जय गुरु देव
02.10.2023
प्रेस नोट
इंदौर (म.प्र.)
*गांधी जी की अहिंसा परमो धर्म यानी जीवों पर दया करने की सीख का अनुकरण नहीं करोगे तो आपकी मेहनत बेकार जाएगी*
*आज गांधी जयंती पर सत्य और अहिंसा यानी जीवों पर दया करने का संकल्प लो*
अध्यात्मवाद के साथ सत्य, अहिंसा और देश भक्ति का पाठ पढ़ाने वाले वक़्त के पूरे सन्त सतगुरु, दुःखहर्ता उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने 2 अक्टूबर 2017 को गांधी जयंती पर इंदौर में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल Jaigurudevukm पर प्रसारित संदेश में बताया कि भारत देश तीज-त्योंहारों, पर्वों का देश है। धर्म परायण भूमि होने के नाते, महापुरुषों का इस धरती पर प्रादुर्भाव होने के नाते, यहाँ तीज-त्योंहार लोग बहुत मनाते है। कुछ सामाजिक पर्व भी, कुछ राष्ट्रीय पर्व भी। 2 अक्टूबर को राष्ट्रीय पर्व के रूप में देश के लोग मनाते हैं।
*गांधी जी ने सत्य, अहिंसा, शान्ति और छोटा बनने का पाठ सिखाया*
गांधी का इतिहास में नाम लिखा गया, क्योंकि उन्होंने देश को आज़ाद कराने में अहम भूमिका अदा किया था। उन्होंने हाथ जोड़ कर के, लोगों को शांति का पाठ पढ़ा करके, अहिंसावादी बना कर और ऐसे समय पर अंग्रेजों से विजय पाई थी, जब लोग कहते थे की सूरज के निकलने से लेकर अस्त होने तक अंग्रेजों का राज्य है, अंग्रेजों को कोई हिंदुस्तान से हटा नहीं सकता। लेकिन अहिंसा, शांति, छोटा बनने का पाठ पढ़ा कर देश को आज़ाद करा दिया।
*गांधीजी ने जीवों पर दया करना सबसे बड़ा धर्म बताया*
अब पर्व तो लोग मनाते हैं। गांधी जी को याद करते हैं, जगह-जगह पर फ़ोटो लगाते, जन्मदिन और हर तरह की चीजों को मनाते हैं लेकिन जो उनके "अहिंसा परमो धर्मः", अहिंसा यानी जीवों पर दया करने के पाठ को लोग भूल रहे हैं, अमल नहीं कर रहे हैं।
*उनके बताए रास्ते पर नहीं चलोगे तो आपकी सारी मेहनत बेकार जाएगी*
त्याग, तपस्या से महापुरुषों का इतिहास में नाम हुआ। कितना भी आप पर्व मना लो, कितना भी पूड़ी-मिठाई खा लो लेकिन महापुरुषों का इतिहास ये रहा है कि उन्होंने लोगों के लिए काम किया, त्याग, तपस्या किया और यदि उस तपस्या को अगर आप नहीं कर पाओगे, उनके बताये रास्ते पर नहीं चल पाओगे, उनका अनुकरण अगर नहीं कर पाओगे तो आपकी मेहनत बेकार जायेगी, उसका कोई फायदा-लाभ आपको नहीं होगा। शाकाहारी बनो और बनाओ।
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daya ke sagar baba umakant ji maharaj |
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