*बच्चो! नेतागिरी, जिंदाबाद-मुर्दाबाद के दन्द-फन्द में जीवन बेकार हो जाएगा, इससे बचो*

जयगुरुदेव

07.07.2024
प्रेस नोट
झुंझुनू (राजस्थान) 

*बच्चो! नेतागिरी, जिंदाबाद-मुर्दाबाद के दन्द-फन्द में जीवन बेकार हो जाएगा, इससे बचो*

*जरुरी काम पहले करना चाहिए, आत्म कल्याण दुनिया की नश्वर चीजें कमाने से कहीं ज्यादा जरुरी है*



युवा पीढ़ी की चिंता करने वाले, फ़ालतू चक्करों में पड़कर अपना जीवन बर्बाद करने से सतर्क करने वाले, इसी गृहस्थी में अपनी आत्मा का कल्याण करने का आसान मार्ग नामदान बताने वाले, इस समय के पूरे समरथ सन्त सतगुरु दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि 

अगर अपने-अपने बच्चों का ध्यान नहीं रखोगे तो नेतागिरी के चक्कर में, जिंदाबाद-मुर्दाबाद बोलने के चक्कर में ये दारू पीने लगेगे। क्योंकि लोग कहते हैं नेता तभी माने जाओगे, तुम तरक्की तभी कर सकते हो जब दारू पियोगे, मांस खाओगे, जब तुम यह सारा काम दन्द-फन्द का करोगे। तो कहने का मतलब यह है कि ये फैशन बनता चला जा रहा है। तो इस चीज को रोको। 

ध्यान रखो। बच्चो! इस चक्कर में मत पड़ो नहीं तो जीवन बेकार हो जाएगा। देखो, कोई भी गलत काम में फंस जाता है तब उससे जल्दी बाहर निकल नहीं पाता है। तो लोगों को शाकाहारी, नशा मुक्त बनने का प्रचार करो, नए-पुराने सभी लोगों को अच्छा काम करने में संकोच नहीं करना चाहिए। आप लोग अपने-अपने स्तर से समझाओ, बताओ, अच्छा बनाओ।

*गृहस्थ आश्रम के बाहर प्रभु नहीं मिलेगा।*

गुरु महाराज ने बताया कि प्रभु की खोज में गृहस्थ आश्रम के बाहर जो जाएगा, उसको वह मिलने वाला नहीं, क्योंकि खाने, रहने, पहनने की जरूरत हर किसी को पड़ेगी और कमाई रहेगी नहीं। लोगों का श्रद्धा-विश्वास अब धीरे-धीरे साधकों, साधुओं, महात्माओं पर से हटता चला जा रहा है। माहौल खराब होता जा रहा है, लोगों की बुद्धि भ्रष्ट होती चली जा रही है क्योंकि लोगों का खान-पान खराब होता, नशे की आदत, मांस खोरी बढ़ती चली जा रही हैं। 

बुद्धि खराब होने पर दूसरे की मां बहन को गलत नजर देखने की आदत बढ़ती चली जा रही। तो कहां से समझो कि फायदा दिखेगा? कहां से वो कर पाएगा? इसलिए प्रभु मिलेगा तो गृहस्थ आश्रम में ही मिलेगा। गृहस्थ आश्रम बहुत बढ़िया आश्रम है। लेकिन 24 घंटे में से जब दो घंटा समय आप निकालो तब आपके लिए भगवान के पाने का रास्ता खुलेगा। अंदर का मैल जब साफ होगा तभी भगवान का दर्शन होगा।

*जरूरी कार्य पहले करना चाहिए*

गुरु महाराज ने बताया कि अपने लोगों ने अभी सुमिरन, ध्यान और भजन किया। जो जरूरी चीज है, उसमें समय देना चाहिए। जरुरी काम को पहले करना चाहिए। बाकी जो काम है जिसको हम-आप करने में लगे हुए हैं, ये मौत के बाद काम आने वाला नहीं है। इसका रिश्ता, संबंध केवल शरीर तक ही है। जैसे जो भी इंतजाम कपड़े, बच्चों के खाने-कपड़े, पढ़ाने-लिखाने का करते हो, दोस्ती लोगों से करते हो यह सब शरीर से ही रिश्ता रखता है। 

और शरीर छोड़ जाने के बाद यह सारे रिश्ते और दुनिया की सारी चीजें सब यहीं छूट जाती है। और इन्हीं (दुनिया के) कामों में जो अपने अंगों को लगाते हैं, अंग मतलब हाथ, पैर, आख, कान, मुंह सबका इस्तेमाल आदमी करता है तो इनसे सुख पाने के लिए जान-अनजान में कर्म, बुरे कर्म बन जाते हैं, इसकी सजा भोगनी पड़ती है। कब? मरने के बाद यही चीज लोगों को नहीं मालूम है। 

इसी को याद रखने की जरूरत है कि कर्मों से हम छुटकारा नहीं पा सकते हैं। कर्म तो हमारे साथ लग ही गए हैं। और कर्म का फांस बहुत मजबूत होता है, वो जल्दी छूटता नहीं है। कहा गया- कर्म फांस छूटे नहीं, केतिक करो उपाय, सतगुरु मिले तो उबरे, नहीं तो भटका खाए। कर्म का फांस छूटता नहीं है लेकिन जब सतगुरु मिल जाते हैं और कर्म फांस को काटने का तरीका बता देते हैं, कर्म को कटवा देते हैं तब तो छुटकारा मिल जाता है नहीं तो फिर चौरासी जाए।







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