*बावल, उज्जैन समेत गुरु महाराज के आश्रमों पर आने की आदत बनाये रखो, कर्म कटेंगे, दया मिलेगी*


जय गुरु देव

19.08.2023
प्रेस नोट
उज्जैन (म.प्र.) 

*बावल, उज्जैन समेत गुरु महाराज के आश्रमों पर आने की आदत बनाये रखो, कर्म कटेंगे, दया मिलेगी*

*छोटी चीजें तो बहुत जगह मिल जाती हैं लेकिन बड़ी चीज पाना चाहो तो बड़ी जगह पर ही मिलेगी*

निजधामवासी बाबा जयगुरुदेव जी के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी, भक्तों पर दया लुटाने के, तकलीफों में आराम दिलाने के, सही जगह धन को खर्च करवा कर आने वाले बड़े संकट से बचाने के नित नये आसान तरीके खोजने वाले, नाम रूपी मणि अंतर में प्रकट करवाने वाले, दया के सागर, गोविंद का भेद बताने वाले, वक़्त के पूरे समरथ सन्त सतगुरु, त्रिकालदर्शी, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने 14 अगस्त 2023 प्रातः उज्जैन में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि 

खेती, दुकान, दफ्तर का काम गुरु महाराज के ऊपर छोड़ कर के जो गुरु महाराज के मासिक भंडारे में आप आए, आपने विश्वास किया कि दामन, हाथ जिनका हमने पकड़ा है, वह हमारा कोई भी नुकसान नहीं होने देंगे। इसलिए आप चल पड़े और यहां पर आए। इसी तरह से गुरु महाराज का चिन्ह यानी मंदिर जो बावल हरियाणा में बन रहा है, श्रद्धा भाव लेकर के वहां पर भी प्रेमी जाएंगे। केवल इन्हीं दोनों आश्रमों पर नहीं बल्कि जहां-जहां भी आश्रम प्रेमियों ने बना रखा है, वहां भी प्रेमी जाएंगे। साप्तहिक सतसंग के, ध्यान-भजन के स्थानों पर भी प्रेमी जायेंगे। किसलिए जाएंगे? किसलिए आप आए हो? गुरु से दया मांगने। क्योंकि आपको विश्वास हो गया कि गुरु दया के सागर है। 

कलयुग में गुरु ही सब कुछ हैं। गुरु ही गोविंद का भेद बताते हैं। गुरु ही मदद करके प्रभु से मिलाते हैं। ऐसे ही गुरु की याद में, गुरु की दया लेने के लिए आप लोग यहां पर आए हो और आश्रमों पर भी लोग जाएंगे। गुरु महाराज के समय से ही लोग, जहां-जहां गुरु महाराज रहते थे (वहां-वहां जाते थे)। वही आदत अब भी लोगों की बनी हुई है। आज भी जो आदत बना लेता, पकड़ लेता है, उसकी आदत निभ जाती है। अब आप देखो! बहुत से लोग बुराइयों की आदत डाल लेते हैं और बार-बार समझाने पर भी उनकी आदत जल्दी छूटती नहीं है। बहुत से लोग पुरानी आदतों में फंसे रहते हैं और संगत में भी आ जाते हैं, ध्यान भजन भी करते हैं, सतसंग भी सुनते हैं लेकिन आदत वश उसी रास्ते पर फिर चले जाते हैं, गलती करते हैं। जानकारी होते हुए जो आदमी गलती करता है तो सजा मिलती है। 

कहने का मतलब यह है कि आदत अच्छी चीजों की डालनी चाहिए। आपकी जो आदत बन गई है त्रयोदशी और पूर्णिमा के दिन आश्रमों पर आने की, बराबर इस आदत को बनाए रखो। इसमें गुरु याद आते हैं और हाथ, पैर, आंख, कान, शरीर से जो सेवा हो जाती है, आने की, जाने की, जो भी भाड़ा किराया तेल पानी अपनी गाड़ी में खर्चा हो जाता है, आपने जिस बिजनेस व्यापार, बच्चों की सुख सुविधा के लिए जो आपने गाड़ी घोड़ा खरीदा है, दिन-रात उनकी सेवा में लगाए रहते हो तो थोड़े समय के लिए यह जो गाड़ियों में बैठ करके यहां आते हो वह गाड़ी, तेल की भी सेवा यह सब हो जाती है। तो इससे इधर-उधर से जो कर्म आ जाते हैं, वह कटते हैं। इधर-उधर से धन आ गया, क्योंकि माया का लोभ लालच बहुत बढ़ता चला जा रहा है और कब माया अपना जाल फैला दे, कब अपना प्रभाव जता दे और आदमी की नीयत खराब हो जाए (कुछ कहा नहीं जा सकता)। वह धन जो इधर-उधर से आ जाता है, वह सब इसमें खर्च हो जाता है तो कर्म भी कटते हैं और तब गुरु प्रभु याद आते हैं।


*छोटी चीजें तो बहुत जगह मिल जाती हैं लेकिन बड़ी नहीं*

देखो! दुनिया की छोटी-छोटी चीजें तो बहुत जगह मिल जाती हैं। जैसे छोटे बाजार में साग सब्जी, परचून किराने का सामान छोटे-छोटे बाजारों में भी मिल जाता है। लेकिन वहां सोना या हीरा नहीं मिल सकता है। वह तो बड़ी जगह पर ही मिलेगा। ऐसे ही छोटी-छोटी चीजें, देखो लोगों ने मान्यता दे दिया कि यहां पूजा होती है, यहां लोग आते हैं, यह तीर्थ स्थान है तो छोटी चीजें वहां भी मिल जाती हैं लेकिन यह बड़ी चीज, बड़ी दौलत, जैसे कहते हैं कि घोड़ा घुड़साली में ही बिकता है, जौहरी के दुकान पर ही हीरा मोती मिलता है, ऐसे ही यह बिरले ही जगह पर मिलता है। जहां सन्तों का आश्रम, सन्त होते हैं, जो हमेशा इस धरती पर रहे, तो वहां मिलता है। अब वह हीरा है क्या? वही हीरा (प्रभु की अंश जीवात्मा ) इस शरीर के अंदर है, जिससे शरीर को भी हीरा कहां गया। तेरी हीरा जैसी काया तो जल जाएगी मना। तो यह हीरा कहां मिलेगा? कैसे प्रभु का दर्शन होगा, हीरा दिखाई पड़ेगा? 

*कर्मों की मैल हटने पर वो मणि प्रकट होगी*

वह मणि हमारे अंदर है। तो गोस्वामी जी महाराज ने कहा है- राम नाम मणि दीप धर, जीह देहरी द्वार, स्वामी भीतर बाहर, जो चाहत उजियार। जब उजाला प्रकट होगा तब। अंधेरे में वह चीज नहीं मिल सकती है। तो उजाले में देखोगे तो जो हीरा दिखाई पड़ेगा उसकी रोशनी फैलेगी। अंदर बाहर दोनों उजाला ही उजाला रहेगा। जैसे कहते हैं कि आपका जीवन उज्जवलमय, मंगलमय हो तो लोग दुनिया की चीजों के लिए कहते हैं कि आपके जीवन में अंधेरा, कमी न आवे, ऐसी कामना लोग करते हैं। ऐसे ही जो चाहता है उसके अंदर और बाहर उजाला हो जाता है। वह हीरा राम नाम रुपी मणी, अंदर में हीरा कब दिखाई पड़ेगा? कब उसकी ताकत का अनुभव, प्रभु का दर्शन होगा? जब उसके ऊपर लगी हुई कर्मों की गंदगी, मैल को हटाएंगे। 

जान-अनजान में बने कर्मों की गंदगी चतुष् अंतःकरण में जमा हो जाती हैं, उसको हटाना जरूरी है। जैसे आप माला जपते हो तो (उसके मनके) जपते-जपते घिस कर चिकना हो जाता है, ऐसे ही जब सुमिरन करते है, याद करते हैं, यह जो पांच नाम बताया गया, तो वह जो अंदर में गंदगी है, वह घिसती है, खत्म होती है, वह मैल छूटती है और फिर हाथ, पैर, आंख, कान आदि अंगों से आगे और गंदे कर्म न किए जाएं, जिससे और मैल न जम जाए, तो वह धीरे-धीरे घिसता है और घिस करके वह मैल छूट जाती है। इसलिए कहा है कि रोज सुमिरन, ध्यान, भजन करो।




अंतर साधना में तरक्की करवाने वाले, बाबा उमाकान्त महाराज 


 

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