*आज गुरु से दया मांग करके साधना में बैठोगे तो दो-चार घंटे में भी मिल सकता है*

जयगुरुदेव

दीपावली विशेष
12.11.2023
सायंकाल सतसंग
उज्जैन (म.प्र) 

*आज गुरु से दया मांग करके साधना में बैठोगे तो दो-चार घंटे में भी मिल सकता है*

ऐसा दीपक जलाओ कि अंतर में परम प्रकाश रूप दिन राती हमेशा जलता रहे। जीवन प्रकाश में हो जाए। प्रकाश का त्योहार कहलाता है दीपावली। ऐसा अंदर में आज दिया जलाओ की जीवन में प्रकाश ही प्रकाश हो जाए। वह रास्ता मिल गया है। आज बैठना, ध्यान करना, भजन करना, आज गुरु से कुछ मांगना। गुरु अगर दया कर देंगे, आज का दिन ऐसा है जो लोग दुनिया वाले भौतिक कर्म करके तमाम सब इकट्ठा करके पूजा पाठ करेंगे, वह फल की इच्छा करते हैं, वह फल आपको दो-चार घंटे की साधना में ही मिल सकता है। उससे ज्यादा फल मिल सकता है क्योंकि आपको तरीका मालूम है फल पाने का। आपको उपाय मालूम है लक्ष्मी जी को, गणेश जी को खुश करने का, रिद्धि सिद्धि कुबेर को अपने पास रखने का, आपको उपाय तरीका मालूम है। उन लोगों से ज्यादा आपको मिल सकता है, अगर आप प्रयास करोगे।



13.11.2023
प्रेस नोट
उज्जैन (म.प्र)

*जहां-जहां सतसंगी हैं वहां साप्ताहिक सतसंग कायम कर दो*

*साप्ताहिक सतसंग में बच्चों को भी लाया करो, संस्कार जागते हैं*

दुखहर्ता, पूरे सन्त सतगुरु बाबा उमाकान्त जी महाराज ने 29 अक्टूबर 2023 पर उज्जैन आश्रम में दिए व यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर प्रसारित लाइव सतसंग में बताया कि शरद पूर्णिमा को आपको ये कहा जा रहा है कि आप लोग जहाँ-जहाँ सतसंगी हैं, जिन-जिन गाँवों में हैं, उन गावों में आप जा करके साप्ताहिक सतसंग कायम कर दो। साप्ताहिक सतसंग किसको कहते हैं? हफ्ते में एक दिन लोग इकट्ठा हो जाया करे। ये आदेश देश, विदेश, सभी प्रान्तों, सब के लिए है। 

*समय अपने हिसाब से निश्चित कर लो*

छुट्टी के दिन आदमी फ्री रहता है तो सब आ सकते हैं उसमें। तो इतवार को रखो। सुबह या दोपहर या शाम का टाइम अपने-अपने हिसाब से आप फिक्स कर लो क्योंकि ठंडी कहीं ज्यादा कहीं कम पड़ेगी। मौसम के हिसाब से बदलते सकते हो। लेकिन 2 घंटे के लिए आप शहर, गाँव के लोग अपने-अपने एक जगह पर इकट्ठा एक जगह पर हो जाया करो। अपने सतसंगी लगभग सभी जगह सभी शहरों में हैं। 

*सतसंग, ध्यान-भजन व गोष्ठी का स्थान*

जहाँ ज्यादा सतसंगी हैं तो वहां 4 भागों में बाँट लो। चारों जगह होने लग जाए तो भी कोई हर्ज नहीं है। आपको गोष्ठी या और कोई विचार विमर्श करना है तो आप जिम्मेदार लोग एक कोई रविवार को निश्चित कर लो कि भाई इस रविवार को यहीं हुआ करेगा और अगर ये बात नहीं बनती, नहीं बैठती है तो सब जगह होने दो। पूर्णिमा, त्रियोदशी भंडारा में एक जगह इकट्ठा हो जाए लोग। जहां किसी शहर में कई आश्रम हैं तो अब उन आश्रमों पर कहीं त्रियोदशी को हो जाए तो कहीं पूर्णिमा को हो जाए। तो समझो 15 दिन में इकठ्ठा हो जाओगे। उसी में आप सतसंग, गोष्ठी, ध्यान भजन कर लो।

*साप्ताहिक सतसंग ऐसे करना है*

साप्ताहिक सतसंग में इकट्ठा हो जाते हैं, गुरु का फोटो लगा लेते हैं और प्रार्थना बोलते हैं। ज्यादा प्रार्थना बोलने की जरुरत नहीं रहती है, समय जाता है। प्रार्थना तो एक भी हो जाए विरह के साथ आवाज अंदर से पहुँच जाए प्रभु के पास तो स्वीकार हो जाता है, नहीं दो बोल दो। उसके बाद में ध्यान करो कम से कम 35 मिनट 40 मिनट नहीं तो आधा घंटा तो करना ही करना है। 

ध्यान कर लो फिर भजन कर लो। फिर उसके बाद में कुछ 5-7-10 मिनट नाम ध्वनि बोल दो। कोई अगर सुनाने वाला है संतमत की बात को बताने वाला है संतों की महिमा को बताने वाला है तो सुना देगा, नहीं है कोई तो ये जो किताबे हैं, पत्र पत्रिकाएँ हैं संगत की वही पढ़ कर के लोगों को सुना दो, केसीटे हैं सतसंग की गुरु महाराज का भी ये सन्देश छपा है टेप किया है लोगों ने वो मिल जाए नहीं उनके बाद के जो ये सतसंग किये गए हैं इनको भी आप लोगों को सुनाओगे तो लोगों पर असर पड़ेगा, नए आदमी अगर आते हैं नाम ध्वनि बुलवाओ उनको ध्यान भजन में अगर बैठते हैं तो कह दो भाई जब तक नाम दान नहीं मिलता है तब तक तुम ध्यान लगाओ, जिनको याद करते हो अपने देवी देवता भगवान उन्ही का ध्यान लगा लो और नहीं तो विश्वास के साथ ये हमारे गुरु का फोटो है इन्ही को आप ध्यान लगा लो, बैठने लगते हैं।
दीपावली प्रसाद उज्जैन से ले जाना, साप्ताहिक सतसंग में जो आये, बांट देना, घर पर मत जाना देने के लिए।




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