उज्जैन वाले बाबा उमाकांत जी महाराज केसत्संग वचनों के वीडियो क्लिप (मात्र 60 सेकंड में कुछ नया सुनें) 62.

जयगुरुदेव 
परम् पूज्य परम् सन्त बाबा उमाकान्त जी महाराज के जनहितकारी परमार्थी वचन :-


1751. अगला जन्माष्टमी आते-आते आप अपना काम बना लो।

1752. बंधन मुक्त गुरु की महिमा।

1753. ब्रह्मा, विष्णु, महेश को भी मनुष्य शरीर में आना पड़ता है।


1754. ऊपरी लोकों की एक झलक।

1755. जब तक सतयुग नहीं आ जाएगा तब तक यह सेवा खत्म होने वाली नहीं है।

1756. उल्टा नाम जपत जग जाना, वाल्मीकि भए ब्रह्म समाना का मतलब क्या होता है ?



1757. गुरु महाराज का नाम और काम दुनिया में बढ़ाना है।

1758. समाज को ऋषि, मुनि, महात्मा, सन्त चलाते हैं।

1759. खिंचाव वाली आवाज अलग है।

1760. नामदान का महत्व। 

1761. सन्तों की दया की महिमा। 

1762. महात्मा किसी को धोखा नहीं देते हैं।


1763. सच बोलने में सन्तों ने कोई कोर कसर नहीं रखी।

1764. सतयुग आने वाला है।

1765. सुबह-सुबह सबसे पहला काम आप सुमिरन,ध्यान, भजन करने का कीजिए।
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1766. किताब बनाने की जरूरत ही नहीं है।


1767. अंदर में गुरु का नूरी रूप कैसे दिखेगा ?

1768. गुरु पर से विश्वास क्यों हट जाता है ?

1769. बाबा जयगुरुदेव जी महाराज ऐसे साधना करते थे... 


1770. तरक्की होने में देर होने का क्या मतलब है ?

1771. गुरु हर तरह से मदद करते हैं।

1772. गुरु सब जगह मदद करते हैं।



1773. मन नहीं रुका तो बैठना बेकार जाएगा।

1774. यदि उपलब्धि नहीं हो पायी तो ये जन्म बेकार जाएगा।

1775. अभ्यास करने से शरीर और मन सधता है। 

1776. संस्कार कभी खत्म नहीं होता है। 

साभार: https://www.youtube.com/@raghuujjain/community

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