*जो ध्यान भजन नहीं करते हैं वही भूल भ्रम में पड़े हुए हैं*

जयगुरुदेव

05.07.2023
प्रेस नोट
प्रयागराज (उ.प्र.)

*समरथ गुरु जरूरत पर सब कुछ देते हैं -बाबा उमाकान्त जी*

*विश्वास के साथ किया जाता है तब तो कुछ दिखाई पड़ता है*


निजधामवासी बाबा जयगुरुदेव जी के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी, दीनता से मांगने पर देने में देर न करने वाले, असीमित भंडार वाले, गुरु से लेने मांगने का सही तरीका सिखाने वाले, विश्वास जमाने वाले, भाव भक्ति भरने वाले, ध्यान भजन कराने वाले, धन सम्मान को परछाई की तरह पीछे-पीछे चला देने वाले, अंतर साधना में मदद करने वाले, इस समय के महापुरुष, पूरे समरथ सन्त सतगुरु, परम दयालु, त्रिकालदर्शी, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने 18 फरवरी 2023 प्रातः प्रयागराज में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि 

गुरु से कोई चीज जब दीनता से मांगा जाता है तब गुरु देने में देर नहीं करते हैं। और जो समरथ गुरु होते हैं, वह तो भंडार होते हैं। जरूरत पर सब कुछ देते हैं। आप जो पुराने लोग हो, कुछ बात का आपको अनुभव तजुर्बा है। जरूरत पर आपका सब काम हुआ होगा। अगर आपके अंदर भाव भक्ति रही होगी, गुरु से प्रेम रहा होगा, गुरु के वचनों को भूले नहीं होंगे, गुरु को याद करते रहे होंगे, गुरु को मस्तक पर सवार रखे होंगे तो आपके काम में रूकावट आते-आते भी वह समस्या सुलझ गई होगी। गुरु देते हैं लेकिन इतना भी नहीं देते कि आप गुरु को ही भूल जाओ।

*विश्वास के साथ किया जाता है तब तो कुछ दिखाई पड़ता है*

महाराज जी ने 8 जुलाई 2017 प्रातः जयपुर (राजस्थान) में बताया कि कोई भी बढ़िया से बढ़िया दवा हो लेकिन उसका उपयोग ठीक से अगर न किया जाए तो उसका परिणाम कुछ नहीं निकलता है। विश्वास के साथ जब किया जाता है तब तो कुछ (अंतर साधना में) दिखाई पड़ता है। नामदान तो बहुत लोग ले लिए लेकिन किए कितने लोग हैं? बहुत पुराने लोग इस सतसंग में बैठे हुए हैं। राजस्थान में गुरु महाराज ने बहुत मेहनत किया। कई पुराने-पुराने नाम दानी हैं लेकिन पूछ लो काका! सुमिरन कैसे करते हो तो ठीक से नहीं बता पाएंगे। प्रेम तो है गुरु से, भाव भक्ति तो है गुरु के प्रति। भाव भक्ति जिनके अंदर नहीं रह गई वह तो अलग हो गए, दुनियादारी में चले गए और दुनिया में ही फंस करके, कीचड़ गंदगी में ही फंस करके, दूसरे के कूड़े को सिर पर रख कर के और इस दुनिया से चले गए। लेकिन जिनमें भाव भक्ति रही, वह अब भी इसमें मिल जाएंगे। तो नामदान लेकर किया नहीं, विश्वास नहीं जमा। विश्वास जमाने की जरुरत होती है। विश्वास होने पर आदमी करने लगता है।

*जो ध्यान भजन नहीं करते हैं वही भूल भ्रम में पड़े हुए हैं*

महाराज जी ने 21 फरवरी 2020 प्रातः लखनऊ में बताया कि हम तो सब से हाथ जोड़ते, प्रार्थना करते रहते हैं कि भाई हमको आप न मानो लेकिन गुरु की तो मानो, ध्यान और भजन तो करो। क्योंकि हमने यह देखा, जो लोग ध्यान भजन नहीं करते हैं वही भूल-भ्रम में पड़े हुए हैं। वही जातिवाद भाई-भतीजावाद एरियावाद मान-सम्मान के चक्कर में, धन-दौलत के लोभ लालच में पड़े हुए हैं। यह चीज आप हटाओ। यह चीज कब तक रहेगी? थोड़े समय के लिए यह चीज होती है। जैसे गर्मी जाड़ा बरसात आता है, ऐसे आदमी की यह चीजें, धन दौलत होती है। इसमें भी उतार-चढ़ाव होता है। तो आप उन चीजों के पीछे क्यों दौड़ते हो? माया एक छाया है, यह परछाई की तरह से है। आप अगर परमार्थ के रास्ते में आगे बढ़ोगे तो यह मान सम्मान रुपया पैसा यह सारी चीजें आपके पीछे परछाई की तरह से चलेंगी। और उसके लिए जब आप दौडोगे तो परछाई को आज तक कोई पकड़ पाया? ये माया किसी की हुई? धन दौलत रुपया पैसा किसी का हुआ? किसी का नहीं हुआ।

*अंतर में मदद वक्त के सतगुरु ही करते हैं*

महाराज जी ने 17 मार्च 2022 प्रातः उज्जैन आश्रम में बताया कि संभाल वाली बात मैं आपसे करता रहता हूं। करना सब आपको ही पड़ेगा। कोई कुछ कहे, मैं मदद कर दूंगा, ऐसा कर दूंगा, कुछ नहीं। सुना समझा बता देगा लेकिन अंदर में जिसको आदेश होगा केवल वो ही मदद करेगा या गुरु मदद करेंगे। अंदर की चीज को आप को पाना है, अंदर में आपको धंसना है, परमानेंट स्थाई चीज की प्राप्ति आपको करना है, तो करना तो आपको ही पड़ेगा। संभाल वाली बात यही है कि ध्यान भजन सुमिरन सब लोग आप करते रहो। ध्यान भजन सुमिरन में बाधा न आवे, कर्म शरीर से इकट्टा होते हैं तो उन कर्मों को काटने के लिए शरीर से सेवा करते रहो। बुरा कर्म धन से भी बन जाता है तो उसको भी सेवा में लगाते रहो और मन को भी संगत के सेवा में लगाते रहो तो मन स्थिर हो जाएगा और भजन में मन लगने लगेगा।









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