जयगुरुदेव
*भक्तों को कार्यक्रम की व्यवस्था की चिंता होनी चाहिए*
*महाराज जी द्वारा फरमाए गए सतसंग वचन -*
जो लगातार सेवा नहीं करते हैं उनके अंदर से सेवा की प्रवृत्ति खत्म होती जा रही है और वह सेवा करके *अपने कर्मों को काटने के बजाय दूसरे के कर्मों का बोझा लेते जा रहे हैं,* अपने पुण्य, अच्छे कर्मों में से कटवाते जा रहे हैं। सेवा जब करेगा तब अच्छे कर्म बनेंगे, उसका लाभ मिलेगा।
और जब सेवा करवाएगा तो सेवा करने वाला ले जायेगा। इसलिए *हमेशा प्रेमियों सेवाभाव रखना चाहिए*। और अपना समझ करके, ऐसे कोई (सतसंग) कार्यक्रम हों, 10-20-50-200 जितने भी लोगों का आना-जाना हो तो सभी प्रेमी *गुरु भक्तों को व्यवस्था की चिंता होनी चाहिए*। कैसे होगी? सतसंग सुनने, नामदान लेने नया आदमी आएगा जो सेवा जानता ही नहीं कि क्या चीज होती है, उसको दो रोटी, सोने की जगह, पानी, बिजली, टट्टी-मैदान की सुविधा मिल जाए, यह भाव आप पुराने लोगों में होना चाहिए।
🙏जयगुरुदेव 🙏
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Jaigurudev