जयगुरुदेव
13.05.2024
प्रेस नोट
उज्जैन (म.प्र.)
*रावण का सर्वनाश करने वाले तीन अवगुणों से बचो और लोगों को बचाओ- बाबा उमाकान्त जी महाराज की प्रार्थना*
*सच्चे ब्राह्मण कब माने जाते हैं*
इस समय के महापुरुष, पूरे समरथ सन्त सतगुरु, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि
पुलस्त्य ऋषि रावण के पूर्वज थे। उत्तम कुल पुलस्त्य ऋषि। जिसको बाबा दादा कहते हैं, पुलस्त्य ऋषि रावण के बाबा दादा थे। वह ऋषि और महात्मा थे। उनका वह पोता था। लेकिन उनकी बात रावण ने नहीं मानी। एक बार बुलाया, कहा, आप आईये, देखिए हमारी व्यवस्था दिखाया। यहां हम रहते, यहां खाते हैं। यह हमारी शयनशाला ,पाकशाला, पाठशाला, यज्ञशाला आदि सारी शालाओं को दिखाया
तो उससे पूछा तेरी चरित्र शाला कहां पर है? यही तेरा विनाश करेगा। चरित्र सुधार ले, खान-पान सही कर ले, जानवरों को खाना बंद कर दे। यही तेरा विनाश करेगा। तो आज्ञा का पालन नहीं किया, महात्मा की बात को नहीं मना तो नगर (लंका) जल गया, खत्म हो गया। लोगों को समझाओ। और प्रेमियो! अगर ये लोग नहीं समझाते हैं तो आप लोग मेहनत करो, आप श्रेय ले लो, आपकी मेहनत रंग लाएगी। हमेशा छोटे-छोटे लोगों ने ही धर्म की स्थापना में मदद किया है। बन्दर-भालू, गोपी-ग्वालों को श्रेय दिलाया। यह काम छोटे लोगों के द्वारा ही होता है।
जिनको लोग गरीब, कम पैसे वाले कहते हैं, उनके द्वारा होता है। अगर धर्म का काम, अध्यात्म का विकास पैसे से होना होता तो पूरा देश क्रिश्चियन बन गया होता। सोचो, कितना पैसा खर्च करते, कितना तनख्वाह देते, कितना साधन-सुविधा देते हैं यह ईसाई धर्म वाले। तो यह भारत देश है। इसमें संस्कार धर्म का, महात्माओं का है इसलिए आप यह काम (लोगों को बचाने का) कर सकते हो। तो बताना क्या है? मांस मनुष्य का भोजन नहीं है। (कुदरत ने) जानवरों को (अपशिष्ट) खाकर गंदगी को साफ करने के लिए बनाया है।
चाहे जानवर हो या आदमी, यदि पेट भरा रहे तो कुछ नहीं खाएगा, कुछ खाना पसंद नहीं करेगा। ऐसे ही जब ये जानवर अपनी मौत मरे, जैसे चूहा अपनी मौत मर कर बिल्ली का आहार बन जाता है। ऐसे ही बिल्ली कुत्ते का, छिपकली बिल्ली का आदि आहार बन जाती है। ऐसे ही अपनी मौत अगर यह मरने लग जाएंगे, (लोग इनको) मारेंगे काटेंगे नहीं तो वह उनका भोजन बन जाएगा। वह हमला इसलिए करते हैं कि भूखे रहते हैं।
तो मनुष्य की रक्षा के लिए ही बनाए गए। बहुत कीड़े-मकोड़े हो जाए, गंदगी पैदा करने वाली बहुत सी चीजें हो जाए तो आदमी बीमार हो जाएगा, हवा यह दूषित हो जाएगी। इसलिए इन जानवरों को बना दिया गया है। जानवर पक्षी मर गया, गिद्ध कौवा उसको खा ले तो गंदगी नहीं रहेगी। इसलिए एक-दूसरे का आहार बना दिया गया। मछली तालाब की सफाई के लिए बनाई गई। मर जाती है तो पानी के ऊपर तैरती है तो गिद्ध, कौवा उसे खाते हैं, यह उनका भोजन है।
*रावण का सर्वनाश करने वाले तीन अवगुण*
रावण में गुण बहुत थे लेकिन तीन अवगुण भी थे। अवगुण यानी बुराई। वो मांस खाता था जिससे उसकी बुद्धि खराब हो जाती थी। और जब शराब पी लेता था तो समझ लो उस (मांस) का जुड़वा भाई मिल जाता था। जब शराब पी लेता, नशे में आ जाता था तब औरतों की इच्छा, समझ लो उसका मौसेरा भाई मिल जाता था। तो यह तीन भाई जब मिल जाते थे तो शराब, कबाब और शबाब, यह सर्वनाश करता है।
*स्वभाव जल्दी नहीं जाता है*
स्वभाव जल्दी नहीं जाता है। मान लो कोई भैंसा योनी की जीवात्मा है और आदमी बन गया तो जैसे भैंसा गुर्राता, रगड़ता हुआ चलता है, ऐसे वह भी चलेगा। कोई घोड़े के ऊपर दया हो गई, सन्त ने घुड़सवारी कर लिया, मनुष्य शरीर पा गया तो वह अपनी आदत नहीं छोड़ता है, दुलत्ती मारता चलता है। ऐसे ही कोई बकरी योनी की जीवात्मा यदि स्त्री बन गयी तो जैसे बकरी चिल्लाती म्य-म्य, ऐसे वह भी चिल्लाएगी।
*सच्चे ब्राह्मण कब माने जाओगे*
जब वेद का अध्ययन करने लगता है, वेद पढ़ने लगता है तब उसके अंदर विप्र के गुण आ जाते हैं। विप्र, ब्राह्मणों को लोग कहते हैं। जाति के ब्राह्मण तो ब्राह्मण होते हैं, उस कुल खानदान में जो जन्म लिए वह ब्राह्मण रहे लेकिन सच्चे ब्राह्मण तो तब माने जाएंगे जब- पूजहि विप्र सकल गुण हीना। जब सकल गुणों से हीन हो जाएंगे, सारे गुण-रजोगुण तमोगुण सतोगुण, उसके यह निकल जाएंगे। यही परेशान करते हैं, यही आगे तरक्की नहीं होने देते हैं। भौतिक तरक्की में भी बाधा डालते हैं और आध्यात्मिक तरक्की में तो यह पूरे बाधक होते हैं। रजोगुण तमोगुण सतोगुण, यह सब नष्ट करना पड़ता है तब गुणातीत जब वह होता है तब उसको विप्र कहा जाता है। तो वेद में यही सब चीज़ लिखी हुई है। वेद को जो पढ़ते हैं, अध्ययन करते हैं, उनको जानकारी हो जाती है। वेद पाठी भवेत् विप्रा, ब्रह्म जानस्य सा ब्रह्मणा। जो ब्रह्म को प्राप्त कर लेता है, अंदर में ब्रह्म का दर्शन करता है, वह ब्राह्मण कहलाता है।
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