जयगुरुदेव
02.08.2023
प्रेस नोट
उज्जैन (म.प्र.)
*परमात्मा न कभी मां के पेट में गया और न जाएगा -बाबा उमाकान्त जी महाराज*
*नामदान लेने से पहले क्या छोड़ना पड़ता है*
जीवात्मा को जीते जी मुक्ति मोक्ष निर्वाण दिलाने का रास्ता पांच नामों का नामदान देने के इस समय इस धरती पर एकमात्र अधिकारी, प्रभु के बारे में गहरी बात बताने वाले, बुराईयां छुडवाने वाले, आत्म कल्याण करवाने वाले, इस समय के युगपुरुष, पूरे समरथ सन्त सतगुरु, त्रिकालदर्शी, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी ने 5 मार्च 2023 प्रातः उज्जैन आश्रम में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि
परमात्मा किसको कहते हैं? परम आत्मा, जो इस दुनिया संसार में आज तक आया ही नहीं। न कभी आया और न आएगा, न कभी मां के पेट में गया और न जाएगा। तो वह है परम आत्मा। आत्मा, जीवात्मा कहते हो, सन्तों ने इसको सुरत कहा। यह प्रभु की अंश है। शब्द की धार ऊपर से उतरी तो यह सुरत कहलाई और वहां जब ऊपर जाती है तो यह सू-रत हो जाती है, मतलब उसमें रत हो जाती है, उस प्रभु में लीन हो जाती है, उसकी पावर इसमें आ जाती है। लेकिन जब यह हड्डी मांस के पंच भौतिक शरीर में आती है तो यह जीव कहलाती है।
*नामदान लेने से पहले क्या छोड़ना पड़ता है*
महाराज जी ने 1 जनवरी 2023 प्रातः उज्जैन आश्रम में बताया कि नाम दान देने से पहले आपको कुछ छोड़ना पड़ेगा। आपको न तो घर, जमीन-जायदाद, बाल-बच्चे, धंधा, नौकरी कुछ नहीं छोड़ना है। अगर आपके पास है तो अच्छा खाओ, अच्छा पहनो, अच्छे समाज में रहो, पूरी छूट है।
न तो बाल बढ़ाना, न कटवाना, न कपड़ा बदलना, कुछ नहीं। जैसे रहते हो वैसे रहो। छोडना क्या है? गंदी चीजें को। यह जो मांस, मछली ,अंडे, शराब, शराब जैसा तेज नशा चाहे कोई गोली, जड़ी-बूटियों की, चाहे पीने वाली चीज हो, उसको छोड़ना है। उससे दूर रहना है जिससे बुद्धि खराब हो जाती है, जिससे आदमी मदहोश हो जाता है। मदहोशी में गलत काम करते हैं। मदहोशी में सही काम नहीं हो पाता है। इसीलिए मदहोशी वाले नशे का सेवन मत करना।
*सुबह सुमिरन ध्यान भजन कर लोगे तो छूटेगा नहीं*
महाराज जी ने 8 जून 2021 प्रातः उज्जैन आश्रम में बताया कि सेवा में लगोगे तो मन साफ रहेगा, मन मुखता खत्म होगी, भाव-भक्ति आएगी, शरीर निर्मल व स्वस्थ रहेगा और भजन में भी मन लगेगा। क्योंकि इस वक्त पर लोगों के लिए भजन करना बड़ा भारी हो रहा है। जब सेवा करोगे तो दया हो जाएगी। हमेशा गुरु और गुरु के वचन याद रहेंगे तो गुरु की दया भजन में भी हो जाएगी।
छोड़ना भजन को भी नहीं हैं। सुमिरन ध्यान भजन नित्य करने की आदत डालनी है। अगर सुबह ही कर लिया करोगे तो दिन भर के लिए फ्री रहोगे। काम के चक्कर में फंसोगे नहीं, नहीं तो वही दिखाई पड़ेगा, यह चीज छूट जाएगा और फिर छूटता ही चला जाएगा, मन इधर से, भजन ध्यान सुमिरन की तरफ से हट जाएगा। तो करना तो आखिर में यही है। आत्मा के लिए, आत्म कल्याण के लिए फल तो इसी का मिलेगा। बाकी तो यह सब शरीर के लिये फल मिलेगा। यहां का फल इस शरीर से अच्छे कर्म किए जाएंगे, वो इस शरीर के लिए ही रहेंगे। लेकिन करना तो बच्चा! भजन ही पड़ेगा।
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