वक्त के पूरे समर्थ संत सतगुरु दुखहर्ता उज्जैन वाले बाबा उमाकांत जी महाराज के कुछ महत्वपूर्ण सत्संग वचनों के वीडियो क्लिप (मात्र 60 सेकंड में कुछ नया सुनें) 59.

जयगुरुदेव आध्यात्मिक संदेश
 
परम् पूज्य परम् सन्त बाबा उमाकान्त जी महाराज के जनहितकारी परमार्थी वचन :-

1662. सिनेमा देखने वाले, होटल में खाने वाले, एशो-आराम करने वाले कभी भजन नहीं कर सकते हैं।

1663. शराब, कबाब और शबाब ये विनाश के देवता हैं।

1664. तन मन धन की सेवा छिपा कर करनी चाहिए।

प्रार्थना - कर ले निज काज जवानी में, इस दो दिन की जिंदगानी में |

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आंख खोलत मैं डरूं, यह सपना ना हो जाए। 

जिनको नाम मिल गया, नाम को जगाओ, नाम की कमाई करो।

वक्त के संत सतगुरु ही जीवात्मा को भवसागर से पार किया करते हैं।

निराश को आशा बंधा देना ये परोपकार होता है।


1665. सपूत अपने माता-पिता व विद्या गुरु को भी पार कर दिया करते हैं।

1666. गुरु का चरण अन्दर में होता है।

1667. तीसरी आंख खुल जाएगी।


1668. जीवन को सफल बनाने के लिए आपको क्या करना पड़ेगा ?

1679. ये तो आप जानो, आपका काम जाने।

1680. साप्ताहिक सतसंग सन्तों का बताया हुआ एक रास्ता है,ये कोई नया नहीं है।

1681. अंदर की दौलत को सम्हाल कर रखो।

प्रार्थना - मन लागो मेरो यार फकीरी में |

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किताब पढ़कर के कोई महात्मा नहीं हुआ।

सभी धर्मों का एक ही असला धर्म (लक्ष्य) क्या है? 

आध्यात्मिक लाभ कहां से मिलता है ?


1682. गुरु बनाना क्यों जरूरी होता है ?

1683. कैसा गुरु बनाना चाहिए ?

1684. समर्थ गुरु पर सम्मान, निन्दा का कोई असर नहीं पड़ता है।

1685. गुरु मस्तक पर सवार कैसे हो पाएंगे ?

साभार:


1686. सेवा का फल किस कारण से बंट जाता है ?

1687. न गुरु न चेला सब में बोले एक अकेला।

1688. किस तरह के पैसा से बच्चे खराब निकल जाते हैं ?

जो दया के घाट पर बैठ जाता है उसको दया का अनुभव होता है।

सुई, सुहागा, संतजन बिछड़े देय मिलाए।

धन और मान की इच्छा परमार्थ से दूर कर देती हैं।

वक्त के सतगुरु की वाणी जीव के कर्मों के अनुसार उस पर प्रभाव डालती है।


1689. परम् सन्त बाबा उमाकान्त जी महाराज की दक्षिणा क्या है ?

1690. देश को बर्बाद करेगी शराब मांस से पैसा कमाने वाली गवर्नमेंट की पॉलिसी।

1691. शराबी कहीं कामयाब नहीं हो सकता है।

सेवा का फल किस कारण से बंट जाता है ?

अंदर से सफाई नहीं होगी तो गुरु खुश नहीं होंगे।

सतसंग वचन, सतगुरु शरण, शब्द नाम आधार। 

गुरुमुखता कब आती है ?

धन, मान सम्मान के लालच में जो आते हैं वो सफल नहीं होते हैं।

वक्त के सतगुरु इस काल के अखाड़े के पहलवान (उस्ताद) होते हैं।

1692. सेवादार खाली नहीं बैठता है।

1693. इस समय पर गृहस्थ आश्रम सबसे ऊंचा आश्रम है।

1694. अपने आत्म कल्याण के लिए एक घंटा का समय सुबह शाम जरूर निकालो।

गुरु भक्ति, मन मुखता, गुरु मुखता किसे कहते हैं ?

न गुरु न चेला सब में बोले एक अकेला। 

1695. जीवन में इतना प्यार कहीं नहीं मिला।

1696. प्रभु जीवों को बराबर याद करते रहते हैं।

1697. गुरु को याद करने से जीवात्मा सुन्न में प्रवेश कर जाएगी।

1698. सुरत को खींचने वाली सुषुम्ना आवाज ध्यान में जल्दी नहीं मिलती है।

परम् सन्त बाबा उमाकान्त जी महाराज की दक्षिणा क्या है ?

बच्चे नशे के आदि न हो इसके लिए बच्चों को बाहर की चीजों से खाने-पीने से बचाओ।

जयगुरुदेव 

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