अशुद्ध आहार का कुप्रभाव- 11.

रामचरितमानस में लंका कांड में जब कुंभकरण को रावण ने जगाया और युद्ध का सारा हाल बताया जिसे सुनकर कुंभकरण बहुत दुखी हुआ और भाई को समझाया कि अभिमान छोड़कर श्री राम को याद कर तो कल्याण होगा।

रामचंद जी को कुंभकरण उस क्षण भक्ति भाव से याद करते हुए सब कुछ भूल गया। फिर उसने करोड़ों घड़े मदिरा तथा अनेकों भैंसों का सेवन किया। जिसके प्रभाव के कारण रणभूमि की तरफ अकेला ही मद में चूर लड़ाई के लिए निकल पड़ा और मारा गया। अन्य दोष के प्रभाव से ही उसकी मति फिर गई। 

आज घर-घर में अड़ा मांस मछली तथा मदिरा का लोग सेवन कर रहे हैं। इससे उनके अंदर अपराधिक प्रवत्ति बढ़ रही है। मन खराब होने से घरेलू हिंसा ईर्ष्या, तलाक, ठगी, चोरी, जातिवाद, एरिया वाद, आतंकवाद, बलात्कार आदि गलत भावों में लोग लिप्त हो गए हैं। अतः मन को स्वस्थ बनाने के लिए आपस में प्रेम भाव लाने के लिए हम सबको शाकाहारी होना होगा।


पौष्टिक आहार शाकाहार

यह केवल भ्रम है कि शाकाहार में पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन नहीं होता,  प्रोटीन केवल मांसाहार या अंडे में ही होता है। नेशनल इंस्टीट्यूट आफ न्यूट्रिशन हैदराबाद द्वारा प्रकाशित पुस्तक में शाकाहार भोजन में पाए जाने वाले सभी पौष्टिक तत्वों का वर्णन किया गया है। जिसका अध्ययन करने से यही पता चलता है कि ताकत शाकाहार में ही है।


उपरोक्त तालिका में भोजन करने वाले मानव को पुरुष महिला लड़का तथा लड़की मे बांटकर आवश्यक कैलोरीज का वर्णन किया गया है 1400 ग्राम अनाज में 48.4 प्रोटीन तथा यह आवश्यकता निम्न शाकाहारी भोजन से भलीभांति पूरी की जा सकती है। दाल 60 ग्राम दाल में प्रोटीन पाया जाता है। अपनी आर्थिक स्थिति को देखकर अनाज, दालें हरे पत्तेदार सब्जियां, फल दूध तेल, शुगर आदि की मात्रा बढ़ाकर या घटाकर पर्याप्त मात्रा में शाकाहारी भोजन से पौष्टिक आहार प्राप्त किया जा सकता है शाकाहारी भोजन में पर्याप्त मात्रा में फाइबर होता है जो कि पाचन तंत्र को मजबूत करता है अतः पौष्टिक तत्वों से भरपूर शाकाहार को अपनाएं स्वस्थ और दीर्घायु जीवन पाए ।

• Nutritive Value of Indian Foods, issue by National Institute of Nutrition, ICMR.




गर्व से कहो- हम शाकाहारी हैं और शाकाहार के बारे में बोलो*

आप जितने भी शाकाहारी हो, शर्माने की जरूरत नहीं है कि धीरे से बोलो कि हम शाकाहारी हैं। गर्व के साथ कहो, हम शाकाहारी हैं। हम नशे का सेवन नहीं करते हैं। दुकान दफ्तर विधानसभा पार्लियामेंट, जहां पर भी बैठते हो, वहां पर कहो और जो भी लोग आप उपदेश करो, सब जगह लोगों को समझाओ बताओ प्रवचन भाषण करो, थोड़ा बहुत शाकाहारी पर जरूर बोलो। यथा संभव, जहां जैसे बोलने लायक है। सुनकर के, समझकर के लोग बदलते हैं। इतने लोग देखो कैसे बदल गए। देखोगे तो इन्हीं (आई हुई भक्तों की भारी भीड़ में) आपको ऐसे-ऐसे लोग मिल जाएंगे जो दस क्विंटल मछली खा गए लेकिन अब बदल गए।

sant umakantji maharaj, ujjain m.p. india.



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