मौजूदा गुरु का महत्व ज्यादा बताया गया है, लोग उन्हीं की बातों पर गौर करते हैं, उन्हें जानते समझते हैं

जयगुरुदेव

17.06.2023
प्रेस नोट
उज्जैन (म.प्र.)

*मौजूदा गुरु का महत्व ज्यादा बताया गया है, लोग उन्हीं की बातों पर गौर करते हैं, उन्हें जानते समझते हैं*

*जीव इतने गंदे हैं कि नजदीक आने लायक नहीं, नामदान देना तो दूर की बात है फिर भी गुरु कृपा से दिया जा रहा है*

निजधामवासी बाबा जयगुरुदेव जी के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी, आदि काल से चले आ रहे गुप्त पांच नामों का नामदान देने के इस समय धरती पर एकमात्र अधिकारी, जिनका दिया नामदान ही फलीभूत होता है, सन्तमत की परम्परा के अनुसार वक़्त के गुरु होने के नाते जिनकी दया से ही अब जीव का कल्याण हो सकता है, गुरु भक्ति का आदर्श स्थापित करने वाले, जड़ मिट्टी पत्थर की कोई बिल्डिंग नहीं बल्कि समय के जीवित गुरु ही दया देते हैं -अब और कितना स्पष्ट बताया जाए, तो ऐसे इस समय के युगपुरुष, पूरे समरथ सन्त सतगुरु, परम दयालु, त्रिकालदर्शी, अन्तर्यामी, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त महाराज जी ने धनतेरस पर 12 नवंबर 2020 दोपहर उज्जैन आश्रम में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि जो नए लोग आप (आज सतसंग में) आए हो आपको (नामदान) बताऊंगा। गुरु के आदेश का पालन करूंगा। वैसे तो इस समय पर बहुत कठिन काम है क्योंकि जीव इतने गंदे हैं कि समझो नजदीक आने लायक नहीं है, नामदान लेना और देना तो अलग बात है। लेकिन फिर भी गुरु महाराज ने इतना बोझा ढोया, इतनी गंदगी (जीवों की) साफ़ किया तो हमको तो गुरु महाराज जैसे समरथ गुरु मिले हुए हैं, हमको चिंता किस बात की है? हमें कोई चिंता नहीं, उन्हें चिंता हमारी है। तो हमको बांटने में, हमको नाम दान देने में संकोच नहीं है। तो आपको नामदान दूंगा।

*मौजूदा गुरु का महत्व ज्यादा होता है*

महाराज जी ने 7 जून 2021 सायं उज्जैन आश्रम में बताया कि जो यह नई पीढ़ी आई है, भारी संख्या में जब से नामदान शुरू हुआ, गुरुजी महाराज के जाने के बाद लोगों ने नाम दान लिया है। कुछ लोग गुरु महाराज के इतिहास के बारे में अभी नहीं जानते हैं। गुरु का महत्व ज्यादा बताया गया है। जो मौजूदा गुरु होते हैं, उन्हीं की बातों पर गौर करते हैं, उनको जानते समझते हैं। क्योंकि यही सन्तों की परंपरा है। उसको कभी बदला ही नहीं जा सकता है।

*भक्त हर बात को पूछ समझ लेता है*

महाराज जी ने 31 दिसंबर 2020 दोपहर उज्जैन आश्रम में एक प्रसंग सुनाते हुए बताया कि भक्त हर बात को पूछ लेता है, हर बात को समझ लेता है। तभी तो वह भक्ति कर पाता है। भक्ति प्रमुख चीज होती है। भक्ति के बगैर कोई चीज हासिल नहीं होती है।

*समय की कीमत होती है*

महाराज जी ने 31 अक्टूबर 2020 प्रातः उज्जैन आश्रम में बताया कि पहले मंदिरों, गुरुद्वारों, जगह-जगह धार्मिक स्थानों का बहुत महत्व था लेकिन अब देखो, बहुत से मंदिर खंडहर पड़े है। बहुत से गुरुद्वारे में इक्का-दुक्का रखवाली करने के लिए लोग जाते है। मस्जिदें कभी-कभी खुलती है, इक्का-दुक्का लोग अजान देते, नमाज अदा करते हैं। तो जब किसी चीज की बहुत संख्या हो जाती है तो उसकी वैल्यू खत्म हो जाती है। समय की बात होती है। समय की कीमत होती है। जब गुरु महाराज मंदिर को बनवा रहे थे तब सतसंग में बोले ले लो, मंदिर के जीते जागते देवता बांट रहे हैं, ले लो, आगे तुमको कुछ नहीं मिलेगा। गुरु महाराज ने कहा जब तक मैं यहां हूं तब तक तुम लूट लो, ले लो, जो तुमको लेना है, आगे यहां कुछ नहीं मिलेगा तुमको।







एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ