*आलसी आदमी कभी कामयाब नहीं होता है*

जयगुरुदेव

07.06.2023
प्रेस नोट
उज्जैन (म.प्र.)

*आलसी आदमी कभी कामयाब नहीं होता है*

*बड़े-बड़े काम चुटकी से हो जाएंगे, हर तरह से आपकी मदद होगी*

आलस से होने वाले दुनियावी और आध्यात्मिक दोनों नुक्सान से सचेत करने वाले, अपने सतसंग जल से कर्मों की मैल को काटने वाले, हर समय भक्तों की मदद करने वाले, इस समय के युगपुरुष, पूरे समरथ सन्त सतगुरु, परम दयालु, त्रिकालदर्शी, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी ने 19 मार्च 2019 प्रातः उज्जैन आश्रम में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि 

आलसी आदमी कभी कामयाब नहीं होता है। आलसी के पास जो रहता है, वह भी चला जाता है। आलस्य अगर आया तो न बिजनेस व्यापार में तरक्की, न नौकरी में तरक्की और न परमार्थ में तरक्की। आजकल सतसंगी आलसी ही तो करते हैं। सुबह उठे तो कहे नहा धोकर (साधना) करेंगे। नहाए धोए टट्टी मैदान गए तब तक नाश्ता मिल गया। तब तक दफ्तर दुकान पर जाने का समय हो गए, चले गए। बोले दोपहर में आएंगे तब कर लेंगे। दोपहर में खाने के लिए आए, खाये, थोड़ा आराम कर लें चलो, शाम को आयेंगे तब कर लेंगे, बहुत मौका रहेगा। 

अब शाम को लौट कर के आए तो रसोई से आवाज आ गई, अजी गरम-गरम रोटी तैयार है, खा लो और जब सब्जी में गरम मसाला पकने की आवाज आएगी तब कुछ याद रहेगा? तब बैठ गए खाने। फिर खाए नहीं दबाते चले गए। कई रोटी की खबर ले लिया। चार खाते थे तो अच्छा लगा छ: खा गए और जब पिया पानी, फुला पेट तो भजन ध्यान सुमिरन हो पायेगा? तब कहेंगे भाई क्या करें? अब तो पेट में गैस बन गया, अब तो आराम करना जरूरी है लेकिन गुरु महाराज ने कहा था सुमिरन ध्यान भजन जरूर करना। न बैठे-बैठे कर पाओ तो लेटे-लेटे कर लेना। 

तो बोले अब लेटे-लेटे करेंगे। अब आप सोचो, जो बैठकर नहीं कर पाया, वह लेट कर कर पायेगा? लेटे, जैसे ही बंद की आंख और जैसे ध्यान लगाए, बस नाक बोलने लग गई घर्र-घर्र, आ गयी नींद। तब सुमिरन ध्यान भजन होगा? फिर तो होगा सवेरा। दूसरे दिन फिर यही हालत, फिर आलस्य आ गया। तीसरे दिन फिर आलस्य आया। बस सुमिरन ध्यान भजन सब खत्म, मन ही जब उधर से हट जाता है तब फिर उधर नहीं लगता है। अच्छाई की तरफ से मन हट जाए तो अच्छाई नहीं करने देता है, बुराई की तरफ से मन हट जाए तो बुराई नहीं करने देता है।


*सतसंग सुनने से जानवरों का भी भाव बदल जाता था*

महाराज जी ने 4 मार्च 2019 प्रातः लखनऊ में बताया कि देखो यह भी इतिहास मिलता है कि शेर और बकरी दोनों एक घाट पर पानी पीते थे। बकरी को हाथी आदि जानवर अपनी पीठ पर बैठाकर के पानी पीने जाता, तो ले जाता था। ऐसा इतिहास मिलता है लेकिन वह भी सतसंग सुनते थे। सन्त लोग जब जंगलों में आश्रम बनाकर के सतसंग सुनाते, उपदेश करते थे तो (जानवर भी) दूर बैठे सुनते रहते थे तो उनका भी भाव बदल जाता था। आपको नहीं पता कि हम सुन रहे हैं या हमारी रूहें सुन रही है। छोटे-छोटे बच्चे ऐसे सतसंग सुनते रहते हैं, वो क्या समझेंगे? उनकी रूहें समझती है। जब वह समझते थे, तो दया करते थे जीवों पर, फिर वह क्या खाते थे? जब जानवर मरते थे तब उनको खाते थे।


*हर तरह से आपकी मदद होगी*

महाराज जी ने 1 जनवरी 2020 प्रातः उज्जैन में बताया कि यह बड़े-बड़े काम बच्चियों, तुम्हारी चुटकी सेवा से हो जाएंगे। इसीलिए चुटकी निकालना शुरू कर दो। अब यह लोग (प्रचार में) जाएंगे, अभी इनको जाने में रुकावट मत डालना, जो घर के लोग प्रचार में जायेंगे तो इनको खाने की जरूरत पड़ेगी। तो कोशिश करना, दूसरी जगह न खाए। चुटकी निकालो, वही दे दो भंडारे में, बन जाएगा। चुटकी निकालना शुरू कर दो। और आपको घबराने की जरूरत नहीं है प्रेमियों। जब आप अच्छे भाव लेकर के अच्छे काम के लिए निकलोगे तब आपकी हर तरह से मदद होगी, असंभव काम भी संभव दिखाई पडने लगेगा। ऐसे बगैर मेहनत के कलियुग को हटाना आसान काम नहीं है। सतयुग को लाना ऐसे चीनी का शरबत नहीं है जो घोलो और पी जाओ, हलवा नहीं है जो बगैर दांत के भी खा जाओ। मेहनत तो करनी पड़ेगी। परिवर्तन के समय में महात्माओं सन्तों ने बहुत संघर्ष किया। खुद भी तपे और दूसरों को भी तपाए। तो आपको तो थोड़ी मेहनत करनी पड़ेगी, थोड़ा पसीना बहाना पड़ेगा, अच्छा समय आ जाएगा।




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