प्रभु से मिलाने वाले, कर्मों का, पापों का नाश कराने वाले हमेशा धरती पर सन्त रहते हैं*

जयगुरुदेव

24.07.2023
प्रेस नोट
उज्जैन (मध्य प्रदेश)

*मनुष्यों के पाप कर्मों की सजा ओला, पत्थर, बाढ़, भूकंप, वज्रपात आदि के रूप में मिल रही*

*प्रभु से मिलाने वाले, कर्मों का, पापों का नाश कराने वाले हमेशा धरती पर सन्त रहते हैं*


जीते जी प्रभु से मिलने का तरीका नामदान बताने वाले, जान-अनजान में बने पाप कर्मों की मिल रही सजा से बचने का उपाय बताने वाले, जिनके रूप में वो सबका परम पिता अभी इस धरती पर स्वयं आया हुआ है, ऐसे इस समय के युगपुरुष, पूरे समरथ सन्त सतगुरु, परम दयालु, त्रिकालदर्शी, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी ने 15 जुलाई 2023 प्रात: उज्जैन आश्रम में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि

 इन चर्म आँखों-कानों से उस प्रभु को देख-सुन नहीं सकते। तो न तो दिखाई पड़ते हैं न सुनाई पड़ते हैं और न कोई बात हो पाती है। तो असली चीज नहीं मिल पाती और और नकली में ही लोग फंसे रहते हैं, इस दुनिया संसार से चले जाते हैं। हमेशा भेदी इस दुनिया में रहे हैं। भेदी वो प्रभु से मिलाने वाले, रास्ता बताने वाले, जिनको सन्त कहते हैं।

*पाप कर्म ही लोगों को सजा दे रहे हैं*

पाप बहुत बढ़ता चला जा रहा है। देखो पाप ही लोगों के सामने अंधकार बनकर, पहाड़ बनकर आ जाता है। लोगों के पाप कि ही वजह से सजा मिलती है जब बाढ़ आ जाती है, ऊपर से चिंगारी बरस जाती है जिसको कहते हो कि वज्र गिर गया, बिजली गिर गई, वज्रपात हो गया। यह क्यों होता है? ऊपर से घर्षण होता है, मेघ जब नाराज होते हैं तो ऊपर से घर्षण करते हैं, चिंगारी निकलती है। वह जिसके ऊपर गिरती या घर के ऊपर गिरती है, उसका नाश हो जाता है। घर-घर में बीमारी, लड़ाई-झगड़ा, वैमनस्यता, ईर्ष्या-द्वेष, पुरुष, औरत दोनों एक-दूसरे के काम नहीं आ रहे, भाई-भाई का दुश्मन बन जाता है, यह सब क्या है? सब कर्मों का चक्कर है।

*धरती पर पूरे सन्त हमेशा रहते हैं*

हमेशा शब्द भेदी गुरु इस दुनिया में रहते हैं। भेदी किसको कहा गया? प्रभु से मिलाने वाले, रास्ता बताने वाले, प्रभु का असला नाम बताने वाले, कौन हुआ करते हैं? वह जिनको सन्त कहा गया है। हमेशा इस धरती पर रहते हैं। इस धरती पर हमेशा सन्त रहते हैं। कर्मों का नाश कराने का तरीका बताने वाले, लोगों के कर्मों को सुधारने वाले, सुख-शांति दिलाने वाले, हमेशा धरती पर सन्त रहते हैं। सन्त अगर न होते तो अंगार बरस जाते। घिरी बदरिया पाप की, बरस रहा अंगार। सन्त न होते जगत में, जल मरता संसार॥ सन्त ही संभालते हैं। सन्त हमेशा इस धरती पर रहते हैं। सन्तों को ही गुरु, सन्त सतगुरु कहा गया है।

39 मिनट से

Sant vachnamrit


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