परम पूज्य स्वामी जी व महाराज जी का आदेश - प्रार्थना रोज करना चाहिए ( Post 37. )

जयगुरुदेव
दो तीन प्रार्थना सभी को याद होना चाहिए।
प्रार्थना  216. 
Mohi sumiran sikha do guru 

मोहि सुमिरन सिखा दो, गुरु पैयां परुँ।
सत डगरिया दिखा दो, गुरु पैयां परुँ।।

मुक्ति द्वार यह नर तन पाया, 
पर गुरु भक्ति का भेद न पाया। 
सच्ची भक्ति सिखा दो, गुरु पैयां पहुँ । मोहि...

पड़ा हूँ साधन की खटपट में,  
सन्त कहें परमेश्वर घट में। 
मोहि दरशन करा दो, गुरु पैयां परुँ । मोहि..

सद्गुरु ब्रह्मा विष्णु महेश्वर,
साक्षात् सद्गुरु परमेश्वर। 
मोहि निश्चत करा दो, गुरु पैयां परुँ। मोहि.. 

बिना कृपा कोई जान न पाए, 
चाहे जितनी बुद्धि लगाये। 
मोह का परदा हटा दो, गुरु पैयां परुँ। मोहि

प्रार्थना  217. 
Karu vandna me teri jag ke rachane wale 

करूँ वन्दना मैं तेरी, जग के रचाने वाले । 
ज्योति स्वरूप तुम हो, तम के हटाने वाले ।। 

पट घट के खोल दीन्हे, गुरु ज्ञान हमको देकर। 
करें ध्यान हम तुम्हारा, दुःख से छुड़ाने वाले ।। 

सृष्टि सुघर सजीली, सिरजी है कैसी तुमने । 
सारे पदार्थ जग में, मन को लुभाने वाले ।। 

आकाश भूमि भूधर, नक्षत्र शशि दिवाकर। 
ये सबके सब हैं तेरी, महिमा जताने वाले ।। 

दुनिया के ताप दोषों, से मुक्त बस वही है।
पदकंज में जो तेरे हैं, लौ लगाने वाले ।। 

यद्यपि बहुत कठिन है, भव सिन्धु पार जाना। 
पर कुछ नहीं चिंता, हो पार लगाने वाले ।। 

दिया ज्ञान नेत्र तुमने, त्रिकुटी में दिव्य ज्योति । 
जयगुरुदेव रूप में हो, बंसी बजाने वाले ।। 

मैं हूं शरण में तेरी, अब क्या है नाथ देरी । 
भक्ति को अपनी दे दो, सद् मार्ग दिखाने वाले ।।



प्रार्थना  218. 
Gurudev mujhe apne charno me laga lo

गुरुदेव मुझे अपने चरणों में लगा लो, 
निज दास बना लो। 
कि और मेरा कोई नहीं ।।

भटक भटक तेरे दर पे पड़ा हूँ। 
पतितों में नामी बेईमानी बड़ा हूँ। 
तेरे बिन मुझको अब कौन सुधारे, 
मैं हूं तेरे सहारे, कि और मेरा कोई नहीं ।।

दुनिया में देखा कुछ सार नहीं है। 
तेरे बिन दूजा दातार नहीं है। 
तेरे ही दर पे सब हाथ पसारे, 
दुख सब का तू टारे, कि और मेरा कोई नहीं ।।

दुनिया में ढूंढा, कहीं प्यार नहीं है। 
तेरा जैसा सच्चा कोई यार नहीं है।। 
बिछुड़ा हुआ हूं अब नाथ सम्भालो,
कृपा कर डालो, कि और मेरा कोई नहीं ।। 

तेरे विन जीवों को ठौर कहा हैं।
तेरे जैसा दानी कोई और कहां है।।
भक्तों का तुमने भव-बंध छुड़ाया। 
नहीं देर लगाया, कि और मेरा कोई नहीं ।।

मेरी बारी में क्यूं देर लगाया है। 
ये दासानुदास भी तेरे चरणों में आया है।। 
तेरे बिन जग में कोई और न मेरा। 
तेरे चरणों में डेरा, कि और मेरा कोई नहीं ।।


प्रार्थना  219. 
Mere guruvar tumhi do sahara

मेरे गुरुवर तुम्हीं दो सहारा, 
और कोई सहारा नहीं है ।। 

अपना कहकर जिसे मैं बुलाऊँ, 
ऐसा कोई हमारा नहीं है ।। 

नाव मँझधार में है हमारी,
कोई किश्ती खेवैया नहीं है। 

मैं कहाँ जाऊँ अब नाथ मेरे, 
कहीं दीखता किनारा नहीं है।। 

तेरे दरबार का हूं मैं मुजरिम, 
मैं हूं पापी मेरा पाप हर लो। 
और किसकी करूँ आश गुरुवर, 
कहीं मेरा गुजारा नहीं है ।।


प्रार्थना  220. 
Jab se mile mere satguru ji

जब से मिले मेरे सतगुरु जी, 
जाग उठी तकदीर मेरी ।। 

दिल के अन्दर नाम तेरा, 
होठों पर पैगाम तेरा। 
आँखों में तसवीर तेरी ।।
जाग उठी तकदीर मेरी ।। 

तू सारे जग का पालक है, 
तू मेरे मन का मालिक है। 
सच कहंदी है जमीर मेरी।। 
जाग उठी तकदीर मेरी ।। 

अब दुनिया से मुख मोड़ लिया, 
तेरे चरणों में चित्त जोड़ लिया। 
सब हो गई दूर पीर मेरी ।। 
जाग उठी तकदीर मेरी ।। 

तू ही सुन्दर श्याम प्यारा है,
गुरु ही जीवन उजियारा है। 
सब कर दी माफ तकसीर मेरी।। 
जाग उठी तकदीर मेरी ।। 

प्रार्थना  221. 
Satguru aye ri sajaniya more angna

सतगुरु आये री सजनियां मोरे अंगना । 
हां हां मोरे अंगना, दाता मोरे अंगना ।।

उड़े बदरवां कभी कभी बिजली अरु तारे चमकें।
सूरज चांद मणी और मोती रंग बिरंगे दमकें। 
जगमग ज्योति की जगनियां मोरे अंगना ।।
सतगुरु आये री सजनियां मोरे अंगना ।। 

कभी अंधेरा कभी उजाला कभी दर्श दिखलाये । 
रूप तेरा इस जग में आला, भक्तों के मन भाये। 
प्यारी बाजे तेरी बंसुरिया, मोरे अंगना ।।
सतगुरु आये री सजनियां मोरे अंगना ।। 

सतगुरु संत शरण में आके, भाग्य हमारे जागे । 
प्रेम मनोहर छवि देखकर सब नर नारी जागे। 
मानो मानो जी बचनिया, मोरे अंगना ।।
सतगुरु आये री सजनियां मोरे अंगना ।। 


प्रार्थना  222
Gurudev bhul na jana re

गुरुदेव भूल नहीं जाना रे, 
मोह पार लगाना रे ।।

भटक भटक कर हारा भगवन, 
कहीं आसरा न पाया। 
चरण कमल की छाया दे दो, 
शरण तुम्हारी मैं आया। 
शरणागत को अपनाना रे ।। मोहे० 

डगमग डगमग डोल रही है, 
बीच भंवर में नैया । 
झुला रही हैं ताल तरंगें, 
कोई नहीं है खिवैया ।
करुणा कर पार लगाना रे ।। मोहे० 

भक्ति का रंग कभी न उतरता, 
चाहे जितना धो ले। 
ज्यों ज्यों धोवे त्यों त्यों निखरे 
कभी न फीका होवे ।
प्रभु ऐसा रंग चढ़ाना रे।। मोहे०


प्रार्थना  223.
Guru ki murat man me dhyana
 
गुरु की मूरत मन में ध्याना ।
गुरु के शबद मन्तर मन माना ।।

गुरु के चरण हृदय लै धारो ।
गुरु पारब्रह्म सदा नमस्कारो ।।

मत कोई भरम भूलो संसारी ।
गुरु बिन कोई न उतरसि पारी ।।

भूले को गुरु मारग पाया। 
अवर तियाग हरि भक्ति लाया।।

जन्म मरण की त्रास मिटाई।
गुरु पूरे की बे-अन्त बड़ाई ।।

जिन्ह पाया तिन्ह गुरु ते जाना ।
गुरु कृपा ते मुगध मन माना ।।

गुरु प्रसादि उर्ध कमल विगाशै।
अन्धकार में भया प्रकाशै ।।

गुरु करता गुरु करने योगः।
गुरु परमेश्वर है भी हौगः ।।

कहे नानक प्रभु एहो जनाई।
गुरु बिन मुक्ति न पाइये भाई ।।


प्रार्थना  224
Kripa ki na hoti jo adat tumhari

कृपा की न होती जो आदत तुम्हारी।
तो सूनी ही रहती अदालत तुम्हारी।।

जो दीनों के दिल में जगह तुम न पाते। 
तो किस दिल में होती इबादत तुम्हारी ।।१।। 

गरीबों की दुनिया है आबाद तुम से। 
गरीबों से है बादशाहत तुम्हारी ।।२।।  

न मुलजिम ही होते न तुम होते हाकिम । 
न घर घर में होती हिफाजत तुम्हारी ।।३।। 

तुम्हारी ही उलफत के दृग बिन्दु हैं ये । 
तुम्हें सौंपते हैं अमानत तुम्हारी ।।४।।



प्रार्थना  225
Pitu matu sahayak swami sakha

पितु मात सहायक स्वामी सखा, 
तुम ही एक नाथ हमारे हो। 

जिनके कछु और आधार नहीं, 
तिनके तुम ही रखवारे हो।।

भूले हैं हरि हम तुमको तो,
तुम हमरी सुधि न बिसारे हो ।

महाराज महा महिमा तुम्हारी, 
समझे बिरले बुद्धिवारे हो।।

उपकारन को कछु अन्त नहीं, 
छिन ही छिन जो विस्तारे हो ।

सुख शान्ति निकेतन प्रेम निधे,
मन मन्दिर के उजियारे 'हो ।।

इस जीवन के तुम जीवन हो,
इन प्रानन के तुम प्यारे हो । 

तुम सा प्रभु पाया जयगुरुदेव,
सबके तुम नाथ सहारे हो।।

जयगुरुदेव
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Param purush gurudev ji jaigurudev anam


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