*जयगुरुदेव बाबा उमाकान्त जी ने बताया सुख शांति का पहला पाठ*

जयगुरुदेव

22.04.2024
प्रेस नोट
पटना (बिहार)

*जयगुरुदेव बाबा उमाकान्त जी ने बताया सुख शांति का पहला पाठ*

*दु:ख तकलीफ रहेगी तो भगवान भी अच्छे नहीं लगेंगे*


इस समय के पूरे समरथ सन्त सतगुरु, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि 

इस समय पर बीमारियां घर-घर में दिखाई पड़ रही है। घर-घर में लड़ाई-झगड़ा, ईर्ष्या-द्वेष, रुपया-पैसा कमाते हैं बरकत नहीं होती है। अगर कोई चैलेंज कर दो तो यहीं (सतसंग में आई भारी भीड़ में से) बता भी सकता हूं, 10-20-50 को बता दूंगा कि उनके घर में रोज झगड़ा होता है, कोई न कोई बीमार ही रहता है, आए दिन घर में समस्याएं बनी रहती है। आपको सुख शांति का पहला पाठ यही बता दें कि जिनके-जिनके यहां भी तकलीफें हो, आप लोग जयगुरुदेव नाम की ध्वनी बोलना शुरू कर दो। पूरे परिवार को इकट्ठा करके बुलवाना शुरू कर दो, जो कर्मों की सजा भोग रहे हो, ये तकलीफें धीरे-धीरे दूर होती चली जाएगी। और अगर शाकाहारी नशा मुक्त होकर के पूरा परिवार आप बोलोगे, बैठ करके करोगे तो जल्दी-जल्दी कर्म कट जाएंगे और ज्यादा फायदा दिख जाएगा। 

*ठंडी रोटी किसे कहते हैं*

बहुत से लोग धन के पीछे ब्याह कर देते हैं, लड़के के स्वभाव, उसके बारे में अध्ययन नहीं करते हैं जबकि करना चाहिए। शादी हो गई। एक दिन मां कहीं जा रही थी, पुत्रवधू से कहा देख यह बड़ा मनुहार कराता है। कई बार कहना पड़ता है तब यह खाने जाता है। यह बड़ा नखरा करता है। तो तू इसको प्यार से समझा करके ले आना और जैसा मैं बनाकर खिलाती हूं, उसी तरह से खिला देना। तो पुत्रवधू ने वैसा ही किया, बनाई गरम-गरम रोटी, दो-तीन बार गई, वह नखरा करता हुआ आया, बैठा, थाली परोसा तब पुत्रवधू ने भी यही कहा- खा लो, ठंडी रोटी खा लो। तब बेटा बिगड़ा, कहा, मां भी गरम रोटी देती लेकिन कहती थी कि ठंडी रोटी खा ले। अब तू भी वही कहती है। मैं नहीं खाऊंगा। उठकर चला गया। बहुत हाथ-पैर जोड़ा, मनुहार किया, नहीं आया खाने। मां जब लौटकर आई, हाल-चाल पूछा, बोली वो नहीं खाए। बताया भी नहीं की क्यों नहीं खा रहे। तब मां बेटे से पूछी, क्यों नहीं खाया? बेटा बोला- जो तुम कहती हो, वह भी यही कहती है। 

तुम तो हमारी मां हो, वह हमारी औरत है। मां ने कहा, देख, मैं गरम खिला कर ठन्डे के लिए क्यों कहती हूं, सुन, तू बाप की कमाई खा रहा है तो वह है ठंडी रोटी। और तू खुद मेहनत करके पसीना बहा करके बदन में गर्मी पैदा करके लाता तो उसकी बनी रोटी के लिए कहती गरम रोटी खा लो बेटा। हृदय से अंदर से मैं बोलती कि यह लो खा लो। अभी तो मैं कर्तव्य का पालन कर रही हूं, तुमको मैं खिला रही हूं कि तुम मेरे बेटा हो। और कितने भी बड़े उमर दराज हो लेकिन मेरे लिए तो छोटे ही रहोगे, वही बबलू, पप्पू ही रहोगे। तब उसको अकल आई। फिर वह मेहनत करने लगा। तो ठंडी रोटी खाने का ही लोग लक्ष्य बना लेते हैं तो उनके हाथ में क्या आता है यही कौड़ी-छदान (यानी जीवन व्यर्थ जाता है)।

*दु:ख तकलीफ रहेगी तो भगवान भी अच्छे नहीं लगेंगे*

तकलीफ दुःख जब तक रहेगा तब तक तो भगवान को भी लाकर खड़ा कर दिया जाए तो भगवान भी आपको अच्छे नहीं लगेंगे। कोई बीमार है और कहो देखो यह भगवान आए हैं, यह खड़े हैं, यह फोटो मूर्ति देखो, भगवान को याद करो। तब देखेगा, ऐसे आंख बंद कर लेगा। कहो राम-राम बोलो, भगवान का नाम लो तब आंख बंद करके बोलेगा राम-राम फिर आँख बंद कर देगा क्योंकि दुखी है, क्योंकि दु:ख में सुमिरन नहीं हो पता है, दु:ख में याद नहीं हो पता है। तो दुख दूर होना सबसे पहले जरूरी होता है। यह जयगुरुदेव नाम दु:खहर्ता नाम है। इसलिए जयगुरुदेव नाम बराबर बोलते रहना और याद रखना सब लोग। और जयगुरुदेव नामध्वनी बोलोगे तो उसका तो अलग ही फायदा दिखेगा। ऐसे ही चलते-फिरते, उठते-बैठते जयगुरुदेव नाम को आप सब लोग बोलते रहना।

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[24/04, 16:45] 2 AnkitJi Ujjain: जयगुरुदेव

24.04.2024
प्रेस नोट
सुल्तानपुर (उ.प्र)
 
*पक्षी, जानवरों के लिए पानी पीने की व्यवस्था कर दो -सन्त बाबा उमाकान्त जी महाराज*

*रोज कुछ न कुछ परमार्थी काम करना चाहिए, सब जीवों में प्रभु की अंश जीवात्मा है, सभी जीवों पर दया करो*


पूरे समरथ सन्त सतगुरु, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि रोज कर्म इकट्ठा होते हैं, रोज कर्मों को काटा जाता है। शरीर, मन, धन से कर्म बन गए, उनको काटने का उपाय निकाल दिया गया। क्या? कि कोई (दरवाजे पर भूखा) आ जाय तो उसे रोटी खिला दो, धन से गलत पाप कर्म बन गया, धन कहीं गलत जगह पर लग गया तो गाय, पक्षी, आदमियों को खिला दो। गर्मी बहुत है, पक्षियों, जानवरों के पानी पीने के लिए व्यवस्था कर दो, गौशाला बनवा दो आदि। तो उसमें धन लगा दो तो धन से बने पाप कर्म कट जाएंगे।

*पहले लोगों में बहुत सेवा भाव था*

शरीर से सेवा करो। पहले कितना बढ़िया नियम था लोगों का, रोटी बना करके पगडंडी रास्ते पर जाते थे, जहां से लोग पैदल आते-जाते थे। और आने-जाने वाले लोगों को बुला-बुलाकर खिलाते थे। कोई किसी के यहां चला जाए तो फिक्र नहीं रहती थी कि कहां रहेंगे, क्या खायेंगे। किसी के दरवाजे पर पहुंच जाता तो खुश हो जाते थे कि बिना बुलाए मेहमान आ गए। मेहमान नहीं भगवान आ गए। उसके यहां जो भी रहता, अच्छे से अच्छा खिलाने की कोशिश करता, अच्छे बिस्तर में सुलाने की कोशिश किया करता था।

*नीयत खराब होने से परेशानियां बढ़ती चली जा रही*

पहले भाव अच्छे थे। लोग जब मेहनती ईमानदारी की कमाई करते थे, सेवा भाव रखते थे, पैदावार ज्यादा होती थी। उसमें सब खाने वालों का अंश आता था। एक कमाता, दस खाते थे। नीयत लोगों की अच्छी रहती थी। लेकिन अब वह चीजें खत्म होती जा रही हैं, इसलिए परेशानियां बढ़ती चली जा रही हैं।

*प्रेमियो! रोज न कुछ न कुछ परमार्थी काम करना चाहिए*

परमार्थी काम क्या है? जान बचाना बहुत बड़ा पुण्य का काम होता है। जीवों की हत्या करना बहुत बड़ा पाप होता है। यह जल्दी क्षमा नहीं होता। फिर तो सजा भोगनी पड़ती है। जान करके जो गलती करता है, उसको और सख्त सजा मिलती है। जीवों पर दया करो। सभी में प्रभु की अंश जीवात्मा है। जो हमारे-आपके अंदर है, वही हाथी घोड़ा ऊंट पशु-पक्षियों, कीड़ों जिनको हम-आप आंखों से देख नहीं सकते, सबमें यही आत्मा है। सब जीवों पर दया, रहम करो। जीव हत्या मत करो। जीवन को बचाना बहुत बड़ा पुण्य का काम होता है।

https://youtube.com/clip/Ugkx1PpZvM-moxatNfZMu715evfBpAI7xZ7k?si=lsTNc1DdwTAr5WP9
[25/04, 22:20] 2 AnkitJi Ujjain: जयगुरुदेव

25.04.2024
प्रेस नोट
पटना (बिहार)

*जब समर्थ गुरु के दिए नामदान के अनुसार करोगे तो धार्मिक किताबों में लिखी हुई सारी चीजें दिखने सुनाई देने लगेंगी*

*समरथ गुरु की पूजा में सबकी पूजा, गुरु बेदाग होते हैं*


इस समय के युगपुरुष, पूरे समरथ सन्त सतगुरु, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त महाराज जी ने अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि आप आंख बंद करोगे, अंदर में ध्यान लगाओगे, मन को रोकोगे तो ऊपरी लोकों में जाने लग जाओगे। इसी मनुष्य शरीर में देवी-देवताओं का दर्शन, जो महात्माओं ने कहा, देखा, लोगों ने कहा, वह दर्शन आपको होने लगेगा। और जब ऊपर का नजारा दृश्य देखोगे तो खुश हो जाओगे। मणि मोतियों के चबूतरे, बिना भूमि एक महल बना है, तामे ज्योति आपरी रे, अंधा देख-देख सुख पावे, बात बतावे सारी रे। यह जो कह करके गए, देखे-सुने, वह बातें जो बता कर गये, किताबों में लिखा, वह जब आपके सामने आएंगे, उनको देखोगे, सुनोगे तो मस्त होकर दूसरों को बताने लगोगे। और जैसे ही बताओगे तैसे ही वह बंद कर देगा। फिर कुछ दिखाई सुनाई नहीं पड़ेगा। इसीलिए (अंतर में जो दिखे उसे) किसी को भी बताना मत। यह चीज रट लो, याद कर लो। और आप मन को रोक करके लगातार देखने सुनने की कोशिश करोगे तो कोई आप सौतेले बेटे नहीं हो, बहुत से लोगों को दिखाई, सुनाई पड़ रहा है। आपके ऊपर भी हमारे गुरु महाराज उस प्रभु की दया हो जाएगी। तो कुछ भी दिखाई, सुनाई पड़े, किसी को भी मत बताना।

*समरथ गुरु की पूजा में सबकी पूजा*

गुरु के आदेश की पालना को ही गुरु भक्ति कहते हैं। गुरु का आदेश दो तरह का होता है। एक बाह्य आदेश और एक आंतरिक आदेश। बाह्य आदेश में आता है- गुरु की सेवा। गुरु की सेवा में सबकी सेवा। कहा गया है- गुरु की पूजा में सबकी पूजा और गुरु समान कोई देव न दूजा। तो पूजा का मतलब क्या होता है? खुश किया जाता है। जैसे देवताओं को खुश करते हैं। खुश हो जाएंगे तो हमारे धन पुत्र परिवार में बढ़ोतरी कर देंगे, लोग मूर्तियों के सामने, उनको देवता मान करके उनकी पूजा सेवा करते, फूल-पत्ती, प्रसाद चढ़ाते हैं। ऐसे ही गुरु की पूजा। गुरु कब खुश होंगे? जब उनके आदेश का पालन किया जाएगा तब गुरु खुश होंगे। अब अगर मान लो इनमें से (आई हुई भक्तों की भारी भीड़ में) बता दिया जाए कि यह तुम्हारे गुरु है, और इनकी सेवा करो, अब तुम इनका पैर दबाओ, हाथ दबाओ और अगर इतने लोग अगर हाथ-पैर दबाने लगे तो हाथ-पैर का क्या हाल होगा? तो ऐसी युक्ति बता देते हैं कि सब लोगों को सेवा मिल जाए। जैसे गुरु महाराज बता के गए कि तुम प्रचार प्रसार करना, लोगों को शाकाहारी नशा मुक्त, सतयुग के लायक बनाना। क्योंकि कलयुग में ही सतयुग कुछ समय के लिए आएगा। और अगर यह सतयुग के लायक नहीं बने तो कलयुग इनकी सफाई कर देगा, अपने साथ लेकर चला जाएगा। इसलिए इनको समझाओ कि तुम्हारा यह शरीर हमेशा नहीं रहेगा। एक दिन इसको छोड़ना पड़ेगा। क्योंकि तुम इस मृत्यु लोक में रहते हो। यहां का यह नियम है कि जो पेड़ फलता है, झड़ता है; जो आग जलती है वह बुझाती है; जो पैदा होता है वह मरता है। और आत्मा के कल्याण के लिए उपाय भी बताओ- केवल नाम का सुमिरन करने से भवसागर से पार हो सकते हो। नामदान दिलाओ और सुमिरन ध्यान भजन कराओ। गुरु महाराज जीवों के कल्याण का यह काम आखिरी वक्त तक करते रहे और बता कर भी गए। तो गुरु भक्ति करनी चाहिए। गुरु के आदेश का पालन करना चाहिए। इससे कर्म कटते हैं। कर्मों का बड़ा जटिल विधान बना दिया गया है। और सुमिरन ध्यान भजन से कर्म कटते हैं, यह आंतरिक भक्ति है। जीवात्मा न फंस जाए, जीवों पर दया करो, उस आदेश का पालन करो। तो उससे कर्म कटते हैं। कर्मों को काटना जरूरी होता है। कर्मों के विधान से कोई बच नहीं पाया है।

*गुरु बेदाग होते हैं*

वेदव्यास के पास जब सुखदेव लौट कर आए तब वेदव्यास ने पूछा, अरे गुरु मिले, बोले मिले। कैसा गुरु मिला? कुछ नहीं बोले। वेदव्यास बोले, अरे तेरा गुरु कैसा है? सूरज जैसा है या चंद्रमा जैसा है? बोले है तो सूरज जैसे ही, चमक तो उतनी ही है, रोशनी तो उससे भी ज्यादा है लेकिन इस सूरज में गर्मी तपन है और गुरु में शीतलता है, ठंडाई है। है तो चंद्रमा जैसे। चांद जब निकलता है तब अंधेरे को मिटाता है। है तो तिमिर को मिटाने वाले ही गुरु है लेकिन इस चंद्रमा में दाग है और हमारे गुरु में कोई दाग नहीं है, वह बेदाग है। तो मैं कहां तक गुरु की महिमा बताऊ पिताजी। गुरु की महिमा का वर्णन नहीं किया जा सकता है। धरती सब कागज करूं, लेखन सब वन राय, सात समुद्र वशी करु, गुरु गुण लिखा न जाए। गुरु के गुण को लिखा ही नहीं जा सकता है। क्योंकि सच्चे परोपकारी तो समरथ गुरु ही होते हैं। इसलिए कहा गया है- सन्तों की महिमा अनंत, अनंत किया उपकार। अनंत उपकार इनका होता है। गुरु महाराज ने देखो हमारे-आपके लिए अनंत उपकार किया है। सबसे बड़ा उपकार तो यही किया कि हमको-आपको अपनाया और नाम रूपी रत्न जड़ी दिया। यह जो नाम दान दिया, यही सबसे बड़ा उपकार है। और जो जितना मेहनत किया, उसको उसी हिसाब से उन्होंने दया दुआ दिया, सब किया।

*https://youtube.com/clip/UgkxL1qFPnewAZbjvnQoxfjEl9KHKCF0T10z?si=6aVux_qXXdaBqEsL*

https://www.youtube.com/clip/Ugkx-0xXTDL4C4yfqezq6nNtuUVLzBY_H4JQ

https://www.youtube.com/clip/UgkxsH-3GkflcYVHfsKCmxesmf4a3RcS_CZf
[26/04, 08:14] 2 AnkitJi Ujjain: जयगुरूदेव

25.04.2024
प्रेस नोट
सांगली (महाराष्ट्र)

*कैसे निर्णय लें कि किसको वोट देना है*

*अच्छे आदमी को साथी, नेता और अच्छे समरथ गुरु को अपना हाथ पकडाना चाहिए*

पूरे समरथ सन्त सतगुरु, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि पहले राजतंत्र था जिसमे राजा फिर उसका लड़का राज करता था। अब प्रजातंत्र में जनता राजा है। लेकिन जब वह अपने अधिकार को खत्म कर देती है, समझ नहीं पाती है कि हमारे अंदर कितना पावर है तब वही चुने हुए मंत्री, राजा के ऊपर हुकूमत करने लग जाते हैं। वह अगर शराबी, मांसाहारी, व्यभिचारी, देशद्रोही, भारतीय संस्कृति खत्म करने वाले, दूसरे देश की संस्कृति ला देने वाले निकल गए तो जनता सुखी नहीं रह सकती। पांच साल में मंत्री बनाने का, अपना मंत्री चुनने का मौका केवल एक बार मिलता है। अगर इस समय पर भाई भतीजावाद, जातिवाद, एरियावाद, भाषावाद आदि में आ गए तो चूक जाओगो, पछताओगे, आया अवसर निकल जाएगा इसलिए इस समय पर सभी लोगों को चेतने की जरूरत है। सबके लिए बात कही जा रही है। सोच समझकर के बटन दबाने की जरूरत है।
 
*अच्छे आदमी को साथी, नेता और अच्छे समरथ गुरु को अपना हाथ पकडाना चाहिए*

आप देख लो शराबी, मांसाहारी की बुद्धि और शाकाहारी नशा मुक्ति की बुद्धि, व्यभिचारी की बुद्धि और चरित्रवान की बुद्धि, चाहे स्त्री हो चाहे पुरुष, बहुत अंतर रहता है। इसलिए अच्छा तो अच्छा ही होता है। हमेशा अच्छा ही होता है। अच्छे आदमी को अपना साथी बनाना चाहिए, अच्छे आदमी को अपना नेता बनाना चाहिए, अच्छे आदमी का हाथ पकड़ना चाहिए। गुरु तो बहुत हैं लेकिन गुरु-गुरु में भेद है। समरथ गुरु जब मिलते हैं तो जहां का जीव तहां पहुंचावा, जहां की ये जीवात्मा है, वहां उसको पहुंचा देते हैं।

*कैसे निर्णय लें कि किसको वोट देना है*

जो दु:ख तकलीफ को समझ सके, जो गरीबी को देखा हो, वही गरीबों की गरीबी को दूर कर सकता है। जिसके अंदर लोगों के प्रति प्रेम हो, जिसमें कोई परिवारवाद भाईवाद भतीजावाद न हो, ऐसे आदमी को अगर आप चुनोगे तो वह सबके लिए समान व्यवहार रखेगा, सबके लिए समान काम करेगा। यह तो निर्णय आपको लेना है। हम किसी व्यक्ति, पार्टी का नाम नहीं ले रहे। फैसला आपको करना है। सोच-समझ लो, अपने, अपने बच्चों, देश और समाज के भविष्य को देख लो। जिसके अंदर मानववादिता ईश्वरवादिता देशभक्ति समाजभक्ति मानवभक्ति हो, ऐसे आदमी को आप सोच लो। कल से पहले चरण का चुनाव शुरू हो जाएगा। पूरे देश की जनता को इसमें अपना मंत्री प्रधानमंत्री एम.पी बनाने का मौका मिलेगा। अन्न के दोष से भीष्म पितामह की बुद्धि खराब हो गई थी तो मांसाहारी शराबी नशेड़ी की बुद्धि कैसे सही रहेगी। मांसाहारी के अंदर दया, चेतनता का अभाव होगा। मांसाहारी क्रूर होगा, दया उसमें नहीं होगी। दया जिसके अंदर नहीं रहती है उसके अंदर वह मालिक निवास नहीं करता है। दया धर्म तन बसे शरीरा, ताकर रक्षा करें रघुवीरा।

https://www.youtube.com/watch?v=TVy6mYVfHKE&t=6676s
परमसन्तबाबाउमाकान्तजीमहाराजकेपरमार्थीजनहितकारीजीवहितकारीवचन ➤ आगे आने वाले खराब समय में भक्तों को कमी न हो, उनकी रक्षा हो जाए इसके लिए इंतजाम करवाने वाले ➤ अपने असला काम को प्राथमिकता से करने की शिक्षा देने वाले ➤ अंदर और बाहर दोनों तरफ से अपने अपनाए हुए जीवों की संभाल करने वाले ➤ बाहरी तकलीफों में आराम दिलाने वाले ➤ भटकती युवा पीढ़ी को सही दिशा देने वाले ➤ भेद खोलने वालें ➤ भ्रांतियों को मिटाने वाले ➤ दुःखहर्ता ➤ दीन और दुनिया दोनों बनाने वाले ➤ इस समय के महापुरुष ➤ इस समय के युगपुरुष ➤ इस मन को गुरु के वचनों की चोट पड़ती रहे उसका उपाय बताने वाले ➤ गहरे ज्ञान की बात बताने समझाने वाले ➤ जिनके चरणों में ही मुक्ति-मोक्ष का निवास है, ऐसे जीवात्मा की सम्हाल करने वाले ➤ जयगुरुदेव नाम के प्रचारक ➤ जिस नाम की महिमा गोस्वामी जी ने रामायण में भरपूर की है वो गोपनीय नाम का दान देने वाले ➤ कम मेहनत में ज्यादा लाभ प्राप्त करने का तरीका बताने वाले ➤ कामयाब होने के सूत्र बताने वाले ➤ लोक और परलोक दोनों की पूरी जानकारी रखने वाले ➤ लोक और परलोक दोनों बनाने वाले महामंत्र देने वाले ➤ मन को कंट्रोल करने का तरीका बताने वाले ➤ नामदान देने वाले परेशानी आवे ही नहीं उसका सरल रास्ता उपाय बताने वाले ➤ सर्व हितकारी वचन ➤ संतुष्टि करा देने वाले ➤ समरथ सन्त सतगुरु ➤ सबकी जान बचाने में लगे ➤ साधना की गहरी बातें सरलता से समझा देने वाले ➤ सर्व व्यापक ➤ सर्व शक्तिमान ➤ त्रिकालदर्शी, तड़प से, उज्जैन वाले ➤ उपरी दिव्य लोक का अनुभव करा देने वाले ऊपरी लोकों के नज़ारे दिखने वाले ➤ विश्वास दिलाने वाले ➤ याद करने पर सपने में दर्शन देकर संतुष्टि करा देने वाले ➤➤➤➤➤➤➤➤➤➤ ➤ जयगुरुदेव आध्यात्मिक संदेश ➤ अमृत वचन वाणी ➤ अमृत वाणी ➤ आपके प्रश्नोत्तर ➤ आपके खत का जवाब ➤ जिज्ञासा का परमार्थी समाधान ➤ साधक की शंका समाधान ➤ बाबा जयगुरुदेव जी महाराज की गूँजती वाणियाँ ➤ बाबा जी का कलाम ➤ बाबा जी ने फरमाया ➤ भक्तों की आवाज ➤ गुरु का सन्देश ➤ गुरु भक्ति ➤ गौ रक्षा प्रेरक वाणी ➤ क्या आपको पता है कि ➤ प्रेमियों को उपदेश ➤ सच्चा सुख, ➤ सत्संग का प्रसाद ➤ सतसंग की पाठशाला, ➤ आत्म दर्शन ➤ सन्त उपदेश, ➤ संत वचन संत महिमा, ➤ सतगुरु की परमार्थी सलाह ➤ जीवन सौरभ ➤ सत्संग सेवा और भजन ➤ शाकाहारी सन्देश ➤ सन्त का संदेश ➤ सतगुरु के दो शब्द ➤ सतगुरु का पत्र ➤ सतगुरु का संदेश ➤ सतसंग वचन ➤ स्वामीजी का स्मरणीय संदेश ➤ स्वामी जी की भविष्यवाणी ➤ स्वामी जी ने कहा ➤ स्वामी जी के संस्मरण ➤ स्वामी जी भूली बिसरी यादें ➤ स्वामी जी की भूली बिसरी बातें ➤ सतगुरु की सीख ➤ स्वामी जी की हिदायत ➤ स्वामी जी की कलम से ➤ शाकाहारी परिशिष्ट ➤ साधक संदेश ➤ परिवर्तन की निशानी ➤ विचार करने योग्य क्या ➤ उज्जैन आश्रम की डाक ➤ उज्जैन आश्रम की सूचना ➤ उज्जैन आश्रम के समाचार ➤ दैनिक लघु सत्संग ➤ महाराज जी के नामदान सतसंग कार्यक्रम ➤ महाराज जी के नामदान सतसंग प्रोग्राम ➤ जयगुरुदेव संगत की प्रार्थना ➤ जयगुरुदेव संगत की प्रार्थनाएं ➤ प्रार्थना संग्रह ➤ प्रार्थना कलेक्शन ➤ प्रार्थना सूची ➤ प्रार्थना पाठ ➤ परम पूज्य स्वामी जी व महाराज जी का आदेश, ➤ प्रार्थना रोज करना चाहिए। ➤ दो तीन प्रार्थना सभी को याद होना चाहिए। ➤ संगत में उत्साह बढ़ाने वाली प्रार्थनाएं ➤ संगत में, विरह जगाने वाली प्रार्थनाएं ➤ प्रार्थना से करें दिन की शुरुआत ➤ मन को शांत करने वाली प्रार्थनाएं ➤ जयगुरुदेव संगत की चेतावनी ➤ संतमत चेतावनी ➤ जन कल्याणकारी चेतावनी ➤ शाकाहारी, सदाचारी, नशामुक्ति, जन जागरण संदेश ➤ संगत की, जागरुक चेतावनी ➤ प्रेरणादयक चेतावनी ➤ चेतावनी पाठ ➤ आंखें खोल देने वाली चेतावनी ☺📿 ↘→↣↠↦↪↬↳⇀⇒⇘⇝⇢⇥⇨⇴⇾➔➙➷➼➻➺➜➠➡➾⟹⤁⤇⤠➢➣➤►▶➥➦➧➨➩➪➫➬➭➮➯➱➽❤☀☂☁☃★☔⧪⧫⧬⧭♤♛☖♡▀◕◉◊◆◈⁀⌾⍟✔✒()[]{}⁅⁆❮❯⟪⟫⦅⦆⦓⦔⧼⧽〖〗《》〘〙『』〚〛【】①②③④⑤⑥⑦⑧⑨⑩⑪⑫⑬⑭⑮⑯⑰⑱⑲⑳⃟ ꕢꕣꕤꕥ۞۩ ✡✦✧✩✰✴✵✶

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