परम् पूज्य परम् सन्त बाबा उमाकान्त जी महाराज के जनहितकारी परमार्थी वचन :-
648. जब कोई दिलेर आएगा तब शराब और गाय, पशु, पक्षी की हत्या बंद हो जाएगी।
649. चाल चलन को खराब मत होने देना।
650. खराब समय से बचने का हथियार है सुमिरन, ध्यान, भजन।
651. राजनीतिक पार्टियों में अपराधी, भ्रष्टाचारियों को न रखा जाए।
652. कहीं विधायकी ही न खत्म हो जाए।
653. बुरे कर्मों का पाप किन परिस्थितियों में माफ हो जाता है।
654. मन,चित्त,बुद्धि,अहंकार की डोर किसके हाथ में है?
655. समर्थ गुरु पाप को माफ कर देते हैं।
656. असली मस्ती ऊपरी लोकों में है।
657. कह दे आम है, गेहूं है।
658. जो गुरु कहें करो तुम सोई।
659. तू कह देता तो घास गेहूं हो जाता और आक आम हो जाता।
660. मन मुखता नहीं, गुरु मुखता होनी चाहिए।
661. गुरु से क्या मांगना चाहिए ?
662. गुरु लेते कुछ नहीं हैं।
663. सबसे सरल पूजा, साधना।
664. आत्मबल का प्रभाव।
665. ये सब रंग ऊपरी लोकों के हैं।
666. संस्कार का प्रभाव।
667. संत किसी का बुरा नहीं चाहते हैं।
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