आती है ?

1830. साध संग मोहि देव नित परम गुरु दातार।


1831. बाजार की चीजों को खाने-पीने से ज्यादा से ज्यादा बचना चाहिए।

1832. जैसी कमाई होती है उस अन्न का उतना असर होता है।

1833. पाप, धोखा वाली जगह से हट जाना चाहिए।

1834. शब्द की कमाई से अंदर में सब देवी-देवता दिखाई पड़ेंगे।

1835. आंतरिक साधना में दिखाई-सुनाई देने में बाधा क्यों आती है ?

1836. साध संग मोहि देव नित परम गुरु दातार।


1837. संकल्प आदमी का पूरा होता है।

1838. लक्ष्मी (धन, रुपया-पैसा) कैसे रुकती हैं ?

1839. सतसंग की महिमा है अतिभारी, जो कोई जीव हों अधिकारी।


1840. शाकाहार भोजन बुद्धि को सही रखता है।

1841. सत्यवादी, अहिंसावादी की विजय होती है।

1842. कुछ चीजें ऐसी होती हैं जो अपने, दूसरे और सबके फायदे की होती हैं।


jaigurudev parmarthi vachan


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