उज्जैन वाले बाबा उमाकांत जी महाराज केसत्संग वचनों के वीडियो क्लिप (मात्र 60 सेकंड में कुछ नया सुनें) 61.


जयगुरुदेव आध्यात्मिक संदेश   

परम् पूज्य परम् सन्त बाबा उमाकान्त जी महाराज के जनहितकारी परमार्थी वचन :-


1726. सुमिरन, ध्यान, भजन कैसे करना चाहिए ?

1727. मन नहीं रुकता तो क्या करना चाहिए ?

1728. दरबार में रोज हाजिरी दीजिए।

1729. मन रूपी कुत्ता को जहां से रस मिलता है वही काम करवाता है।


1730. आत्म धन कैसे लुट जाता है ?

1731. गुरु कब आंख बंद कर लेंगे ?

1732. जाको राखे साइयां मार सके ना कोय,बाल ना बांका कर सके जो जग बैरी होय।



1733. जीवात्मा जागेगी कैसे?

1734. चेहरा देखने से ही आता चल जाता है की कौन क्या करता है। 

1735. सुमिरन कब नहीं पकेगा?


1736. मौत तो आनी ही आनी है।

1737. बुढ़ापा तो आनी ही आनी है।

1738. आत्म धन आपका धन है।


1739. रक्षा सूत्र का मतलब क्या होता है ?

1740. बाजा सब जगह सुनाई देता है।


1741. गुरुओं की ये परम्परा ऐसे ही चली आ रही है।

1742. ये हैं उमाकान्त तिवारी ये नये लोगों को नामदान देंगे और पुरानों की करेंगे सम्हाल।

1743. पुराने लोग गुरु आदेश का पालन कीजिये।

1744. सबसे ज्यादा फल दुनिया में क्या करने से मिलता है ?

1745. आध्यात्मिक गुरु किसे कहते हैं ?

1746. गुरु की पहचान अन्दर से कब होती है ?

1747. संतमत में मानव मंदिर ही सब कुछ है।
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1748. ऐसा काम करो कि ये सन्तमत फैले।
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1749. नामदान देना कितना कठिन होता है ?
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1750. गुरु धरा शीश पर हाथ, सोच मन काहे को करे।
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