जयगुरुदेव
03.09.2023
प्रेस नोट
रेवाड़ी (हरियाणा)
*सन्त बाबा उमाकान्त जी ने बताई अकाल मृत्यु के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी*
*सन्तमत में पूरा उसे बनाते हैं जिससे काम करवाना होता है।*
अकाल मृत्यु समेत काल के विधान की पूरी गणित पूरी तरह से समझने वाले, काल के विभिन्न जालों से बच निकलने के उपाय बताने वाले, हलके-फुल्के परहेज और छोटी-मोटी अच्छी आदतों के बदले मृत्यु के पहले और बाद में भी जीवात्मा की जिम्मेदारी लेने वाले, इस समय के महापुरुष, पूरे समरथ सन्त सतगुरु, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने 9 फरवरी 2020 दोपहर बावल, रेवाड़ी (हरियाणा) में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि
कलयुग जाएगा तो अपने साथ कलयुगी प्रेमियों को रगड़ता हुआ ले जाएगा। वो जो कलयुगी काम करते हैं, कलयुग से ही मोहब्बत करते हैं। अकाल मृत्यु होगी। अकाल मृत्यु में जो मरेंगे, प्रेत योनि में चले जाएंगे। प्रेतों का पेट बहुत बड़ा होता है, मुंह बहुत छोटा होता है। खा नहीं पाते हैं, भूख से व्याकुल रहते हैं। परेशान रहते हैं और दूसरों को परेशान करते रहते हैं। एक घर में एक प्रेत अगर घुस जाए तो पूरे घर भर को परेशान किए हुए रहता है। और जब इसी तरह से मुर्गा भैसा बकरा काटते रहेंगे, आदमी कटता मरता रहेगा, तब एक-एक आदमी के ऊपर दस-दस प्रेत लगेंगे तो ठीक से खा पाओगे या सो पाओगे? इसलिए बचो और बचाओ। लोगों को समझाओ प्रेमियों।
*अकाल मृत्यु में गुरु भाई की क्या गति होती है*
महाराज जी ने 3 सितम्बर 2017 उज्जैन आश्रम में बताया कि अगर गुरु भाई की अकाल मृत्यु हो जाए तो उनकी बचत होती है। सतगुरु अपनाए हुए जीवों पर दया कर देते हैं, मनुष्य शरीर दिला देते हैं। उनको उधर भेज देते हैं उधर, जब गुरु को याद करता रहे ,भजन ध्यान करता रहे, उनके आदेश का पालन करता रहे। यदि नाम दान लेने के बाद दुनियादारों जैसी हरकत करता रहेगा, पुराने स्वभाव, पुरानी आदतों को नहीं छोड़ेगा तब उसकी कोई गारंटी नहीं ली जा सकती है। लेकिन अगर आदेश के पालन में लगा हुआ है और अकाल मृत्यु हो गई तो दोबारा मनुष्य शरीर दे देते हैं। देने के बाद संस्कार तो रहता ही है। उस वक्त के सन्त जो धरती पर होते हैं, उनके पास दया करके पहुंचा देते हैं और जीव रास्ता लेकर के भजन करके पार हो जाता है। लेकिन अपना कोई ख़ास ही क्यों न हो, अगर वो नामदानी नहीं है, भजन ध्यान अगर नहीं करता है, तो कोई गारंटी नहीं है की उसकी संभाल हो ही जाए। वो नरक या चौरासी में भी जा सकता है। वो अपना नहीं होता है लेकिन ये नामदानी अपने होते हैं जिनका रास्ता एक ही होने से वहां भी मिलते हैं।
*अकाल मृत्यु के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी*
महाराज जी ने 1 सितंबर 2021 सांय जोधपुर (राजस्थान ) में बताया कि मान लो किसी जीव में भाव भक्ति, श्रद्धा है, गलती नहीं किया है, जो चीज मना की गई मांस, मछली, अंडा, शराब का सेवन नहीं किया है, शरीर और अंत:करण को गंदा नहीं किया है और अकाल मृत्यु हो गई तो उसको भी कुछ समय तक ऊपरी लोकों में रोक करके विश्राम दे कर के फिर वापस मनुष्य शरीर में भेज देते हैं। ताको काल न खाईया, काल उसको फिर अपनी चपेट में, अपने नियम के अंतर्गत नहीं ले सकता है। गुरु उसे नरक, प्रेत योनी में नहीं जाने देते हैं।
*सन्तमत में पूरा उसे बनाते हैं जिससे काम करवाना होता है*
महाराज जी ने 20 मई 2020 प्रातः उज्जैन आश्रम में बताया कि सन्तमत को कोई जानता ही नहीं था। लेकिन सन्तमत का प्रचार, विस्तार कबीर साहब से शुरू हुआ। तब से चला आ रहा है। सन्तमत में बहुत से लोग हुए। बुल्ला साहब, पलटू साहब, नानक साहब, गोस्वामी जी महाराज आदि। सन्तमत अपनाने वाले जितने भी लोग हुए, सब के सब तो पूरे नहीं कहे जा सकते। पूरा तो जिसको काम करना होता है, उसको वह पूरा बनाते हैं, काम करवाते हैं। बाकी उस मत का प्रचार करते हैं। तो सन्तमत में भी बहुत सी शाखाएँ इस समय पर हो गई हैं।
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याद करने पर सपने में दर्शन देकर संतुष्टि करा देने वाले सन्त |
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