जयगुरुदेव
13.07.2023
प्रेस नोट
जयपुर (राजस्थान)
*लोग दुनिया की चीजें पाने तक ही सीमित रह जाते हैं*
*समर्थ पिता की संतान होते हुए भी दुख झेल रहे हो*
निजधामवासी बाबा जयगुरुदेव जी के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी, काल और माया के हमले से बचाने वाले, कलयुग को परास्त करने में अपने भक्तों की फ़ौज के साथ निरंतर लगे हुए, सतयुग की अगवानी के लिए तैयार, जिनसे लोग दुनिया की छोटी-मोटी चीजें ही मांग कर बड़ी चीज नहीं ले पा रहे, पूरा फायदा नहीं ले पा रहे, जिनके रूप में वो सुप्रीम प्रभु स्वयं मृत्युलोक में अभी आये हुए हैं, ऐसे पूरे समरथ सन्त सतगुरु, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी ने 18 जुलाई 2021 प्रातः जयपुर (राजस्थान) में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि
यह काल और माया का देश है। वो नहीं चाहते हैं कि जीव यहां से जाने पावे। इस समय पर दोनों का जोर चल रहा है। पुरुषों पर हमला माया का और औरतों पर हमला काल का होता है। तो दोनों अपनी हुकूमत राज्य को बचाने में लगे हुए हैं। क्योंकि गुरु महाराज के छोड़े हुए मिशन को पूरा करने के लिए प्रेमियों में जोश आने लगा है कि मिशन को हम पूरा करेंगे। लोग यह सोचने लगे हैं कि जिनको गुरु महाराज ने जिम्मेदारी दी, वह जब अस्वस्थ कमजोर रहते हुए भी हिम्मत नहीं हार रहे हैं, आगे बढ़ते जा रहे हैं तो हम क्यों पीछे रहें? लड़ाई में हिम्मत खास चीज होती है। हिम्मत नहीं हारनी चाहिए।
हिम्मत लोगों में अब आ रही है तो कलयुग घबरा रहा है। क्योंकि लड़ाई आपकी न राजा न महाराजा से, न प्रशासन से न किसी पहलवान से न किसी जनता से न किसी देश से है। लड़ाई तो प्रेमियों आप लोगों की कलयुग से है। तो कलयुग तो जोर लगाएगा ही। अब जब सतसंग में बैठने लगोगे, आते जाते रहोगे, सब समझ में आ जाएगा कि कलयुग का असर कहां-कहां है, उससे दूर रहने के लिए हमें क्या-क्या करना चाहिए? इसलिए सतसंग बहुत जरूरी है।
*लोग दुनिया की चीजें पाने तक ही सीमित रह जाते हैं*
महाराज जी ने 3 मार्च 2019 दोपहर लखनऊ में बताया कि कुछ लोग समय के सन्त सतगुरु के पास यह इच्छा लेकर जाते हैं कि हमारा रोग ठीक हो जाए, हम मुकदमा जीत जाए, लड़का बच्चा पैदा हो जाए, नौकरी मिल जाए, प्रमोशन हो जाए आदि। उनसे उस चीज को मांगते हैं। सन्तों के शरीर में इतनी शक्ति ताकत होती है कि छू करके दया देते हैं, वाणी से समझा बता करके उनके अंदर भाव भर देते हैं और दृष्टि डाल कर के दया दे देते हैं। लेकिन आदमी वहीं तक सीमित रह जाता है। उनसे और क्या ले लेना चाहिए? इसका पता होते हुए भी ले नहीं पाता है। तब उनको मनुष्य ही मानता है। कोई कहता है कपड़े पर, सिर पर हाथ रख दे, कोई कहता है आशीर्वाद दे दो, दुआ दे दो। तो क्या मतलब है उसका? गुरु को मनुष्य जानते ते नर कहिये अंध, महा दुखी संसार में आगे यम के फंद। इसीलिए गुरु पर विश्वास करना चाहिए और विश्वास करके उनके बताए हुए रास्ते पर चलना चाहिए। दिखावे की नहीं, पक्की भक्ति करनी चाहिए।
*समर्थ पिता के संतान होते हुए भी दुख झेल रहे हो*
महाराज जी ने 29 नवंबर 2020 दोपहर उज्जैन आश्रम में बताया कि समरथ पिता के संतान बेटा होते हुए भी आप दु:ख झेल रहे हो। आप न जानकारी में अपने कर्मों को खराब कर ले रहे हो। क्या खाना पीना चाहिए, किस तरह से रहना चाहिए आदि यह सब चीजें तो भूल गई। लेकिन साथ ही पूजा-पाठ जिसको साधना कहते हैं वह भी जो असला था, उसको आप भूल गए और भ्रम में इधर-उधर भटक रहे हो। ऐसी स्थिति में जो आपको स्वच्छ साफ निर्मल मंदिर रूपी शरीर मिला, इसको भी आप (मांसाहार, नशा, गलत कर्म करके) गंदा करने लग गए। तो जो भी पूजा पाठ उपासना आप करते हो, वह भी कबूल नहीं हो रही है। तो ऐसे समय में कर्म खराब हो जा रहे हैं। तो कर्मों की सजा तो मिलती ही मिलती है। एक-एक झूठ अपराध फरेब चाहे आप जान में करते हो या चाहे अनजान में करते हो, यह सब लिखा जा रहा है।
*दुखी जीवों को देखकर मालिक स्वयं आता है*
महाराज जी ने 29 नवंबर 2020 दोपहर उज्जैन आश्रम में बताया कि जीव को बताने समझाने के लिए, जीवात्मा नरकों में न जाए, आराम से शरीर छूट जाए, जब तक (इस दुनिया में) रहे सुखी रहे और एक दिन यह जीवात्मा अपने मालिक के पास पहुंच जाए, उसके लिए वह मालिक दया करके सन्तों को भेजता है या समझ लो कि दुखी जीवों को देख करके वह खुद आता है। जैसा मैंने बताया कि जीव घर वतन पिता को भूला हुआ रहता है, अपने खानदान घर से निकले हुए ज्यादा दिन हो जाते हैं तो इंसान भूला रहता है तो वह उसको याद दिलाते बताते समझाते हैं और उसके बाद अपने असली घर ले जाते हैं। इसके बाद राजा पीटर वाली कहानी से बात पूज्य महाराज जी ने समझाई।
एक टिप्पणी भेजें
0 टिप्पणियाँ
Jaigurudev