जयगुरुदेव
08.09.2023
प्रेस नोट
उज्जैन (म.प्र.)
*सन्त बाबा उमाकान्त जी ने बताया भजन ध्यान में तरक्की क्यों नहीं हो पाती, ज्ञान का पिटारा कैसे खुलेगा*
*जैसी चोट वैसी दवा, जैसी प्रार्थना वैसी दया गुरु करते हैं*
*सन्तमत की तीन प्रमुख चीजें -सतसंग, सेवा और भजन*
दिन दुनी रात चौगुनी ध्यात्मिक तरक्की का उपाय बताने वाले, जैसी इनसे प्रार्थना कि जाए वैसी दया करने वाले, बार-बार इशारा देने वाले कि जल्दी से कैसे गुरु से दया ली जा सकती है, कैसे गुरु को खुश किया जा सकता है, ज्ञान का पिटारा खोलने वाले, सन्तमत की बुनियादी बातें समझकर उपर वाला महल बनवाने वाले, इस समय के युगपुरुष, पूरे समरथ सन्त सतगुरु, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त महाराज जी ने 27 अप्रैल 2023 सांय मुंबई में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि
ध्यान में दिखाई और भजन में सुनाई नहीं पड़ता है, तरक्की नहीं होती है तो उसका क्या कारण है? कारण यही है कि दूसरे को भजन नहीं करा पाते हो, दूसरे को नाम दान नहीं दिला पाते हो, दूसरे को सतसंग में नहीं ला पाते हो इसीलिए आपको भजन में तरक्की नहीं होती है। भजन में अंतर मुख नहीं हो पाते हो, बाहर मुखी पूजा-पाठ में लगे रहते हो तो आत्मा को सुख-शांति नहीं मिल पाती है, इसलिए परेशानी रहती है। कहने का मतलब यह है कि जीवों को वहां पहुंचना चाहिए जहां सतसंग, नाम दान होता है। लोगों को निर्मल करके, शाकाहारी नशा मुक्त बना करके, समझा कर के, वहां पहुंचाना चाहिए।
*गुरु से प्रार्थना करनी चाहिए*
महाराज जी ने 18 मई 2023 प्रातः उज्जैन आश्रम में बताया कि गुरु से प्रार्थना कर ली जाए। प्रार्थना कई तरह की होती है। जैसे मुंह से बोलकर प्रार्थना होती है। गद्ध में, गा करके, सुना करके प्रार्थना की जाती है। और ऐसे याद करके प्रार्थना की जाती है। गुरु महाराज, प्रभु हमको सफलता कामयाबी देना, हम सेवा, भजन, सुमिरन ध्यान करने जा रहे हैं, इसमें हम को कामयाबी सफलता देना। वह भी एक प्रार्थना होती है। प्रार्थना की जो आवाज, जैसा भाव होता है उसी हिसाब से वह सुनवाई करता है। जैसे बोल दिए नमस्कार, दया करना, जा रहा हूं तो वह एक अलग भाव होता है। नमस्कार प्रणाम, दया, कृपा मेहरबानी करना, इस काम के लिए, सेवा, भजन के लिए जा रहा हूं। जैसा चोट होती है वैसी दवा दी जाती है। जैसी आवाज होती है उसी हिसाब से आदमी दौड़ता है। कोई कह दे मार लग गई, अरे देखो-देखो, आ जाओ, मुझे बचा लो तो नहीं आएगा। जोर से चिल्लाएगा अरे पैर टूट गया, मर गया, दौड़ो तो भग करके पास का आदमी उसको बचाने के लिए आ जाएगा। इसी तरह से प्रार्थना का भी भाव होना चाहिए।
*ज्ञान का पिटारा कैसे खुलता है*
महाराज जी ने 18 मई 2023 प्रातः उज्जैन (मध्यप्रदेश) में बताया कि कढ़े लोग ऐसी बात बोल देते हैं जैसा गुरु महाराज ने बोला था जो पढ़े-लिखे लोगों को प्रभावित कर जाते हैं। लेकिन लोग निराश हो जाते हैं कि हम पढ़े-लिखे नहीं हैं, हम क्या समझा पाएंगे। लेकिन यह भूल जाते हैं कि कबीर साहब, सूरदास, पलटू, नानक कौन सी यूनिवर्सिटी विश्वविद्यालय कॉलेज में पढ़े थे? आज की कौन सी डिग्री उनके पास थी? लेकिन यह डिग्री जहां खत्म हो जाती है वहां से उस विद्या की डिग्री शुरूवात होती है। वह उनके पास थी। नहीं कुछ तो भजन में ही आप लोग वह विद्या प्राप्त कर लो फिर देखो कितना ज्ञान का पिटारा खुलता है।
*सन्तमत में तीन चीज प्रमुख है*
महाराज जी ने 17 मई 2023 सांय उज्जैन आश्रम में बताया कि सतसंग, सेवा और भजन। यह तीनों चीज अगर अपना लिया जाए तो समझो काम बन जाए। क्योंकि सतसंग से चेतना आती, जानकारी होती, बोली हुई बात याद आ जाती, रास्ता मिल जाता है तो बराबर सतसंग सुनते रहना चाहिए। शरीर से सेवा कर के कर्मों को काटना चाहिए। और आत्मा के ऊपर लगे कर्मों के पर्दे (को हटाने) के लिए पांच नाम का सुमिरन, ध्यान और भजन बराबर करते रहना चाहिए। और करते रहना। जीवन का एक-एक मिनट समय निकला चला रहा है।
कहा गया है- काल करे सो आज कर, आज करे सो अब, पल में प्रलय होत है, बहुरि करोगे कब। देखो आंखों के सामने देखते-देखते आदमी ऐसे (जमीन/पानी आदि में) समा जाता है, देखते-देखते गाड़ी में आग लग जाती है, जल कर के स्वाहा हो जाते हैं, हट्टा कट्टा आदमी जा रहा, तेजी से गाड़ी आई और कुचल करके चली गई तो और खत्म हो गया, सब काम खत्म हो गया। इस वक्त किसी के जीवन का कोई भरोसा ही नहीं है। इसीलिए जो समय जीवन का बचा है उसमें अपना काम बनाना चाहिए। अपना काम क्या है? कि जीवन रहते-रहते जीवात्मा का कल्याण कर लिया जाए। तो अपने साथ-साथ दूसरे को भी समझाते रहना चाहिए कि असली चीज को पकड़ो। मूल को पकड़ो।
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इस समय के महापुरुष बाबा उमाकान्त जी महाराज |
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