परम् पूज्य परम् सन्त बाबा उमाकान्त जी महाराज के जनहितकारी परमार्थी वचन:-
1008. दिखावे की भक्ति का फल दूसरे लोग ले जाते हैं।
1009. मांसाहारी दवाई मत खाना।
1010. परहेज नहीं कर रहे हो।
1011. नाम की कमाई करने वालों को अखाद्य चीजों से विशेष रूप से बचना चाहिए।
परहेज नहीं कर रहे हो। भाग- 2
1012. जो सतसंग वचन आप समझ जाते हो उसे उन लोगों को बराबर बताते रहो जो बेचारे पूरा सतसंग नहीं सुन पाते हैं।
1013. जवानी देखते देखते चली जाएगी और बुढ़ापा आ जाएगी।
1014. प्रेमियो! सुमिरन, ध्यान, भजन बराबर करते रहोगे तो अब इस दुःख के संसार में नहीं आना पड़ेगा।
1015. शेर कौन होता है ?
1016. कढ़े लोग पढ़े लोगों जैसा काम कर सकते हैं। कढ़ा किसे कहते हैं ?
1017. विचार करने की जरूरत है, जिन भगवान को आप मानते हो उनको कभी देखा? उनकी कभी दो बात सुनी ?
1018. ध्यान, भजन का अभ्यास करने से ऊपरी लोकों में भगवान दिखेंगे।
1019. आप परहेज़ नहीं कर पा रहे हो।
1020. व्यभिचार से दूर रहो।
1021. आत्महत्या कभी मत करना।
1022. शिव नेत्र खुलने पर भेदभाव खत्म हो जाता है।
1023. सेवा के नाम पर फालतू बैठे रहोगे तो कर्म नहीं कटेंगे।
1024. जिसकी जैसी कर्मों की गठरी होती है उसको उस तरह का सेवा कार्य बताया जाता है, मिलता है।
1025. शर्म खाजाओगे तो कष्ट, तकलीफ कैसे जाएगा ?
1026. जो सेवा के लिए नहीं आते हो और सेवा नहीं करते हो तो चूक कर रहे हो।
1027. गुरु बेदाग होते हैं।
1028. इधर-उधर भटकने से किसी को भी परमात्मा नहीं मिला।
1029. अन्तर की आंख खुलने पर सबकी राय एक है।
1030. सन्त, महात्मा, अवतारी शक्तियां दूरदर्शी होती हैं।
1031. सन्त, महात्मा, अवतारी शक्तियों की बातें लोगों को अचरज लगती हैं।
1032. कर्मों के विधान को तोड़ने पर सन्तों को भी उस कर्म की सजा भोगनी पड़ती है।
1033. कबीर साहब ने साहब किसको कहा था?
1034. 'दाता' मनुष्य शरीर में होते हैं।
1035. राजा जनक विदेही क्यों कहलाए थे ?
साभार:
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दीन और दुनिया दोनों बनाने वाले |
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